Anbiya ke waqyaat Bachchon ke liye (Part-12b): Isa as

Anbiya ke waqyaat Bachchon ke liye (Part-12b): Isa as


अंबिया के वाक़िआत बच्चों के लिए (पार्ट-12b)

सैयदना ईसा अलैहिस्सलाम

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12- ईसा अलैहिस्सलाम क़ुरआन की नज़र में

फिर उन्होंने ईसा के क़त्ल का मंसूबा बनाया ताकि उनसे छुटकारा मिल जाए लेकिन अल्लाह ने उन्हें बचा लिया और दुश्मनों की चाल को उन्हीं पर पलट दिया, ईसा अलैहिस्सलाम को ज़िन्दा उठा लिया और इज़्ज़त दी उनका क़िस्सा क़ुरआन में यूं है:

फ़रिश्ते ने कहा, ऐ मरयम! अल्लाह तुम्हें एक बच्चे की ख़ुशख़बरी देता है जिसका नाम मसीह ईसा इब्ने मरयम होगा जो दुनिया और आख़िरत दोनों में सुंदर होगा और क़रीबी में से होगा। वह मां की गोद से बुढ़ापे तक बात करेगा और नेक होगा। मरयम नै हैरान होकर पूछा, ऐ मेरे रब मेरे यहां भला बच्चा कैसे जन्म से सकता है जबकि मुझे किसी मर्द ने छुआ तक नहीं है. फ़रिश्ते ने कहा अल्लाह तेरे साथ ऐसा ही करेगा। वह पैदा करता है जैसे चाहता है। जब वह किसी चीज़ का फ़ैसला कर लेता है तो केवल इतना कहता है "हो जा" और वह हो जाती है। वह उसे किताब, हिकमत, तौरात और इन्जील की तालीम देगा और बनी इसाईल की तरफ़ रसूल बना कर भेजेगा। (जब वह रसूल बनी इसाईल की तरफ़ आया तो उसने कहा) मैं तुम्हारे पास अपने रब की निशानी लेकर आया हूं, बेशक मैं मिट्टी से परिन्दों की शकल बनाता है फिर उसमें फूंक मरता हूँ तो वह अल्लाह के हुक्म से परिन्दा बन जाता है, मैं अल्लाह की हुक्म से अंधे और कोढ़ी को ठीक कर देता हूं और मुदों को ज़िन्दा करता है, और उसके बारे में बताता हूं जो तुम खाते हो या अपने घरों में ज़ख़ीरा कर के रखते हो अगर तुम ईमान वाले हो तो इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानियां हैं। और तस्दीक़ (पुष्टि) करता हूँ जो तौरात तुम्हारे सामने है और इसलिए आया हूँ कि तुम्हारे लिए कुछ उन चीज़ों को हलाल कर दूँ जो तुमपर हराम कर दी गई थीं। मैं तुम्हारे रब की तरफ़ से तुम्हारे पास निशानी लेकर आया हूँ, इसलिए अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। बेशक मेरा और तुम्हारा रब अल्लाह ही है उसी की इबादत करो यही सीधा रास्ता है। जब ईसा ने देखा कि बनी इसराईल कुफ़्र और इनकार पर आमादा हैं तो कहा कौन है अल्लाह के रास्ते में मेरा मददगार? हवारियों (समर्थकों) ने कहा हम है अल्लाह के रास्ते में आप के मददगार, हम अल्लाह पर ईमान लाए हैं और गवाह रहो कि हम मुसलमान हैं। ऐ हमारे रब हम ईमान लाए जो कुछ आपने उतारा है और रसूल की पैरवी की हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले। यहूदियों ने चाल चली और अल्लाह ने भी तदबीर की और अल्लाह बेहतर तदबीर करन वाला है। (वह अल्लाह की तदबीर ही थी) जब कहा : ऐ ईसा। अब मैं तुझे वापस बुला लूंगा और अपनी तरफ़ उठा लूंगा, और जिन्होंने तेरा इनकार किया है उनसे तुझे पाक कर दूँगा और तेरी पैरवी करने वालों को क़यामत तक उन लोगों पर हावी रखूंगा जिन्होंने तेरा इनकार किया है। फिर तुम सबको आख़िर में मेरे पास ही आना है, उस समय मैं उन बातों का फ़ैसला कर दूँगा जिनमें तुम्हारे बीच इख़्तिलाफ़ हुआ है। जिन्होंने इनकार किया उन्हें दुनिया और आख़िरत दोनों में सख़्त अज़ाब दूंगा और उनका कोई मददगार नहीं होगा। जो लोग ईमान लाए और नेक अमल किया उनको पूरा पूरा बदला मिलेगा अल्लाह ज़ालिमों को पसंद नहीं करता। ऐ नबी। ये आयात और हिकमत से भरे हुए बयान हैं जो हम तुम्हें सुना रहे हैं। बेशक अल्लाह के नज़दीक ईसा की मिसाल आदम जैसी है जिन्हें उसने मिट्टी से बनाया फिर हुक्म दिया हो जा और वह हो गया। यही असल हक़ीक़त है जो तुम्हारे रब की तरफ़ से बताई जा रही है तुम उन लोगों में शामिल न हो जो इसमें शक करते हैं।" (1)

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1, सूरह 03 आले इमरान आयत 45 से 60

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13- ईसा का चरित्र और उनकी दावत क़ुरआन में

अल्लाह तआला ने ईसा अलैहिस्सलाम के चरित्र और उनकी दावत की विशेषता क़ुरआन में यूं बयान किया है

"ईसा ने कहा मैं अल्लाह का बन्दा हूं उसने मुझे किताब दी है और मुझे नबी बनाया है और मुझे बाबरकत बनाया चाहे मैं जहाँ भी रहूँ, नमाज़ और ज़कात की पाबन्दी का हुक्म दिया जब तक मैं ज़िन्दा रहूं। और अपनी माँ का हक़ अदा करने वाला बनाया है मुझको सरकश और संगदिल नहीं बनाया। सलाम है मुझपर जबकि मैं पैदा हुआ और जब मेरी मौत आए और जबकि मैं दोबारा ज़िन्दा किया जाऊं।" (1)

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1, सूरह 19 मरयम आयत 30 से 33

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14- पुरानी कशमकश

सैयदना ईसा अलैहिस्सलाम के साथ भी वही कुछ हुआ जो उनसे पहले आने वाले नबियों के साथ हो चुका था। रईसों और लीडरों ने उनसे दूरी बनाली, मालदार और ताक़तवर लोगों ने उन्हें छोड़ दिया और ईमान लाने और रसूल की पैरवी करने में शर्म व ऐब महसूस हुआ, उन्हें रियासत, लीडरी और सरदारी में अपनी जगह से नीचे आना बड़ा भारी लगा। अल्लाह की बात बिल्कुल सच्ची है कि

"कभी ऐसा नहीं हुआ कि हमने किसी बस्ती में एक ख़बरदार करने वाला भेजा हो और उस बस्ती के खाते-पीते लोगों ने यह न कहा हो कि जो पैग़ाम तुम लेकर आए हो उसे हम नहीं मानते। उन्होंने हमेशा यही कहा कि हम तुमसे ज़्यादा माल व औलाद रखते हैं और हम हरगिज़ सज़ा पाने वाले नाहीं हैं।'' (1)

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1, सूरह 34 सबा आयत 34, 35

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15- आम लोगों और उनके फ़क़ीरों का ईमान 

जब ईसा अलैहिस्सलाम यहूदियों मापूस हो गए, उनकी ज़िद्द और कुफ़्र को अपनी आंखों से देखने लगे और यह भी देखा कि लोगों ने खुली निशानियां और स्पष्ट मुआजिज़ात का इनकार कर दिया है जिनका उन्हें यक़ीन कर लेना चाहिए था। वह उन्हें छोटा समझते थे क्योंकि ईसा अलैहिस्सलाम ताक़तवर और मालदार न थे। उन्होंने आम लोगों और फ़क़ीरों की तरफ़ तवज्जुह की तो उनके दिल नरम हो गए और उनकी जान पाक हो गई क्योंकि वह अपने हाथ और अपने ख़ून पसीने की कमाई खाते थे उन्हें नसब का घमंड नहीं था और न वह इक़्तेदार और मनसब के मामले में बाज़ी लगाने वाले थे। उनका एक गिरोह ईमान लाया जिसमें धोबी थे, मछलिया पकड़ने वाले थे, कारीगर और मेहनती मज़दूर थे।

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16- हम हैं अल्लाह के मददगार

वह मसीह अलैहिस्सलाम पर ईमान लाए, आस पास जमा हो गए और अपना हाथ उनके हाथ में दे दिया और पुकार उठे "हम है अल्लाह के मददगार" अल्लाह तआला फ़रमाता है।

जब ईसा ने देखा कि बनी-इस्राईल कुफ़ और इनकार पर आमादा हैं तो कहा कौन है अल्लाह के रास्ते में मेरा मददगार? हवारियों (समर्थकों) ने कहा हम हैं अल्लाह के रास्ते में आप के मददगार, हम अल्लाह पर ईमान लाए हैं और गवाह रहो कि हम मुसलमान हैं। ऐ हमारे रब हम ईमान लाए जो कुछ आपने उतारा है और रसूल की पैरवी की हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले। (1)

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1, सूरह 03 आले इमरान आयत 52, 53

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17- ईसा अलैहिस्सलाम का घूमना फिरना और दावत 

सैयदना ईसा अलैहिस्सलाम अक्सर सफ़र में रहते थे वह बनी इस्राईल को दावत देने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान जाते रहते थे और उन खोई हुई भेड़ों को उनके रब और मालिक की तरफ़ बुलाते। सफ़र में कभी आसानियां होती और कभी परेशानियों का सामना करना पड़ता, कभी तंगी होती और कभी कुशादगी। वह सब्र करते और एक शुक्र अदा करने वाले की तरह इसे क़ुबूल करते, भूख पर सब्र करते और जीवन बाक़ी रखने के लिए जो मिलता उसी पर गुज़ारा कर लेते थे।

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18- हवारी आसमामनी दस्तरख़्वान तलब करते हैं

हवारी सब्र, सख़्ती, साबित क़दमी और तपस्या में ईसा अलैहिस्सलाम की बराबरी न कर सके। जब उन्हें तकलीफ़ पहुंची तो उन्होंने सैयदना ईसा अलैहिस्सलाम से निवेदन किया कि वह अल्लाह से दुआ करें कि वह आसमान से एक दस्तरख़्वान उतारे जिससे वह खाएं, भूख मिटायें और तकलीफ़ के बाद आराम से नेअमत पायें।

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19- बेअदबी

उन्होंने ने अपने सवालों में अदब का ख़्याल नहीं रखा कहा, "क्या तुम्हारा रब इस बात पर क्रादिर है कि वह आसमान से एक ख़्वान नाज़िल कर सके।" (1)

"ईसा को उनके सवाल पर कोई तअज्जुब नहीं हुआ बल्कि उन्होंने उनकी भाषा शैली (style) को नापसंद किया। तमाम अंबिया अपनी उम्मतों से ईमान बिल ग़ैब का मुतालिबा करते थे और उसी का मुकल्लफ़ बनाते थे। मुअजिज़ात कोई खिलौने नहीं होते जिससे कि बच्चों के दिल बहलाये जायें बल्कि यह तो अल्लाह की निशानियां हैं जो वह अपने नबियों पर जब चाहता है ज़ाहिर करता है और बन्दों पर हुज्जत क़ायम करता है फिर उसके ज़ाहिर होने और उसके इनकार किये जाने के बाद मुहलत नहीं दी जाती।

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1, सूरह 05 अल माएदा आयत 112

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20- क़ौम को बुरे अंजाम से डराना

इसीलिए सैयदना ईसा अलैहिस्सलाम को अंदेशा हुआ और उन्होंने उन्हें बुरे अंजाम से डराया और अल्लाह तआला का इम्तेहान लेने से रोका क्योंकि अल्लाह की ज़ात तो उससे बहुत ऊपर और बुलंद है।

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21- जल्दबाज़ी और ज़िद्द

लेकिन हवारी अपने सवाल पर अड़े रहे। उन्होंने याद दिलाया कि वह संजीदगी से सवाल कर रहे हैं। उनका मक्रसद अल्लाह का इम्तेहान लेना नहीं बल्कि ख़ुद को इत्मिनान दिलाना है ताकि आने वाली नस्लों के लिए यादगार हो और ज़माने के गुज़रने के साथ साथ यह रिवायत बाक़ी रहे, वह इस दीन के हक़ होने की दलील और सच्चे और पहले ईमान लाने वाले हवारियों के लिए क़द्र और मर्तबे की बात होगी।

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22- क़ुरआन क़िस्सा बयान करता है

कुरआन में यह क़िस्सा यूं बयान हुआ है, हवारियों के सिलसिले में यह वाक़िआ भी याद रहे कि जब हवारियों ने कहा, "ऐ मरयम के बेटे ईस्सा, क्या आपका रब हम पर आसमान से खाने का एक दस्तरख़्वान उतार सकता है?" तो ईसा ने कहा अल्लाह से डरो, अगर तुम ईमान वाले हो।

 उन्होंने कहा: हम तो केवल ये चाहते हैं कि उस दस्तरख़्वान से खाना खाएँ ताकि हमारे दिल मुतमइन हों और हमें मालूम हो जाए कि आपने जो कुछ हम से कहा है वह सच है और हम उस पर गवाह हों। इस पर मरयम के बेटे ईसा ने दुआ की, "ऐ अल्लाह! हम पर आसमान से एक दस्तरख़्वान उतार जो हमारे लिए और हमारे अगलों-पिछलों के लियए ख़ुशी का बाइस हो और तेरी तरफ़ से एक निशानी हो, हमको रोज़ी दे और तू बेहतरीन रोज़ी देने वाला है। अल्लाह तआला ने जवाब दिया, "मैं उसको तुमपर नाज़िल कर दूंगा मगर इसके बाद तुममें से जो भी कुफ़्र करेगा उसे मैं ऐसी सज़ा दूँगा जो दुनिया में किसी को न दी होगी।" (1) 

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1, सूरह 05 अल माएदा आयत 112 से 115

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किताब: कसास उन नबीयीन
मुसन्निफ़ : सैयद अबुल हसन नदवी रहमतुल्लाहि अलैहि 
अनुवाद : आसिम अकरम अबु अदीम फ़लाही  

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