Miraj Jismani Thi Ya Roohani?

Miraj Jismani Thi Ya Roohani?


मेराज जिस्मानी थी या रूहानी?

कुछ लोगो का कहना है क़ी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मेराज रूहानी हुई थी जिस्मानी नहीं मे मुख़्तसर तहरीर लिखूंगा सिर्फ क़ुरआन को बुनियाद बनाकर बात करेंगे। 

अल्लाह तआला क़ुरआन मे फरमाता है :-

سُبْحَـٰنَ ٱلَّذِىٓ أَسْرَىٰ بِعَبْدِهِۦ لَيْلًۭا مِّنَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ إِلَى ٱلْمَسْجِدِ ٱلْأَقْصَا ٱلَّذِى بَـٰرَكْنَا حَوْلَهُۥ لِنُرِيَهُۥ مِنْ ءَايَـٰتِنَآ ۚ إِنَّهُۥ هُوَ ٱلسَّمِيعُ ٱلْبَصِيرُ

"वह कितनी पाकीजा हसती है जो अपने बंदे को रात के थोड़े से हिस्से में बैतुल हराम से मस्जिद ऐ अक्शा तक जिसके माहौल को हमने बा बरकत बनाया, ले गया ताकि हम कुछ निशानी व अजायीबात का मुशाहिदा करायें बेशक वो बहुत ही सुनने और देखने वाला है।" [सूरह अल इस्रा 01]


पहली दलील: 

इस आयत मे  سبحان का इस अम्र क़ी दलील है क़ी ये ख्वाब या कशफ़ क़ी तरह मामूली वाक़्या  नहीं तस्बीह का लफ्ज़ ही उमूर ऐ अज़ीया के लिए बोला जाता है अगर ये वाक़िया ख्वाब का होता तो कोई बड़ाई या अज़मत क़ी बात ही ना हुई। 

मसलन अगर ये ख्वाब होता तो इसको अल्लाह अज़मत से ताबीर ना देता वरना बन्दे का हवा मे उड़ना आसमान मे सफर करना तो ख्वाब मे भी हो जाता है फिर हैरानी किस बात क़ी


दूसरी दलील: 

इस आयत मे एक लफ्ज़ है  اسریٰ जो क़ी बेदारी के लिए बोला जाता है। जैसा क़ी अल्लाह कुछ क़ुरानी आयतो से हम जानेंगे। 

अल्लाह फरमाता है,

فَاَسۡرِ* بِاَهۡلِكَ بِقِطۡعٍ مِّنَ الَّيۡلِ وَاتَّبِعۡ اَدۡبَارَهُمۡ وَلَا يَلۡـتَفِتۡ مِنۡكُمۡ اَحَدٌ وَّامۡضُوۡا حَيۡثُ تُؤۡمَرُوۡنَ 

"बस आप अपने घर वालों को रात के किसी हिस्से में लेकर निकल जाओ और खुद इनके पीछे-पीछे चलिए और तुम में से कोई मुड़कर ना देखें और बस जहां तुम्हें हुक्म दिया जाता है चले जाओ।" [सूरह हिज्र 65]

इस आयत में अल्लाह अल्लाह ताला लूत अलेहीस्सलाम से कहता है कि तुम अपनी कौम को लेकर चले जाओ रात के किसी हिस्से में इस आयत के अंदर इसरा लफ्ज़ आया है। 

क्या कोई कह सकता है क़ी लूत अलैहिस्सलाम ख्वाब मे गए थे?


इसी तरह दूसरी जगह अल्लाह फरमाता है,

وَلَقَدۡ اَوۡحَيۡنَاۤ اِلٰى مُوۡسٰٓى اَنۡ  اَسۡرِ بِعِبَادِىۡ فَاضۡرِبۡ لَهُمۡ طَرِيۡقًا فِى الۡبَحۡرِ يَبَسًا ۙ لَّا تَخٰفُ دَرَكًا وَّلَا تَخۡشٰى

"और हमने मूसा की तरफ वही भेजी कि हमारे बंदो को रातों-रात निकाल कर ले जाओ इनके लिए दरिया में लाठी मारकर खुश्क रास्ता बना दो फिर तुमको ना तो फ़िरोन के आ पकड़ने को हो होगा और ना गर्क होने का डर।" [सुरह ताहा 77]

हजरत मूसा अलैहिस्सलाम को हुक्म हुआ इस आयत ने भी लफ़्ज़ इसरा आया है क्या कोई यह कह सकता है कि यह मामला ख्वाब में हुआ?


इसी तरह अल्लाह फरमाता है,

فَاَسۡرِ بِعِبَادِىۡ لَيۡلًا اِنَّكُمۡ مُّتَّبَعُوۡنَۙ 

"रातो रात में लेकर निकल पढ़ो तुम्हारा पीछा किया जाएगा।" [सुरह दुखान 23]

क्या कोई कह सकता है यहां पर रात रात निकलना ख्वाब में था क्या ख्वाब में पीछा किया जाता है?

यहां से यह पता चला कि लफ्ज़ इसरा ख्वाब के लिए नहीं बल्कि बेदारी के लिए इस्तेमाल होता है  तो साबित हुआ कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ख्वाब में मैंराज नहीं बल्कि  बेदारी मे गए थे (अल्हम्दुलिल्लाह)


दुआओं में याद रखें


आपका दीनी भाई
मुहम्मद

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...