Khulasa e Qur'an - surah 112 | surah al ikhlas

Khulasa e Qur'an - surah | quran tafsir

खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (112) अल इख़लास


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ


सूराह (112) अल इख़लास


कुफ़्फ़ारे मक्का ने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अल्लाह के नसब के बारे में सवाल पूछा था चुनांचे यह सूरह नाज़िल हुई। (सुनन तिर्मिज़ी 3364)

पूरे क़ुरआन में तीन बुनियादी बात पर ज़ोर दिया गया है, तौहीद, रिसालत, आख़िरत, चूंकि यह सूरह मुकम्मल तैहीद पर निर्धारित है इसलिए इसे एक तिहाई (1/3) क़ुरआन कहा गया है। (सही बुख़ारी 5013)

अब अगर कोई ख़ुदा होने का दावा करता है तो इस सूरह में अल्लाह की पांच विशेषतायें बयान की गई हैं, उसी कसौटी (Litmus test) पर परख कर पता लगाया जाय कि वह अपने दावे में सच्चा है या झूठा। वह कसौटी यह है,

 1, अल्लाह एक है, 

2, अल्लाह बेनियाज़ है, 

3, उसकी कोई औलाद नहीं, 

4,वह भी किसी की औलाद नहीं, 

5, उसका कोई साझी नहीं है। 

(1 से 4)


आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही

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