Muhammad saw hamare roll model

Muhammad saw hamare roll model


हजरत मुहम्मद ﷺ के अल्लाह के पैग़म्बर होने के सबूत।

मुहम्मद ﷺ हमारे रोल मॉडल


रोल मॉडल एक ऐसा वर्ड है जो बचपन से हम सुनते हुए आए है कई बार हमारे स्कूल में, कॉलेज में और हमारे आस पास में लोग अक्सर हमसे एक सवाल करते है कि आप अपनी जिंदगी में क्या करने चाहते है? और आपकी जिंदगी का रोल मॉडल कौन है?

और उस समय हमे ये भी ठीक से पता नहीं होता की रोल मॉडल होता क्या है? और हमारे जिंदगी के रोल मॉडल में क्या क्या खासियतें होनी चाहिए? हमे इन चीजों का पता न होने की वजह से ही हम अपनी जिंदगी का रोल मॉडल किसी सेलिब्रिटी, क्रिकेटर, सिंगर्स, एक्टर्स, डांसर, साइंटिस्ट, पॉलिटिशियंस वगैरा वगैरा को बना लेते है और अपनी पूरी जिंदगी में उन्ही के जैसा बनने की कोशिश करते रहते है। और अफसोस हम अपनी सारी जिंदगी ऐसे लोगों की तरह बनने में बरबाद कर देते है जिनकी खुदकी जिंदगी में सुकून नहीं होता। तो आज हम इस लेख में इसी बात पर चर्चा करेंगे की हमारी जिंदगी का मकसद क्या है? और रोल मॉडल कैसा और कौन होना चाहिए?

हर इंसान जिंदगी में अपना कुछ न कुछ मकसद जरूर बनाता है और उसी मकसद के इर्द गिर्द उसकी पूरी जिंदगी घूमती रहती है। और फिर इंसान ये देखता है कि उसके मकसद में दुनिया में सबसे आगे कौन है और जो उसे इस मुकाम पर नजर आता है वह अपनी जिंदगी का उसे ही रोल मॉडल बना लेता है। और अपनी पूरी सलाहियतें उसी की तरह बनने में लगा देता है। इसलिए हमे अपनी जिंदगी में किसी को अपना रोल मॉडल बनाने से पहले अपनी जिंदगी का मकसद तलाश करना चाहिए।


हमारी जिंदगी का मकसद क्या होना चाहिए?

आज कल ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी का मकसद जिन चीज़ों को बना रहे है वो उनकी जिंदगी का मकसद है ही नहीं। और इसपर अफसोस की बात ये है कि उन बेचारों को पता भी नहीं की उन्होंने अपनी जिंदगी में गलत मकसद चुन लिया है और अपनी पूरी जिंदगी उस गलत मकसद के पीछे बर्बाद कर रहे है। क्योंकि वो अपना मकसद ऐसी चीजों को बना लेते है जो कुछ दिनों में खत्म होने वाली है। अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा तो फिर हम अपनी जिंदगी का मकसद किस चीज को बनाए? तो इसका जवाब मैं आपको सिर्फ इतना दूंगा की मकसद ऐसा होना चाहिए जो आपके मरने के बाद भी आपके काम आए। जो मक़सद आपके मरने में साथ ही खत्म हों जाए हक़ीक़त में वही आपका गलत मकसद है।

अपनी जिंदगी का सही मकसद को समझने से पहले आप अपनी जिंदगी की हकीकत को समझें कि हम जिस दुनिया में रह रहे है ये दुनिया अल्लाह ने इंसानों का इम्तिहान लेने के लिए बनाई है। और इस दुनिया में इंसानों का इम्तिहान ये है कि कौन लोग ऐसे है जो पैगंबरों पर ईमान लाकर अल्लाह के बताए तरीके पर चले। और जो इंसान भी अल्लाह के इस इम्तिहान में पास हो उसके लिए ईनाम के तौर पर जन्नत है और जो लोग इस इम्तिहान में नाकाम ठहरेंगे उनके लिए जहन्नुम का अजाब है।


وَ مَا خَلَقۡتُ الۡجِنَّ وَ الۡاِنۡسَ اِلَّا لِیَعۡبُدُوۡنِ ﴿۵۶﴾

"मैंने जिन्न और इन्सानों को इसके सिवा किसी काम के लिये पैदा नहीं किया है कि वो मेरी बन्दगी करें।"

[कुरआन 51:56]


यानी अल्लाह ने इंसानों को सिर्फ इसलिए पैदा किया है कि वह अल्लाह की बंदगी करें मतलब अल्लाह के बताए हुए तरीके पर अपनी जिंदगी गुजारे। जिदंगी का मकसद समझने के बाद आइए अब अपने असल टॉपिक की तरफ आते है।


हमारी जिंदगी का रोल मॉडल कैसा और कौन हो?

अपनी जिंदगी के मकसद को ध्यान में रखकर अब आप खुद ही सोचें कि आपकी जिंदगी का रोल मॉडल ऐसा इंसान होना चाहिए जो अल्लाह के बताए हुए तरीके पर चलने में सबसे आगे हो और वह अपनी जिंदगी के हर पहलू को अल्लाह के बताए हुए तरीके पर गुजारे और वो इंसान ऐसा होना चाहिए जिसके बारे में आपको पूरी तरह इत्मीनान हासिल हो कि वह अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चल रहा है। और जिसकी गवाही अगर खुद अल्लाह दे दें तो उसको ही अपनी जिंदगी का रोल मॉडल बनाना चाहिए।

इन खासियतों के इंसान दुनिया में सिर्फ अल्लाह के पैगम्बर ही हो सकते है क्योंकि उनके बारे में हमे इत्मीनान हासिल है कि वह अपनी जिंदगी के हर पहलू में अल्लाह के बताए हुए तरीके की पैरवी करते है। और उन पैगंबरों में से भी जिनकी जिंदगी का एक एक पहलू आज हमारे सामने मौजूद है वह सिर्फ एक ही है और अल्लाह ने अपने आखिरी संदेश कुरआन में भी उन्हीं को रोल मॉडल बनाने को कहा है और वह इंसान अल्लाह के आखिरी पैगम्बर मुहम्मद ﷺ है।


لَقَدۡ کَانَ لَکُمۡ فِیۡ رَسُوۡلِ اللّٰہِ اُسۡوَۃٌ حَسَنَۃٌ لِّمَنۡ کَانَ یَرۡجُوا اللّٰہَ وَ الۡیَوۡمَ الۡاٰخِرَ وَ ذَکَرَ اللّٰہَ کَثِیۡرًا ﴿ؕ۲۱﴾

"हक़ीक़त में तुम लोगों के लिये अल्लाह के रसूल में एक बेहतरीन नमूना (मॉडल) है, हर उस आदमी के लिये जो अल्लाह और आख़िरी दिन की उम्मीद रखता हो और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करे।"

[कुरआन 33:21]


मुहम्मद ﷺ हमारे लिए हर ऐतबार से रोल मॉडल है। इस आयत का तक़ाज़ा भी ये है कि मुसलमान हर मामले में मुहम्मद (ﷺ) की ज़िन्दगी को अपने लिये नमूने की ज़िन्दगी समझें और उसके मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी और किरदार ढालें।


मुहम्मद ﷺ की जिंदगी किन लोगों के लिए नमूना है।

अल्लाह को भूले हुए आदमी के लिये तो मुहम्मद ﷺ ज़िन्दगी नमूना नहीं है, मगर उस शख़्स के लिये ज़रूर नमूना है जो कभी-कभार इत्तिफ़ाक़ से ख़ुदा का नाम लेनेवाला नहीं, बल्कि बहुत ज़्यादा उसको याद करने और याद रखनेवाला हो। इसी तरह ये ज़िन्दगी उस आदमी के लिये तो नमूना नहीं है जो अल्लाह से कोई उम्मीद और आख़िरत के आने की कोई उम्मीद न रखता हो, मगर उस आदमी के लिये ज़रूर नमूना है जो अल्लाह के फ़ज़ल और उसकी मेहरबानियों का उम्मीदवार हो और जिसे ये भी ख़याल हो कि कोई आख़िरत आनेवाली है, जहाँ उसकी भलाई का सारा दारोमदार ही इसपर है कि दुनिया की ज़िन्दगी में उसका रवैया अल्लाह के रसूल (ﷺ) के रवैये से किस हद तक क़रीब रहा है।



By इस्लामिक थियोलॉजी

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