Khulasa e Qur'an - surah 98 | surah al bayyinah

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (098) अल बय्येना


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (098) अल बय्येना


(i) किताब के साथ रसूल क्यों ज़रुरी है?

◆ अहले किताब हों या मुशरेकीन रसूल के बग़ैर कुफ़्र से निकलना संभव नहीं था, 

◆ अल्लाह की किताब को असली और सही सूरत में पेश करे, 

◆ ख़ुद अपनी रिसालत पर दलील हो। (1 से 4) 


(ii) बदतरीन मख़लूक़

जो अल्लाह की इबादत मुख़्लिस होकर न करे, नमाज़ क़ायम न करे, ज़कात न दे, स्पष्ट दलील के बावजूद सच्चाई क़ुबूल न करे। ऐसे लोगों का ठिकाना जहन्नम है। (5, 6)


(iii) बेहतरीन मख़लूक़

जो अल्लाह की इबादत इख़लास के साथ करें, नमाज़ क़ायम करें, ज़कात अदा करें और सच्चाई को क़ुबूल करें। ऐसे लोग अल्लाह से राज़ी हुए और अल्लाह उनसे राज़ी हुआ। (5, 7, 8)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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