खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (093) अज़ जुहा
सूरह (093) अज़ जुहा
नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर अल्लाह का ख़ास एहसान और नसीहत
कुछ समय के लिए वही (وحي) का सिलसिला बंद हो गया था जिस से आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सख़्त परेशान हो गए थे और बार बार यह अंदेशा लग रहा था कि कहीं मुझ से कोई ऐसा क़ुसूर तो नहीं हो गया जिसकी वजह से मेरा रब मुझ से नाराज़ हो गया है, इसपर आप को इत्मीनान दिलाया गया है कि " तुम्हारे रब ने तुमको नहीं छोड़ा, और न वह तुमसे नाराज़ हुआ। आख़िरत निश्चित रूप से तुम्हारे लिए इस संसार से बेहतर है। जल्द ही अल्लाह तुझको इतना देगा की तू सन्तुष्ट हो जायेगा। क्या अल्लाह ने तुमको अनाथ नहीं पाया, फिर तुमको ठिकाना दिया, तुमको रास्ते की तलाश में भटकता पाया और हिदायत दी, तुमको निर्धन पाया और मालदार कर दिया। इसलिए अनाथ पर कठोरता न दिखाओ, मांगने वालों को न झिड़को और अपने रब की नेअमतों का बखान करो। (1 से 11)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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