खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (085) अल बुरुज
सूरह (085) अल बुरुज
(i) असहाबुल उख़दूद (खाई वाले)
नजरान में एक लड़का एक जादुगर के पास जादू सीखने जाया करता था। एक दिन उसकी मुलाक़ात एक राहिब से हो गई धीरे धीरे वह उसका शिष्य बन गया और जादू सीखना छोड़ दिया। राहिब के साथ रहने और अल्लाह से लगाव रखने की वजह से वह साहिबे करामत हो गया। राजा के वज़ीर की आंख उसकी दुआ से अच्छी हो गई, राजा को पता चला कि यह लोग अल्लाह पर ईमान रखते है तो उसने राहिब को फिर वज़ीर को आरे से दो टुकड़े करा दिए। फिर उस लड़के को भी मार डालने के मुख़्तलिफ़ हथकंडे अपनाए लेकिन लड़का हर बार महफ़ूज़ रहा। आख़िर लड़के ने ख़ुद राजा से कहा, "अगर तमाम लोगों को एक् मैदान में जमा करके मुझे एक लकड़ी पर सूली दे, मेरे तरकश से एक तीर लेकर कमान के अंदर रख, फिर यह कहकर तीर मार कि अल्लाह के नाम से मारता हूँ जो इस लड़के का मालिक है, तो मुझे क़त्ल कर लोगे" राजा ने ऐसा ही किया। वह तीर लड़के कनपटी पर लगा और उसने अपना हाथ तीर लगने की जगह पर रखा और शहीद हो गया। यह हाल देखकर लोग मुसलमान हो गए और कहा कि हमें तो उस लड़के के मालिक पर पूरा विश्वास है। अब राजा ने उन्हें अपने धर्म से फिरने को कहा। सभी ने इंकार कर दिया तो उन्हें खंदक़ों वाली दहकती आग में डाल दिया गया।
(सहीह मुस्लिम, हदीस 7511. किताबुज़ ज़ुहद वर रक़ाएक)
जिन लोगों ने दहकती हुई खाई में ईमान वालों को डाल कर मारा वास्तव में वह ख़ुद बर्बाद हो गए क्योंकि अल्लाह की पकड़ बहुत सख़्त है उससे कोई बच नहीं सकता। (4 से 8, 12)
(ii) कुछ अहम बातें
◆ ईमान लाने और झुठलाने वालों पर अल्लाह नज़र रखे हुए है। (7)
◆ जिन्होंने मोमिन मर्दों या औरतों को आज़माया और बग़ैर तौबा किये मर गए तो उनके लिए भड़कता हुआ अज़ाब है। (10)
◆ क़ुरआन लौहे महफ़ूज़ में है उसे कोई बदल नहीं सकता। (20 से 22)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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