रजब की रात की इबादत
माह रजब (Rajab) की पहली रात में इशा की नमाज के बाद की जाने वाली इबादत जिसका सवाब- अजाबे कब्र से पनाह, पुल सिरात से बुर्राक रफ़्तार बगैर हिसाब किताब के गुज़रे, अल्लाह तआला एक हज़ार फ़रिश्ते उसकी तरफ भेजता है। जो इसकी नेकियां लिखते हैं। जन्नत में उसके लिए पेड़ लगाते हैं उस रात तक की जाने वाली तमाम खताएं मिटा दी जाती है। नीज़ आइंदा साल तक उसका कोई गुनाह नहीं लिखा जाता।
आइये जानते है ये बात किस हद्द तक सही है।
इस सिलसिले में दो हदीस बयान की जाती है वह मैं आपके सामने रख रहा हूं।
1. पहली हदीस
अनस बिन मालिक से मरवी है,
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
مَنْ صَلَّى الْمَغْرِبَ أَوَّلَ لَيْلَةٍ مِّنْ رَّجَبَ ثُمَّ صَلَّى بَعْدَهَا عِشْرِينَ رَكْعَةً، يُقْرَأُ فِي كُلِّ رَكْعَةٍ بِفَاتِحَةِ الْكِتَابِ وَقُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ مَّرَّةٌ، وَيُسَلِّمُ فِيهِنَّ عَشْرَ تَسْلِيمَاتٍ، أَتَدْرُونَ مَا ثَوَابُهُ؟ فَإِنَّ الرُّوحَ الأمِينَ جِبْرِيلَ عَلَّمَنِي ذَلِكَ قُلْنَا : الله وَرَسُولُهُ أَعْلَمُ قَالَ : حَفِظَهُ اللَّهُ فِي نَفْسِهِ وَمَالِهِ وَأَهْلِهِ وَوَلَدِهِ وَأُجِيرَ مِنْ عَذَابٍ الْقَبْرِ وَجَازَ عَلَى الصِّرَاطِ كَالْبَرْقِ بِغَيْرِ حِسَابٍ وَّلَا عَذَابٍ
यह नमाज मुझे रूहुल अमीन ने सिखाई है।
हमने अर्ज किया अल्लाह और उसके रसूल ही बेहतर जानते हैं।
आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया: "अल्लाह ताला उसके जान व माल अहल ओ अयाल की हिफाजत फरमाएगा। उसे अजाबे कब्र से पनाह होगी, पुल सिरात से बुर्राक रफ़्तार बगैर हिसाब किताब के गुज़रेगा।"
[अल मोज़ूआत ला इब्ने जोज़ी 2/434 हदीस 1006]
खुलासा: झूठी सनद है।
(01) अबू तय्यब ताहिर बिन हसन मतुई की तोसीक चाहिए।
(02) अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद बिन याक़ूब अबू मुहम्मद हारसी मतरुक व मुतहम है।
(03) मुहम्मद बिन कासिम का ताय्यून नहीं हो सका मुमकिन है ये इब्ने मजमा बल्ख़ी हो।
⏹ इमाम इब्ने हिब्बान कहते हैं:
"अहले खुरासान ने इससे ऐसी हदीसे बयान की है, जिन्हे लिखना ही जाएज़ नहीं तो अमल कैसे जाएज़ है?"
[किताब मजरूहीन 2/330]
⏹ इमाम हाकिम फरमाते हैं:
"मनगढ़त हदीसे बयान करता है।"
[अल मदखली इला असहीह 1/244 हदीस 195]
2. दूसरी हदीस
इस टॉपिक पे दूसरी हदीस आपके सामने पेश करने की कोशिश करूँगा और मुहद्दसीन ने इस हदीस को क्या कहा जानने की कोशिश करेंगे।
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि अन्हु बयान करते हैं,
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
"जो 15 रजब की रात 14 रकात अदा करता है। हर रकात में एक मर्तबा सूरह फातिहा 20 मर्तबा सूरह इखलास और तीन तीन मर्तबा मुअव्वज़ातेन (सूरह नास, सूरह फलक़, सूरह इखलास ) पढ़ता है। फ़ारिग होने के बाद मुझे 10 मर्तबा बाद अज़ान सुब्हान अल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर और ला इलाहा इल्लल्लाह की 30 मर्तबा तस्बीह करता है तो अल्लाह तआला एक हज़ार फ़रिश्ते उसकी तरफ भेजता है। जो इसकी नेकियां लिखते हैं। जन्नत में उसके लिए पेड़ लगाते हैं उस रात तक की जाने वाली तमाम खताएं मिटा दी जाती है। नीज़ आइंदा साल तक उसका कोई गुनाह नहीं लिखा जाता।"
[अल मोज़ूआत ला इब्ने जोज़ी 2/438,439 ]
खुलासा: झूठी हदीस है।
⏹ इमाम इब्ने जोज़ी कहते हैं:
هذَا مَوْضُوعٌ وَرُوَاتُهُ مَجْهُولُونَ، وَلَا يَخْفَى تَرْكِيبُ إِسْنَادِهِ وَجَهَالَةُ رِجَالِهِ
"मनगढ़त है रावी मजहूल हैं। सनद का बनावटी और रावियों का मजहूल होना मखफी (छुपा ) नहीं।"
[अल मोज़ुआत 2/439]
⏹ इमाम शोकानी रहिमाउल्लाह फरमाते हैं:
"हदीस मनगढ़त है।"
[अल फवाईद उल मजमुआ 50]
⏹ इमाम इब्ने हजर असक़ालानी रहिमाउल्लाह फरमाते हैं:
"हदीस बातिल (बे बुनियाद ) है।"
[तबीन उल अजब 37]
लिहाज़ा ये हदीस झूठी है।
अल्लाह हमें सहीह हदीस पे अमल करने की तौफ़ीक़ दे
मुहम्मद
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