Khulasa e Qur'an - surah 114 | surah an naas

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (114) अन नास


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूरह (114) अन नास


सूरह अल फ़लक़ और अन नास में बहुत गहरा संबंध है बल्कि यूं कहा जाए कि सूरह अन नास सूरह अल फ़लक़ की पूरक है। इसीलिए दोनों सूरतों को मिलाकर एक नाम मुअव्वेज़तैन रखा गया है।

"कह दो मैं पनाह मांगता हूं लोगों के पालनहार की,संसार के स्वामी की, इंसानों के माबूद की उस वसवसा डालने वालेशैतान इंसान और शैतान जिन्नात के शर से जो पलट पलट कर आता है और लोगों के दिलों में वसवसे डालता है"। (1 से 6)


"जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लेटते तो अपने हाथों पर फूंकते, मुअव्वेज़ात (सूरह 112 अल इख़लास, सूरह 113, अल फ़लक़, सूरह 114 अन नास) पढ़ते और दोनों हाथ अपने बदन पर फेरते"। (सही बुख़ारी 6319)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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