खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (090) अल बलद
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
सूरह (090) अल बलद
(i) इंसान पूर्णतः आज़ाद नहीं है
इंसान के दिल में यह बात है कि वह जो कुछ करना चाहे कर ले, अपना माल जैसे चाहे रखे, अम्न की जगह का सुकून बर्बाद कर दे हालांकि मां के पेट से मौत तक क़दम क़दम पर उसे कितनी तकलीफ़ से गुज़रना पड़ता है फिर अल्लाह ने दो आंखें, एक ज़बान, और दो होंठ दिए और दो रास्ते भी उसके सामने रख दिया। अब उसके बाद भी जो आयात का इंकार करें वही भड़कती हुई आग में होंगे। (1 से 10, 19, 20)
(ii) असहाबुल मैमना (दुशवार घाटी)
ग़ुलाम आज़ाद करना , क़रीबी, यतीमों और मिट्टी में पड़े हुए मिस्कीनो को खाना खिलाना, ईमान, आपस में हक़ की वसीयत और मुश्किलात में सब्र की वसीयत। (11 से 18)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
0 टिप्पणियाँ
कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।