ईमान
ईमान इस्लाम की बुनियाद है यानि कोई भी शख्स मुस्लिम नहीं बन सकता जब तक वो ईमान ना लाए। ईमान "अमन" से बना है जिसका मतलब होता है "नफ्स का मुतमइन होना"।
ईमान क्या है?
अल्लाह पर ईमान रखना ''अल्लाह रब्बुल इज्जत है'' ( He exist and he is the owner of hereafter ) और उसके रसूल पर यानी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाना तो है ही बाकी नबियों पर भी ईमान लाना मुस्तहिक है। जितने भी नबी आए अल्लाह की तरफ से अल्लाह का पैगाम लेकर उन पर और उसकी किताबों पर (तौरात, ज़बूर, इंजील और क़ुरआन)
अल्लाह के फरिश्तो पर, अच्छी-बुरी तक़दीर पर। ये सब चीजें पर ईमान लाना बरहक़ है हमारे आख़िरत के दिन पर (कि हमें एक दिन अल्लाह तआला की तरफ़ लौट कर जाना है जहाँ अच्छे-बुरे काम का हिसाब देना है।)
हम क्या करते हैं?
अज कल सभी का ईमान इस्लाम पर है ईमान पर नहीं है। ईमान अगर पुख्ता होगा, अमल भी दुरुस्त होगा और किसी को वो गलत काम करता देख भी नहीं सकेगा और हक का प्रचारक बनेगा।
وَٱلْعَصْرِ إِنَّ ٱلْإِنسَـٰنَ لَفِى خُسْرٍ إِلَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّـٰلِحَـٰتِ وَتَوَاصَوْا۟ بِٱلْحَقِّ وَتَوَاصَوْا۟ بِٱلصَّبْرِ
"ज़माने की क़सम, इंसान दर हक़ीक़त बड़े ख़सारे (नुक्सान) में है। सिवाए उन लोगों के जो ईमान लाए और नेक अमल करते रहे और एक दूसरे को हक़ की हिदायत और सब्र की तालक़ीन करते रहे।" [सूरह असर]
ईमान से ये चार चीजें मुराद है, जो एक दूसरे पर मुनहसिर हैं-
1. ईमान का पुख्ता होना (ईमान पुख़्ता होगा तो सभी काम अल्लाह की शान में मुताबिक़ होंगे।)
2. नेक अमल करना (ईमान पुख़्ता होगा तो नेक काम भी होगा, अल्लाह की रज़ा के लिए होंगे।)
3. गलत बातों को गलत कहना (हम अच्छे काम करेंगे तो हम अच्छे कामों को प्रमोट करेंगे, बदी के कामो से रुकेंगे या दूसरे के गलत काम को गलत और गलत बात को गलत जानेंगे)
4. हक का प्रचार (ईमान से नेक काम, नेक काम से गलत काम से रोक या गलत काम से रुके फिर हम सही का प्रचार करेंगे मतलब हक बातों का प्रचार आगे भी करेंगे ताकि हमारे भाई या बहन भी अल्लाह के फरमाबरदार बन जाएं।)
ईमान लाये हो तो डट जाओ बस अब अल्लाह की रज़ा पर अल्लाह के फैसले पर। अल्लाह हज़रत मूसा (عليه السلام) को ज़ालिम फिरऔन जैसे बादशाह से बचाने पर क़ादिर है, अल्लाह हज़रत इब्राहिम (عليه السلام) को आग से बचाने पर क़ादिर है, अल्लाह हज़रत यूनुस (عليه السلام) को मछली के पेट में जिंदा रखने पर क़ादिर है, अल्लाह हज़रत मरियम (عليه السلام) से हज़रत ईसा (عليه السلام) को पैदा कारवाने पर क़ादिर है। शर्त पक्का ईमान अल्लाह पर जो है, बस मेरा रब है या कोई शै नहीं जो बस मेरा अल्लाह है जो है हमेशा से है और हमेशा रहने वाला है। अल्लाह हमें पक्का ईमान अता करें जैसे नबियों या सहाबाओं को अता किया।
आएशा
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