Khulasa e Qur'an - surah 86 | surah at tariq

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (086) अत तारिक़


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (086) अत तारिक़


(i) हर जान की हिफ़ाज़त की जाती है 

अल्लाह ने आसमान और रात को चमकने वाले सितारे (तारिक़) की क़सम खा कर बताया है कि इस धरती पर कोई ऐसा इंसान नहीं है जिसपर कोई न कोई पहरेदार मुक़र्रर न हो। अब अगर इंसान कोई चाल चलता है तो चले दरअसल उसको दुनिया में ढील दी जा रही है। (1 से 4, 15 से 17)


(ii) इंसान को अपनी तख़लीक़ पर ग़ौर करने की दावत

इंसान उछलते हुए पानी से पैदा किया गया है जो सीने और रीढ़ की हड्डियों के दरमियान से निकलता है तो यह बात भी बिल्कुल तय है और यह कोई मज़ाक़ नहीं है कि उसे अल्लाह दोबारा लौटाने पर भी क़ादिर है। (5 से 14)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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