Khulasa e Qur'an - surah 83 | surah al mutafifeen

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (083) अल मुतफ्फ़ेफ़ीन


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (083) अल मुतफ्फ़ेफ़ीन


(i) तबाही व बर्बादी है 

जो लोगों से तो पूरा पूरा लेते हैं लेकिन जब ख़ुद किसी को वज़न करके या नाप कर देते हैं तो डंडी मार देते हैं, वह हक़ीक़त में इंसानों के हुक़ूक़ ग़सब करते हैं। (1 से 4) 

तबाही व बर्बादी उनके लिए भी है जो आख़िरत के दिन को झुठलाते हैं, हद से गुज़रे हुए और बद अमल लोग हैं, जब आयात सुनाई जाती हैं तो पिछलों की कहानी कह कर रदद् कर देते हैं। (10 से 16)

 

(ii) इल्लीईन और सिज्जीईन 

वह किताब जिसमें नेक लोगों के कारगुज़ारियां लिखी हुई हैं इल्लीईन कहलाती है और वह किताब जिसमें बुरे लोगों के कारगुज़ारियां लिखी हुई हैं सिज्जीईन कहलाती है। (7 से 9 और 18 से 20)


(iii) नेक लोगों का सम्मान

जन्नत में गाऊ तकिये लगाए नज़ारे कर रहे होंगे, उनके चेहरों से ख़ुशी ज़ाहिर हो रही होगी, उन्हें मुश्क की मुहर लगा हुआ सील बंद शर्बत पिलाया जाएगा जिसमें तसनीम मिली हुई होगी (तसनीम मुक़र्र्ब लोगों के लिए एक ख़ास चश्मा है) दुनिया में जो उनका मज़ाक़ उड़ाते और फ़ब्ती कसते थे उनपर वह नेक लोग हंस रहे होंगे। (22 से 36)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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