रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया:
अल्लाह तआला क़ियामत के दिन तमाम लोगों को एक लम्बे-चौड़े और हमवार ज़मीन में जमा करेगा फिर अल्लाह रब्बुल-आलमीन उनके सामने अचानक आएगा और कहेगा: "क्यों नहीं हर आदमी उस चीज़ के पीछे चला जाता है, जिसकी वो इबादत करता था?"
चुनांचे सलेब पूजने वालों के सामने उनकी सलेब की सूरत बन जाएगी, बुत पूजने वालों के सामने बुतों की सूरत बन जाएगी और आग पूजने वालों के सामने आग की सूरत बन जाएगी, फिर वो लोग अपने अपने माबूदों के पीछे लग जाएँगे और मुसलमान ठहरे रहेंगे,
फिर रब्बुल-आलमीन उनके पास आएगा और कहेगा: "तुम भी लोगों के साथ क्यों नहीं चले जाते?"
वो कहेंगे: हम तुझसे अल्लाह की पनाह माँगते हैं, हम तुझसे अल्लाह की पनाह माँगते हैं, हमारा रब अल्लाह तआला है। हम यहीं रहेंगे यहाँ तक कि हम अपने रब को देख लें।
अल्लाह तआला उन्हें हुक्म देगा और उनको साबित क़दम रखेगा और छिप जाएगा,
फिर आएगा और कहेगा: "तुम भी लोगों के साथ क्यों नहीं चले जाते?"
वो कहेंगे: हम तुझसे अल्लाह की पनाह माँगते हैं, हम तुझसे अल्लाह की पनाह माँगते हैं, हमारा रब अल्लाह है और हमारी जगह यही है। यहाँ तक कि हम अपने रब को देख लें।
अल्लाह तआला उन्हें हुक्म देगा और उन्हें साबित क़दम रखेगा।
सहाबा ने कहा: अल्लाह के रसूल! क्या हम अल्लाह तआला को देखेंगे?
आपने फ़रमाया: "क्या चौदहवीं रात के चाँद देखने में तुम्हें कोई मज़ाहमत और धक्कम पेल होती है?"
सहाबा ने कहा: नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल!
आपने फ़रमाया: "तुम अल्लाह तआला के देखने में उस वक़्त कोई मज़ाहमत और धक्कम पेल नहीं करोगे। फिर अल्लाह तआला छिप जाएगा फिर झाँकेगा और उनसे अपनी पहचान कराएगा।
फिर कहेगा: "मैं तुम्हारा रब हूँ मेरे पीछे आओ।"
चुनांचे मुसलमान खड़े होंगे और पुल-सिरात क़ायम किया जाएगा उस पर से मुसलमान तेज़ रफ़्तार घोड़े और सवार की तरह गुज़रेंगे और गुज़रते हुए उनसे ये कलिमात अदा होंगे (سلم سلم) "सलामत रख, सलामत रख",
सिर्फ़ जहन्नमी बाक़ी रह जाएँगे तो उनमें से एक गरोह को जहन्नम में फेंक दिया जाएगा,
फिर पूछा जाएगा: क्या तू भर गई?
जहन्नम कहेगी: (هل من مزيد) और ज़्यादा फिर, इसमें दूसरा गरोह फेंका जाएगा और
पूछा जाएगा: क्या तू भर गई?
वो कहेगी : (هل من مزيد) और ज़्यादा,
यहाँ तक कि जब तमाम लोग फेंक दिये जाएँगे तो रहमान उसमें अपना पैर डालेगा और जहन्नम का एक हिस्सा दूसरे में सिमट जाएगा,
फिर अल्लाह तआला कहेगा: बस,
जहन्नम कहेगी: (قط قط) बस, बस,
जब अल्लाह तआला जन्नतियों को जन्नत में और जहन्नमियों को जहन्नम में दाख़िल कर देगा तो मौत को खींचते हुए उस दीवार तक लाया जाएगा जो जन्नत और जहन्नम के बीच है।
फिर कहा जाएगा: ऐ जन्नतियों!
तो वो डरते हुए झाँकेंगे,
फिर कहा जाएगा: ऐ जहन्नमियों!
तो वो शफ़ाअत की उम्मीद में ख़ुश हो कर झाँकेंगे,
फिर जन्नतियों और जहन्नमियों से कहा जाएगा: "क्या तुम इसे जानते हो?"
तो ये भी कहेंगे और वो भी कहेंगे: हम ने उसे पहचान लिया ये वही मौत है, जो हमारे ऊपर वकील थी,
फिर वो जन्नत और जहन्नम की बीच वाली दीवार पर लिटा कर यकबारगी ज़बह कर दी जाएगी,
फिर कहा जाएगा:
"ऐ जन्नतियों! हमेशा (जन्नत में) रहना है, मौत नहीं आएगी",
"ऐ जहन्नमियों! हमेशा (जहन्नम में) रहना है, मौत नहीं आएगी।"
तिर्मिज़ी 2557
Book 38, Hadith 35
Vol. 4, Book 12, Hadith 2557
इमाम तिरमिज़ी कहते हैं:
1. ये हदीस हसन सही है।
2. नबी अकरम (सल्ल०) से उसी जैसी बहुत सी हदीसें रिवायत हुई हैं जिस में दीदारे-इलाही का ज़िक्र है कि लोग अपने रब को देखेंगे, क़दम और इसी तरह की चीज़ों का भी ज़िक्र है।
3. इस सिलसिले में इमामों अहले-इल्म जैसे सुफ़ियान सौरी मालिक-बिन-अनस-इब्ने-मुबारक-इब्ने-उएना और वकीअ वग़ैरा का मसलक ये है कि वो उन चीज़ों की रिवायत करते हैं और कहते हैं: ये हदीसें आई हैं और हम इस पर ईमान लाते हैं लेकिन ख़ूबियाँ बारी तआला की कैफ़ियत के बारे में कुछ नहीं कहा जाएगा। मुहद्दिसों का मसलक ये यही कि ये चीज़ें वैसी ही रिवायत की जाएँगी जैसी वारिद हुई हैं उनकी न (ग़लत) तफ़सीर की जाएगी न उसमें कोई वहम पैदा किया जाएगा और न उनकी कैफ़ियत के बारे में पूछा जाएगा, अहले-आलिमों ने इसी मसलक को इख़्तियार किया है और लोग इसी की तरफ़ गए। हैं (अलैहि०) हदीस के अन्दर (अपने लिये) का मफ़हूम ये है कि अल्लाह तआला उनके लिये तजल्ली फ़रमाएगा।
Posted By Islamic Theology
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