Akhirat mein riyakaron ki saza

 

Akhirat mein riyakaaron ki saza

रियाकारी (दिखावे) की सज़ा


1. शहीद का वाक़या

क़ियामत के दिन सबसे पहला शख़्स जिसके ख़िलाफ़ फ़ैसला आएगा, वो होगा जिसे शहीद कर दिया गया। उसे पेश किया जाएगा। अल्लाह उसे अपनी (अता की हुई) नेमत की पहचान कराएगा तो वो उसे पहचान लेगा। 

अल्लाह पूछेगा तूने इस नेमत के साथ क्या किया? 

वो कहेगा: मैंने तेरी राह में लड़ाई की, यहाँ तक कि मुझे शहीद कर दिया गया। 

(अल्लाह) फ़रमाएगा तूने झूट बोला। तुम इसलिये लड़े थे कि कहा जाए: ये (शख़्स) निडर है। और यही कहा गया। फिर उसके बारे में हुक्म दिया जाएगा तो उस आदमी को मुँह के बल घसीटा जाएगा यहाँ तक कि आग में डाल दिया जाएगा


2. आलिम का वाक़या

वो आदमी जिसने इल्म हासिल किया फिर दूसरों को इल्म दिया और क़ुरआन की क़िरअत की, उसे पेश किया जाएगा। 

(अल्लाह) उसे अपनी नेमतों की पहचान कराएगा, वो पहचान कर लेगा। 

अल्लाह कहेगा: तूने उन नेमतों के साथ क्या किया? 

वो फ़रमाएगा: मैंने इल्म हासिल किया और दूसरों को इल्म दिया और तेरी ख़ातिर क़ुरआन की क़िरअत की,

(अल्लाह ) फ़रमाएगा: तूने झूट बोला,  तूने इसलिये इल्म हासिल किया कि कहा जाए (ये) आलिम है। और तूने क़ुरआन इसलिये पढ़ा कि कहा जाए: ये पढ़नेवाला है। 

वो कहा गया, फिर उसके बारे में हुक्म दिया जाएगा, उसे मुँह के बल घसीटा जाएगा यहाँ तक कि आग में डाल दिया जाएगा। 


3. मालदार का वाक़या

वो आदमी जिस पर अल्लाह ने वुसअत की और हर क़िस्म का माल अता किया, उसे लाया जाएगा। 

अल्लाह उसे अपनी नेमतों की पहचान कराएगा, वो पहचान लेगा। 

अल्लाह फ़रमाएगा: तुमने उन में क्या किया? 

कहेगा: मैंने कोई रास्ता नहीं छोड़ी जिस में तुम्हें पसन्द है कि माल ख़र्च किया जाए मगर हर ऐसी राह में ख़र्च किया। 

अल्लाह फ़रमाएगा : तुमने झूट बोला है, तुमने (ये सब) इसलिये किया ताकि कहा जाए, वो सख़ी है। ऐसा ही कहा गया, फिर उस के बारे में हुक्म दिया जाएगा, तो उसे मुँह के बल घसीटा जाएगा, फिर आग में डाल दिया जाएगा।


रावी: अबू हुरैरा رضي الله نه
सहीह मुस्लिम: 4923 (1905) 


सबक:

1. रियाकारी से खुद को बचाए, ये जहन्नम में ले जाने वाला अमल है। 

2. छोटा बड़ा कोई भी अमल खालिस अल्लाह के लिए होना चाहिए। 

3. खुद को सादगी पसंद बनाये जिसमे ज़र्रा बराबर भी दिखावा न हो। 

4. अच्छा कपड़ा, मकान, जूता पहनना दिखावा नहीं है पर दूसरों को हक़ीर समझने से बचे। 

5. दुनिया की झूठी तारीफ़ के लिए आख़िरत की हमेशा की ज़िन्दगी बर्बाद करना अकलमंदी का सौदा नहीं है। 


Posted By Islamic Theology

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