खुलासा ए क़ुरआन - सूरह (104) अल हुमाज़ह
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
सूरह (104) अल हुमाज़ह
तबाही व बर्बादी है
बुरा भला कहने, ग़ीबत करने, माल व दौलत को समेट समेट कर और गिन गिन कर रखने और दुनिया को हमेशा का जीवन समझने वालों के लिए तबाही है और अल्लाह की जलाई हुई आग (हुतमा) भी जो दिलों तक पहुंचेगी और उन्हें उसमें बंद कर दिया जाएगा। (1 से 9)
आसिम अकरम (अबु अदीम) फ़लाही
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