Khulasa e Qur'an - surah 89 | surah al fajr

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (089) अल फ़ज्र

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (089) अल फ़ज्र


(i) सरकशी का अंजाम तबाही है

फ़ज्र के वक़्त, सम और विषम (even and odd) और दस रातों की क़सम खा कर बताया गया है कि आद, समूद और फ़िरऔन अपनी सरकशी के कारण तबाह व बर्बाद हुए। (1 से 13)


(ii) इंसान के फ़सादी होने का कारण 

नाशुक्री, यतीमों के साथ ज़ुल्म व ज़्यादती, मिस्कीनो को न ख़ुद खिलाना न दूसरों को तरग़ीब देना, वरासत का माल हड़प कर जाना, माल की मुहब्बत में अंधा होना। (15 से 20)


(iii) बे वक़्त पछतावा

आख़िरत के दिन इंसान अफ़सोस करेगा "काश मैंने अपनी ज़िंदगी में कुछ कर लिया होता। लेकिन अब कोई फ़ायदा नहीं होगा। दूसरी तरफ़ जो अल्लाह के तमाम आदेश को दिल से मान कर पालन करता रहा वह जन्नत में होगा। (21 से 30)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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