Fazail e sahaba (part-3): sayyadna Usman Gani (RA)

Fazail e sahaba (part-3): sayyadna Usman Gani (RA)


फज़ाइले सहाबा (पार्ट-2)

सय्यदना उसमान ग़नी रज़ियल्लाहु अन्हू के फ़ज़ाइल

उस्मान बिन अफ्फान बिन अबुल आस बिन उमय्या बिन अब्दुल शम्स बिन अब्द मनाफ बिन कुसाई बिन किलाब। इस तरह आपका सिलसिला ए नसब रसूलुल्लाह (ﷺ) में जा मिलता है। मक्का में आमुल फील के 6 साल बाद पैदा हुए यानी 577 इसवी में, नबी (ﷺ) से 6 साल छोटे थे। उस्मान रज़ि० को जुन्नूरैन के लक़ब से याद किया जाता था।

इस आर्टिकल में हम सय्यदना उसमान फ़ारूक़ रज़ियल्लाहु अन्हू की चंद फ़ज़ाइल का ज़िक्र करेंगे क्यूंकि उनकी सख्सियत के बारे में पूरी तफ़सीलात (पूरी ज़िन्दगी) रखना मुमकिन ही नहीं है। तो आइये अहादीस की रौशनी में उनके बारे कुछ बातें जान  लेते है- 


1. अल्लाह की मोहब्बत 

सय्यदना उसमान रज़ि० ने कभी गाना नहीं गया ना उसकी तमन्ना थी, जमाना जाहिलियत में शराब नहीं पी और ना इस्लाम में और जमाना जाहिलियत में ज़िना नहीं की और ना इस्लाम में। अरबी ख़्वातीन बच्चों को लोरियों में कहती क़सम है रहमान की मैं तुमसे बहुत मोहब्बत करती हूं जैसा कि कुरैश उस्मान से करते हैं।

सय्यदना हसन बिन अली रज़ियल्लाहु अन्हुमा के सामने सय्यदना उसमान का ज़िक्र किया गया तो उन्होंने फ़रमाया: ये अमीरुल मोमिनीन (अली रज़ि०) आ रहे हैं, वो तुम्हें बताएँगे। फिर जब अली रज़ि० तशरीफ़ लाए तो फ़रमाया कि उसमान उन लोगों में से हैं जिनके बारे में अल्लाह ताअ़ाला ने फ़रमाया: "वो ईमान लाए और नेक आमाल किए फिर ईमान के साथ तक़वे वाला रास्ता इख्तियार किया, फिर तक़वे और एहसान वाला रास्ता इख्तियार किया और अल्लाह एहसान करने वालों से मुहब्बत करता है।"(सूरह माइदह: 93) [मुसन्नफ़ इब्ने अबी शैबा 54/12, हदीस न०32051 सन्दहू सहीह]


2. किसी भी अमल पर कोई नुकसान नहीं:

हब्शा की तरफ हिजरत करने का शर्फ पहली और दूसरी मर्तबा जिन को हासिल हुआ उन में उस्मान बिन अफ्फान (रज़ि०) और उनकी जौज़ा मोहतरमा रुकैया (रज़ि०) शामिल हैं।

अब्दुर्रहमान बिन समुरह रज़ि० से रिवायत है कि जब रसूलुल्लाह ﷺ जिहाद (जैश उसरह) की तैयारी कर रहे थे तो उसमान (रज़ि०) एक हज़ार दीनार ले आए और रसूलुल्लाह ﷺ की झोली में डाल दिया। मैंने देखा कि आप ﷺ उन्हें झोली में उलट पलट रहे थे और फ़रमा रहे थे: "आज के बाद उसमान जो भी अमल करें उन्हें नुक्सान नहीं होगा।" [जामेअ तिरमिज़ी: 3701, इस्नादहू सहीह]


3. जन्नंती सहाबी 

मर्दों में अबू बक्र, अली और ज़ैद बिन हारिसा (रज़ि०) के बाद चौथे नंबर पर इस्लाम कुबूल करने वाले अबू बक्र (रज़ि०) के हाथ पर ईमान लाए। क्योंकि बुथ परस्ती और बुराई से आपको पहले से नफ़रत थी इसलीए जब उसकी तरह बुलाने वाले मिल गए तो जल्दी इस्लाम क़ुबूल कर लिया।

अबू मूसा अशअरी रज़ि० से रिवायत है कि एक आदमी ने नबी ﷺ के पास आने की इजाज़त मांगी तो आपने फ़रमाया: उसके लिए दरवाज़ा खोल दो और "जन्नत की ख़ुशख़बरी दे दो और ये भी बता दो कि उन्हें एक मुसीबत (और आज़माइश दुनिया में) पहुँचेगी।" दरवाज़े पर उसमान रज़ि०, मैंने उनसे वो बात बता दी, तो उन्होंने ने अल्लाह की तारीफ़ बयान की और कहा अल्लाह मददगार है। [सहीह बुख़ारी: 3693, सहीह मुस्लिम: 2403/6212]


4. सच्ची हया 

सय्यदना उसमान रज़ि० के आली मर्तबत होने की ये वाज़ेह दलील है कि सय्यदुल बशर रसूलुल्लाह ﷺ और फ़रिश्ते भी आपसे हया करते हैं।

अनस बिन मालिक रज़ि० से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: "मेरी उम्मत में सबसे ज़्यादा सच्ची हया वाले उसमान-बिन-अफ़्फ़ान (रज़ि०) हैं।" [जामेअ तिरमिज़ी: 3790, इस्नादहू सहीह]

एक तवील हदीस में ज़िक्र है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने उसमान रज़ि० के बारे में फ़रमाया: "क्या मैं उससे हया ना करूँ जिससे फ़रिश्ते भी हया करते हैं।" [सहीह मुस्लिम: 2401/6209]


5. शहीद:

कूफ़ा से 2000 बसरा से 2000 और मिस्र से 2000 बदमाशों ने ज़िल-कायदा 35 हिजरी में अय्याम हज में मदीना का फ़िर उस्मान रज़ि० का मुहासरा कर लिया। मुहासरा 40 दिन तक रहा। उस्मान रज़ि० के लिए मस्जिद का रास्ता और पानी बंद कर दिया।
बरोज़ जुमा 82 साल की उम्र में 18 ज़िल हज 35 हिजरी सुबह के वक़्त सूरह बक़रह की आयत فَسَيَكْفِيكَهُمُ ٱللَّهُ ۚ وَهُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْعَلِيمُ तिलावत के वक़्त बहाल रोज़ा अल मुह अल असव ने तलवार से हमला किया। आपने हाथ से रोका तो हाथ कट गया। नाइला ने दिफा किया तो सूदान बिन हमरान ने उंगली काट दी, फिर घर लूटा, जेवर उतार लिया, बैतुलमाल लूट लिया। जनाज़ा ज़ुबैर बिन अवाम ने पढ़ाया, उसी रात बाद मग़रिब तदफ़ीन हुई। 

हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि० ने बयान किया कि नबी करीम ﷺ और अबू बक्र, उमर, उसमान (रज़ियल्लाहु अन्हूम) उहुद के पहाड़ पर चढ़े तो (ज़लज़ले की वजह से) उहुद कांपने लगा आप ﷺ ने उस पर पाँव मार कर फ़रमाया: "उहुद ठहरा रह! तेरे ऊपर (इस वक़्त) एक नबी, एक सिद्दीक़ और दो शहीद मौजूद हैं।" [सहीह बुख़ारी: 3697]


नोट: सय्यदना सय्यदना उसमान रज़ियल्लाहु अन्हू के फ़ज़ाइल में और भी अहादीस हैं, यहाँ कुछ ही अहादीस ज़िक्र की गई हैं।


आपका दीनी भाई 
मुहम्मद बिलाल 

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