Wuzu (ablution) aur uske fayde

Wuzu (ablution) aur uske fayde


वुज़ू (ablution) और उसके फ़ायदे


بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَٰنِ الرَّحِيمِ
(अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपाशील, अत्यन्त दयावान है)


वुज़ू (ablution) क्या है?

नमाज पढ़ने से पहले शारीरिक शुद्धि (Physical purification = बदन की पाकी) के लिए हाथ-पाँव धोना।


वुज़ू (ablution) क्यों ? 

अल्लाह का आदेश है क्योंकि क़ुरआन में है:


یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡۤا اِذَا قُمۡتُمۡ اِلَی الصَّلٰوۃِ فَاغۡسِلُوۡا وُجُوۡہَکُمۡ وَ اَیۡدِیَکُمۡ اِلَی الۡمَرَافِقِ وَ امۡسَحُوۡا بِرُءُوۡسِکُمۡ وَ اَرۡجُلَکُمۡ اِلَی الۡکَعۡبَیۡنِ ؕ

"ऐ ईमान लाने वालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टख़नों तक धो लो।" [सूरह 05 अल मायेदा आयत 06]


और हदीस में है:

حَدَّثَنَا إِسْحَاقُ بْنُ إِبْرَاهِيمَ الْحَنْظَلِيُّ قَالَ أَخْبَرَنَا عَبْدُ الرَّزَّاقِ قَالَ أَخْبَرَنَا مَعْمَرٌ عَنْ هَمَّامِ بْنِ مُنَبِّهٍ أَنَّهُ سَمِعَ أَبَا هُرَيْرَةَ يَقُولُ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ لَا تُقْبَلُ صَلَاةُ مَنْ أَحْدَثَ حَتَّى يَتَوَضَّأَ قَالَ رَجُلٌ مِنْ حَضْرَمَوْتَ مَا الْحَدَثُ يَا أَبَا هُرَيْرَةَ قَالَ فُسَاءٌ أَوْ ضُرَاطٌ

अबु हुरैरा रज़ि से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया, "जिस को नमाज़ में हदस हो (पाद निकल) जाये तो उसकी नमाज़ बेगैर वुज़ू के क़ुबूल नहीं होती।" हज़रमौत के एक शख्स ने पूछा ऐ अबु हुरैरा हदस क्या है? "पाखाने के रास्ते निकलने वाली आवाज़ या बे आवाज़ वाली हवा" ['Hadith' means the passing of wind] [सही बुख़ारी 135/ कितबुल वज़ू, बग़ैर वुज़ू के नमाज़ क़ुबूल नहीं होती। हदीस नंबर]


वुज़ू की फ़ज़ीलत (Strong Point Of Ablution) 

عَنْ نُعَيْمٍ الْمُجْمِرِ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ رَقِيتُ مَعَ أَبِي هُرَيْرَةَ عَلَى ظَهْرِ الْمَسْجِدِ فَتَوَضَّأَ، ‏‏‏‏‏‏فَقَالَ:‏‏‏‏ إِنِّي سَمِعْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، ‏‏‏‏‏‏يَقُولُ:‏‏‏‏ 

"إِنَّ أُمَّتِي يُدْعَوْنَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ غُرًّا مُحَجَّلِينَ مِنْ آثَارِ الْوُضُوءِ، ‏‏‏‏‏‏فَمَنِ اسْتَطَاعَ مِنْكُمْ أَنْ يُطِيلَ غُرَّتَهُ فَلْيَفْعَلْ"

नुऐम बिन मुजमिर बयान करते हैं कि मैं अबु हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हू के साथ मस्जिद की छत पर चढ़ा। तो आप ने वुज़ू किया और कहा कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुना था कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमा रहे थे कि, "मेरी उम्मत के लोग वुज़ू के निशान की वजह से क़यामत (परलोक) के दिन सफ़ेद पेशानी और सफ़ेद हाथ पैर वालों के रूप में बुलाए जाएंगे। इसलिए तुम में से जो कोई अपनी चमक बढ़ाना चाहता है तो वह बढ़ा ले (यानी अच्छी तरह वुज़ू करे)।" [सही बुख़ारी 136/ किताबुल वुज़ू, वुज़ू के फ़ज़ाएल का बयान]


:عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ

«أَلَا أَدُلُّكُمْ عَلَى مَا يَمْحُو اللهُ بِهِ الْخَطَايَا، وَيَرْفَعُ بِهِ الدَّرَجَاتِ؟» 

:قَالُوا بَلَى يَا رَسُولَ اللهِ قَالَ

«إِسْبَاغُ الْوُضُوءِ عَلَى الْمَكَارِهِ، وَكَثْرَةُ الْخُطَا إِلَى الْمَسَاجِدِ، وَانْتِظَارُ الصَّلَاةِ بَعْدَ الصَّلَاةِ، فَذَلِكُمُ الرِّبَاطُ»

अबु हुरैरा रज़ियल्लाहू अन्हू से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: "क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ से अवगत न कराऊं जिसके माध्यम से अल्लाह पाप को मिटा देता है और दरजात (स्तर) को बुलंद करता है? '' सहाबा ने अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम क्यों नहीं! आप ने फ़रमाया: (i) नागवारयों के बावजूद अच्छी तरह वुज़ू करना, (ii) मस्जिदों तक ज़्यादा क़दम चलना, (iii) एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इंतेज़ार करना, चुनांचे यही रबात (शैतान के ख़िलाफ़ युद्ध की छावनी है।'' [सही मुस्लिम 587/ किताबुत तहारत (पाकी का बयान) हदीस नम्बर]


مِنْكُمْ مِنْ أَحَدٍ يَتَوَضَّأُ فَيُبْلِغُ - أَوْ فَيُسْبِغُ - الْوَضُوءَ ثُمَّ يَقُولُ: أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُ اللهِ وَرَسُولُهُ إِلَّا فُتِحَتْ لَهُ أَبْوَابُ الْجَنَّةِ الثَّمَانِيَةُ يَدْخُلُ مِنْ أَيِّهَا شَاءَ.

तुम में से जो व्यक्ति भी वुज़ू करे और अपने वुज़ू को पूरा करे (यानी अच्छी तरह वुज़ू करे) फिर यह कहे: 

أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُ اللهِ وَرَسُولُهُ

(मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस के बन्दे और रसूल हैं।)

तो उस के लिए स्वर्ग के आठों दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, कि जिस दरवाज़े से चाहे प्रवेश करे। [सही मुस्लिम 553/ किताबुत तहारत]


वुज़ू के फ़ायदे (Wudu's benefits)

इसे दो भागों में विभाजित करने से समझ पाना ज़्यादा सरल होगा।

(i) वुज़ू के रूहानी फ़ायदे (spritual benefit of ablution)

عَنْ عَبْدِ اللَّهِ الصُّنَابِحِيِّ، ‏‏‏‏‏‏أَنّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:‏‏‏‏ إِذَا تَوَضَّأَ الْعَبْدُ الْمُؤْمِنُ فَتَمَضْمَضَ خَرَجَتِ الْخَطَايَا مِنْ فِيهِ، ‏‏‏‏‏‏فَإِذَا اسْتَنْثَرَ خَرَجَتِ الْخَطَايَا مِنْ أَنْفِهِ، ‏‏‏‏‏‏فَإِذَا غَسَلَ وَجْهَهُ خَرَجْتِ الْخَطَايَا مِنْ وَجْهِهِ حَتَّى تَخْرُجَ مِنْ تَحْتِ أَشْفَارِ عَيْنَيْهِ، ‏‏‏‏‏‏فَإِذَا غَسَلَ يَدَيْهِ خَرَجَتِ الْخَطَايَا مِنْ يَدَيْهِ حَتَّى تَخْرُجَ مِنْ تَحْتِ أَظْفَارِ يَدَيْهِ، ‏‏‏‏‏‏فَإِذَا مَسَحَ بِرَأْسِهِ خَرَجَتِ الْخَطَايَا مِنْ رَأْسِهِ حَتَّى تَخْرُجَ مِنْ أُذُنَيْهِ، ‏‏‏‏‏‏فَإِذَا غَسَلَ رِجْلَيْهِ خَرَجَتِ الْخَطَايَا مِنْ رِجْلَيْهِ حَتَّى تَخْرُجَ مِنْ تَحْتِ أَظْفَارِ رِجْلَيْهِ، ‏‏‏‏‏‏ثُمَّ كَانَ مَشْيُهُ إِلَى الْمَسْجِدِ وَصَلَاتُهُ نَافِلَةً لَهُ .

अब्दुल्लाह अस सनाबूहि से रिवायत कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: जब मोमिन बंदा वुज़ू करते हुए "कुल्ली" करता है तो उसके मुंह से गुनाह (पाप) निकल जाते हैं, जब "नाक झाड़ता" है तो उसकी नाक के गुनाह निकल जाते हैं, जब अपना "चेहरा" धोता है तो उसके चेहरे के गुनाह निकल जाते हैं, यहाँ तक कि वह उसकी दोनों आंख के पपूटों से निकलते हैं, फिर जब अपने दोनों "हाथ" धोता है तो उसके हाथ के गुनाह निकल जाते हैं यहां तक ​​कि उसके दोनों हाथों के नाख़ूनों के नीचे से निकलते हैं, फिर जब अपने सिर का "मसह" करता है तो गुनाह उसके सिर से निकल जाते हैं यहां तक ​​कि वह उसके दोनों कानों से निकल जाते हैं फिर जब वह अपने दोनों "पैर" धोता है तो उसके दोनों पैर से गुनाह निकल जाते हैं यहां तक ​​कि उसके दोनों पैरों के नाख़ून के नीचे से निकलते हैं, फिर उसका मस्जिद तक जाना और उसका नमाज़ पढ़ना इसके लिए नफ़िल होता है। [सुनन निसाई 103/ किताबुत तहारत, मसहुल उज़नैन, मुअत्ता इमाम मालिक 58/ किताबुत तहारत, बाब जामे इल वुज़ू ]


عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ: «إِذَا تَوَضَّأَ الْعَبْدُ الْمُسْلِمُ - أَوِ الْمُؤْمِنُ - فَغَسَلَ وَجْهَهُ خَرَجَ مِنْ وَجْهِهِ كُلُّ خَطِيئَةٍ نَظَرَ إِلَيْهَا بِعَيْنَيْهِ مَعَ الْمَاءِ - أَوْ مَعَ آخِرِ قَطْرِ الْمَاءِ -، فَإِذَا غَسَلَ يَدَيْهِ خَرَجَ مِنْ يَدَيْهِ كُلُّ خَطِيئَةٍ كَانَ بَطَشَتْهَا يَدَاهُ مَعَ الْمَاءِ أَوْ مَعَ آخِرِ قَطْرِ الْمَاءِ -، فَإِذَا غَسَلَ رِجْلَيْهِ خَرَجَتْ كُلُّ خَطِيئَةٍ مَشَتْهَا رِجْلَاهُ مَعَ الْمَاءِ - أَوْ مَعَ آخِرِ قَطْرِ الْمَاءِ - حَتَّى يَخْرُجَ نَقِيًّا مِنَ الذُّنُوبِ»

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: जब मोमिन बंदा "वुज़ू" करता है और अपना "चेहरा" धोता है तो पानी (या पानी अंतिम क़तरे) के साथ उसके चेहरे से वह तमाम गुनाह, जिन्हें उसने अपनी आँखों से देखते हुए किया था, नष्ट हो जाते हैं और जब वह अपने "हाथ" धोता है तो पानी (या पानी के अंतिम क़तरे) के साथ वह तमाम गुनाह जो उसके हाथों ने पकड़कर किए थे मिट जाते हैं। और जब वह अपने दोनों "पैर" धोता है तो पानी (या पानी के अंतिम क़तरे) के साथ वे सभी गुनाह, जो उसके पैरों ने चलकर किए थे, नष्ट हो जाते हैं यहां तक ​​कि वह गुनाहों से पाक (मुक्त) होकर निकलता है। [सही मुस्लिम 577/ किताबुत तहारत, मुअत्ता इमाम मालिक 59/ फ़ी जामे इल वुज़ू]


(ii) वुज़ू के चिकत्सीय लाभ (medical benefits of ablution)

मनोवैज्ञानिक रोग विशेषज्ञों के यहां मरीज़ों का तांता बंधा रहता है। पश्चिमी जर्मनी के डिप्लोमा धारक एक फ़ैसलाबाद के फ़िज़ियोथेरेपिस्ट के अनुसार पश्चिमी जर्मनी में एक सेमिनार हुआ जिसका विषय था ''मायूसी (Depression) का इलाज" दवाओं के इलावा और किन-किन तरीक़ों से संभव है? 

'एक डॉक्टर ने अपने शोध पत्र (research paper) में यह आश्चर्यजनक ख़ुलासा किया कि मैंने depression के कुछ रोगियों के रोज़ाना पांच बार मुंह धुलाये तो कुछ समय बाद उनकी बीमारी समाप्त हो गई। फिर ऐसे ही रोगियों के दूसरे समूह के रोज़ाना पांच बार हाथ, मुंह और पैर धुलवाये तो बहुत हद तक फ़ायदा हुआ। डॉक्टर अपने थीसिस में स्वीकार करता है कि मुसलमानों में डिप्रैशन (depression) का रोग कम पाया जाता है क्योंकि वह दिन में कई बार हाथ मुंह और पैर धोते यानी वुज़ू करते हैं।


1. हाथ धोने हिकमतें और लाभ

वुज़ू में सबसे पहले हाथ धोए जाते हैं उसकी हिकमत समझने की ज़रूरत है। विभिन्न चीज़ों में हाथ डालते रहने से हाथों में विभिन्न रासायनिक घटक और कीटाणु लग जाते हैं। अगर पूरे दिन हाथ न धो जाएं तो हाथ निम्नलिखित जिल्दी रोगों से पीड़ित हो सकते हैं: 

(i) हाथों में गर्मी के दाने। 

(ii) त्वचा में सूजन 

(iii) एक्जिमा 

(iv) फफोंदी का रोग

(v) त्वचा का रंग बदल जाना आदि। 

जब हम हाथ धोते हैं उंगलियों के पोरों से किरणें (Rays) निकलकर एक ऐसा क्षेत्र बनाती हैं जिससे हमारा आंतरिक विद्युत प्रणाली गतिशील हो जाता है और एक हद तक विद्युत प्रवाह हमारे हाथों में सिमट आती है इससे हमारे हाथों में हुस्न पैदा होता है।


2. कुल्ली की हिकमतें और लाभ

पहले हाथ धूलने से हाथ किटाणुओं (germs) से पाक हो जाते हैं। अन्यथा यह किटाणु कुल्ली से मुंह और पेट में जाकर कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। आहार के कणों और हवा के माध्यम से अनंत घातक जीवाणु हमारे मुंह और दांतों के लार के साथ चिपक जाते हैं। इसलिए वुज़ू में मिसवाक और कुल्ली से मुंह की बेहतरीन सफ़ाई हो जाती है। अगर मुंह साफ़ न किया जाए तो इन बीमारियों का ख़तरा पैदा हो जाता है।  

(i) एड्स: इस के प्रारंभिक लक्षणों में मुंह का पकना भी शामिल है

(ii) मुंह के किनारों का फटना

(iii) मुंह और होंठ की दाद Moniliasis

(iv) मुंह में फफूंदी रोग और छाले आदि

(साथ ही रोज़ा न हो तो ग़रारा करना भी सुन्नत है। और पाबन्दी से ग़रारा करने वाला टांसिलज़ Tonsil और गले के कई अन्य रोगों यहां तक ​​कि गले के कैंसर से भी सुरक्षित रहता है।


3. नाक में पानी डालने की हिकमतें और लाभ (The advantages and benefits of pouring water into the nose)

फेफड़ों को ऐसी हवा की आवश्यकता होती है जो बैक्टीरिया, धुएं और धूल-धप्पे से मुक्त हो और इसमें 80 प्रतिशत नमी हो जिसका तापमान 90 फारेनहाइट से अधिक हो। ऐसी हवा प्रदान करने के लिए अल्लाह ने हमें नाक की नेअमत से नवाज़ा है। हवा को नम (soggy) बनाने के लिए नाक रोज़ाना लगभग चौथाई गैलन नमी पैदा करती है। सफ़ाई और अन्य कठोर काम नाक के बाल करते हैं। नाक के अंदर एक ख़ुर्दबीन (Microscope = सुक्ष्मदर्शी)

झाड़ू है। उसे झाड़ू में अदृश्य (invisible) यानी नज़र न आने वाले रोएँ होते हैं, जो हवा के माध्यम से प्रवेश करने वाले कीटाणुओं को मार देते हैं। साथ ही इन अदृश्य रोओं के ज़िम्मे और रक्षा प्रणाली (defensive system) भी है। जिसे अंग्रेजी में Lysozyme कहते हैं। नाक उस के माध्यम से आँखों को इन्फ़ेक्शन (Inflection) से सुरक्षित रखती है।

अल हम्दु लिल्लाह वुज़ू करने वाला नाक में पानी चढ़ाता है, जिस से शरीर के इस महत्वपूर्ण उपकरण नाक की सफ़ाई हो जाती है। और पानी के अंदर काम करने वाली विद्युत प्रवाह से नाक के आंतरिक अदृश्य रोओं के प्रदर्शन को मजबूती पहुंचती है और मुसलमान वुज़ू की बरकत से नाक के अनगिनत जटिल रोगों से सुरक्षित हो जाता है। पुराना नज़ला और नाक के ज़ख्म के रोगियों के लिए नाक का स्नान (यानी वुज़ू की तरह नाक में पानी चढ़ाना) बेहद उपयोगी है।


4. चेहरा धोने हिकमतें और लाभ (Face Washing Advantages and Benefits)

आजकल फ़िज़ा (atmosphere) में धुएं आदि के प्रदुषण बढ़ते जा रहे हैं। विभिन्न रसायन तत्व सीसा आदि मैल कुचैल और कूड़े के रूप में आंखों और चेहरे आदि पर जमे रहते हैं। अगर मुंह न धोया जाए तो चेहरा और आंखें कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाएंगी। 

एक यूरोपियन डॉक्टर ने थीसिस लिखा। थीसिस का नाम था "Eye, Water, Health" इसमें उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि ''अपनी आँखें दिन में बार बार धोते रहें अन्यथा आप को ख़तरनाक बीमारियों से ग्रस्त होना पड़ेगा'' चेहरा धोने से मुंह पर कील मुहांसे नहीं निकलते या कम निकलते हैं।

सुंदरता और स्वास्थ्य के विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि "हर तरह की Cream और Lotion आदि चेहरे पर दाग छोड़ते हैं, चेहरे को सुंदर बनाने के लिए चेहरे को कई बार धोना ज़रूरी है'' अमेरिकन काउंसिल फॉर ब्यूटी (American council for beauty) के अग्रणी सदस्य बैचर ने ख़ुलासा किया कि मुसलमानों को किसी प्रकार के रासायनिक लोशन की आवश्यकता नहीं, वुज़ू से धुल कर उनके चेहरे कई बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों (ecologists) का कहना है कि चेहरे की एलर्जी से बचने के लिए उसे बार-बार धोना चाहिए। ऐसा केवल वुज़ू के माध्यम से ही संभव है। वुज़ू में चेहरा धोने से चेहरे का मसाज हो जाता है,

ख़ून का दौरान चेहरे की तरफ़ जारी रहती है, मैल कुचैल उतर जाता है और चेहरे का सौंदर्य दोगुना जाता है। आंखों के अंदर ऐसे रोग की तरफ़ तवज्जुह दिलाता हूँ जो नेत्र स्राव यानी असली नमी या गीलापन कम या ख़त्म हो जाता है और रोगी धीरे धीरे अंधा हो जाता है। चिकित्सा सिद्धांत (medical rules) के अनुसार अगर भवों (eyebrow) को समय समय भिगोया जाता है तो इस भयानक रोग से बचा जा सकता है। वुज़ू करने वाला मुंह धोता है और इस तरह की उसकी भवें तर हो (भीग) जाती हैं । जो ख़ुशनसीब अपने चेहरे पर दाढ़ी सजाते हैं वह इस बात पर विचार करें। डॉक्टर प्रोफ़ेसर जारिल एल के अनुसार मुँह धोने से दाढ़ी में उलझे हुए कीटाणु (जरासीम) बह जाते हैं, जड़ तक पानी पहुँचने से बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं, बाक़ी दाढ़ी में पानी की तरी के ठहराव से गर्दन की मांसपेशियों, थाईराईड (thoiride) ग्लैंड और गले के रोगों से रक्षा होती है।

  

5. दोनों हाथ कोहनी सहित धोने हिकमतें

कोहनी पर तीन बड़ी रगें (केशिकाएं) हैं जिनका संबंध डायरेक्ट दिल, जिगर और दिमाग़ से है और शरीर के यह भाग आमतौर से ढका रहता है अगर इस को पानी और हवा न लगे तो कई मानसिक और तंत्रिका (nervous) रोग उत्पन्न हो सकते हैं।

वुज़ू में कोहनियों सहित हाथ धोने से में, दिल, जिगर और दिमाग़ में ताक़त आयेगी, और वे रोगों से सुरक्षित रहेंगे। इसके इलावा कोहनी सहित हाथ धोने से सीने के अंदर जमा हुए प्रकाश से डायरेक्ट इंसान का सम्बन्ध जुड़ जाता है। और रोशनी का हुजूम एक प्रवाह की शक्ल इख़्तियार कर लेता है। इस प्रक्रिया से हाथों की मांसपेशियां यानी कल पुर्ज़े अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं।


6. सिर और गर्दन पर मसह की हिकमतें और लाभ

सिर और गर्दन के दरमियान حَبۡلِ ٱلۡوَرِيدِ 'हब्लुल वरीद' (jugular vein=गर्दन की नस) स्थित है। इसका संबंध रीढ़ की हड्डी और मेरुदण्ड (हराम मग़ज़) और शरीर के सारे जोड़ों से है। जब वुज़ू करने वाला गर्दन का मसह करता है तो हाथों के माध्यम से विद्युत प्रवाह निकलकर महाधमनी (शहे रग) में जमा हो जाती है और रीढ़ की हड्डी से होती हुई शरीर के सभी तंत्रिका तंत्र (nervous system) में फैल जाती है और तंत्रिका तंत्र (nervous system) को ऊर्जा प्राप्त होती है।

एक साहब फ़्रांस में एक जगह वुज़ू कर रहे थे एक व्यक्ति खड़ा बड़े ध्यान से उन्हें देखता रहा, जब वह वुज़ू से फ़ारिग़ हो गए तो उस व्यक्ति ने उनसे पूछा आप कौन हैं और कहां के रहने वाले हैं? उन्होंने अपना नाम और देश का नाम बताया। उसने पूछा आपके मुल्क में कितने पागलख़ाने हैं? इस अजीबो ग़रीब सवाल पर वह साहब चौंक गए फिर कहा दो, चार होंगे। उसने पूछा अभी आप क्या कर रहे थे ? उन्होंने जवाब दिया वुज़ू। कहने लगा क्या रोज़ाना ऐसा करते हो? उन्होंने कहा हाँ केवल एक बार नहीं बल्कि पांच बार। वह बड़ा हैरान हुआ और बोला- मैं मानसिक चिकित्सालय (Mental Hospital) सर्जन हूँ और पागलपन के कारण पर अनुसंधान (research) मेरा शौक है। research यह है कि दिमाग़ से पूरे बदन में सिग्नल जाते हैं और अंग काम करते हैं हमारा दिमाग़ हर समय Fluid (तरल) के अंदर Float यानी तैराकी कर रहा है इसलिए हम भाग दौड़ करते हैं और दिमाग़ को कुछ नहीं होता। अगर वह कोई Rigid (सख़्त) चीज़ होता तो अब तक टूट चुका होता।

दिमाग़ से कुछ बारीक गैस (मूसल) बन कर हमारी गर्दन के पीछे से पूरे जिस्म को जाती है। अगर बाल बहुत बढ़ा दिए जाएँ और गर्दन के पिछले हिस्से को ख़ुश्क रखा जाए तो इन नसों में रूसी पैदा होने का ख़तरा होता है। और अक्सर ऐसा भी होता है कि इंसान का दिमाग़ काम करना छोड़ देता है और वह पागल हो जाता है।

इसलिए मैंने सोचा कि गर्दन के पिछले हिस्से को दो चार बार ज़रूर तर करना चाहिए। अभी मैंने देखा कि आप ने हाथ धोने के साथ साथ गर्दन के पीछे वाले हिस्से को भी तर किया। वास्तव में आप लोग पागल नहीं हो सकते। इसके इलावा, मसह करने से गर्दन तोड़ से भी बचा जा सकता है।


7. पैर धोने की हिकमतें और लाभ The advantages and benefits of foot washing

पैर सबसे ज़्यादा धूल से लतपत होते हैं पहले पहल Infection पैर उंगलियों के बीच के भाग शुरू होता है। वुज़ू में पैर धोने से धूल-धप्पे और कीटाणु (जरासीम) बह जाते हैं और बचे खुचे कीटाणु पैर की उंगलियों में ख़िलाल करने से निकल जाते हैं जिससे नींद की कमी, दिमाग़ी खुश्की, घबराहट और मायूसी (Depression) जैसे कष्टप्रद रोग दूर होते हैं।


8. मिसवाक की हिकमतें और लाभ (The Advantages and Benefits of Miswak)

वुज़ू में मिसवाक करना सुन्नत है। प्यारे नबी मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मिसवाक का बेहद एहतेमाम फ़रमाते थे। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी उम्मत को भी मिसवाक करने की हिदायत फ़रमाई। हदीस में जगह जगह इस का वर्णन है। एक हदीस में है:

 ‏‏‏‏‏‏عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، ‏‏‏‏‏‏أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، ‏‏‏‏‏‏قَالَ:

"‏‏‏‏ "لَوْلَا أَنْ أَشُقَّ عَلَى أُمَّتِي أَوْ عَلَى النَّاسِ لَأَمَرْتُهُمْ بِالسِّوَاكِ مَعَ كُلِّ صَلَاة

अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, "अगर मुझे इस बात का डर न होता कि मैं अपनी उम्मत या लोगों पर भारी हो जाऊँगा (यानि मेरी उम्मत को तकलीफ़ होगी) तो मैं उन्हें हर नमाज़ के वक़्त मिस्वाक का हुक्म दे देता" [सही बुख़ारी 887/ किताबुल जुमा, सही मुस्लिम 589/ किताबुत तहारत]

मिस्वाक में अनगिनत (बेशुमार) दीनी और दुनियावी फ़ायदे हैं। इसमें कई ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो दांतों को हर तरह की बीमारियों से बचाते हैं। चौथे ख़लीफ़ा अली रज़ियल्लाहु अन्हु और अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा फ़रमाते हैं कि मिसवाक से मेमोरी की ताक़त में इज़ाफ़ा होता है, सिरदर्द (headache) दूर होता है और सिर की नसों को आराम मिलता है। इससे बलग़म दूर होता है, नज़र तेज़ होती है, पेट सही और खाना हज़म होता है, बुद्धि बढ़ती है, बुढ़ापा देर में आता है। 

विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि कभी कभी गर्मी और पेट की अम्लता (acidity) से मुंह में छाले पड़ जाते हैं और इस रोग से विशेष प्रकार के जीवाणु (germs) मुंह में फैल जाते हैं। इसके लिए मुंह में ताजा मिसवाक मलें और लार कुछ देर तक मुंह के अंदर फिराते रहें। इस अमल से कई रोगी ठीक हो चुके हैं । विशेषज्ञों की जांच के अनुसार 80 प्रतिशत रोग पेट और दांतों की ख़राबी से पैदा होते हैं। आमतौर दांतों की सफ़ाई का ध्यान न रखने के कारण मसूड़ों में तरह तरह के रोगाणु (germs=जरासीम) पलते हैं फिर पेट में जाते और तरह तरह के रोगों का कारण बनते हैं।


9. वुज़ू से उच्च रक्तचाप का इलाज (wuzu: a treatment in high blood pressure)

एक हिर्दय विशेषज्ञ (Hearts specialist) का कहना है हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ को वुज़ू कराओ फिर उसका Blood Pressure चेक करो अवश्य कम होगा। एक मुसलमान मनोवैज्ञानिक डॉक्टर का ख़्याल है "मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक रोगों का सबसे अच्छा इलाज वज़ू है।'' पश्चिमी मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ रोगियों को वुज़ू की तरह रोज़ाना दिन में कई बार पानी लगवाते हैं।


10. वुज़ू फ़ालिज की रोकथाम में उपयोगी [wuzu (ablution) Useful in the prevention of paralysis]

वुज़ू में अंग तरतीब के साथ धोए जाते हैं यह भी हिकमत से ख़ाली नहीं, पहले हाथों को पानी में डालने से शरीर का तंत्रिका तंत्र (Nervous system) जाग उठता है और फिर धीरे धीरे चेहरे की नसों की तरफ़ उसके प्रभाव पहुंचते हैं। वुज़ू में पहले हाथ धोने, कुल्ली करने, नाक में पानी डालने, फिर चेहरा और अन्य अंगों के धोने की तरतीब फ़ालिज (paralysis) की रोकथाम के लिए उपयोगी है। अगर चेहरा धोने और मसह करने से शुरुआत की जाये तो शरीर कई बीमारियों से पीड़ित हो सकता है।


आसिम अकरम अबु अदीम फ़लाही

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