Khulasa e Qur'an - surah 91 | surah ash shams

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (091) अश शम्स


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (091) अश शम्स


(i) इंसान को तक़वा इख़्तियार करना चाहिए

सूरज, चांद, धूप, दिन, रात, आसमान, ज़मीन और इंसानी नफ़्स की क़सम खा कर फ़रमाया गया है कि इंसान अपने रब से डरे, तक़वा इख़्तियार करे और अपना तज़किया करे तो वह कामयाब होगा (1 से 9)


(ii) सरकशी का अंजाम तबाही है

जिसने अपने ज़मीर की आवाज़ को दबा कर सरकशी की वह नाकाम हुआ। क़ौमे समुद के एक व्यक्ति ने अपनी सरकशी की वजह से अल्लाह की ऊंटनी की कूंचें काट दी और पूरी क़ौम मौन रहने के कारण अज़ाब का शिकार हो गई। (10 से 15)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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