Allah Apni Makhlooq Tak Kaise Paigham Pahunchata Hai?

Allah Apni Makhlooq Tak Kaise Paigham Pahunchata Hai?


अल्लाह अपनी मखलूक तक कैसे पैगाम पहुंचाता है?


अल्लाह अपनी मखलूक (creation) को "वही" (Revelation) के द्वारा अपना पैगाम देता है। तो आइए हम वही (Revelation) को समझते है कि आख़िर वही (Revelation) क्या होती है?


वही (Revelation) लफ़्ज़ के मानी हैं छिपे हुए और हल्के इशारे के जिसे इशारा करनेवाले और इशारा पानेवाले के सिवा कोई और महसूस न कर सके। इसी हिसाब से ये लफ़्ज़  इल्क़ा  (दिल में बात डाल देने) और  इल्हाम  (छिपे तरीक़े से तालीम और नसीहत करना) के मानी में इस्तेमाल होता है। अल्लाह अपनी मख़लूक़ (सृष्टि) को जो तालीम देता है वो चूँकि किसी स्कूल और मदरसे में नहीं दी जाती, बल्कि ऐसे ग़ैर-महसूस तरीक़ों से दी जाती है कि बज़ाहिर कोई तालीम देता और कोई तालीम पाता नज़र नहीं आता, इसलिये इसके लिये क़ुरआन में वही (Revelation), इल्हाम और इल्क़ा के अलफ़ाज़ इस्तेमाल किये गए हैं। 

आसमानों और जमीन को उनके काम करने का तरीका भी अल्लाह उन्हें वही (Revelation) के जरिए बताता है। जैसा की अल्लाह ने कुरआन में कहा कि आसमानों पर भी वही (Revelation होती है जिसके मुताबिक़ उनका सारा निज़ाम चलता है,  


يَوْمَيْنِ وَأَوْحَىٰ فِى كُلِّ سَمَآءٍ أَمْرَهَا ۚ
"और हर आसमान में उसका काम (कानून) वही (Revelation) कर दिया।"
[कुरआन 41: 12]

ज़मीन पर भी वही (Revelation) होती है जिसका इशारा पाते ही वो अपनी आप-बीती सुनाने लगती है।  

يَوْمَئِذٍۢ تُحَدِّثُ أَخْبَارَهَا- بِأَنَّ رَبَّكَ أَوْحَىٰ لَهَا
"उस दिन वो (ज़मीन) अपने हालात बयान करेगी, क्योंकि इस बात की तेरे रब ने उसपर वही (Revelation) की होगी।"
[कुरआन 99: 4-5]

 

फ़रिश्तों पर भी वही (Revelation) होती है जिसके मुताबिक़ वो काम करते हैं-  


إِذْ يُوحِى رَبُّكَ إِلَى ٱلْمَلَـٰٓئِكَةِ أَنِّى مَعَكُمْ
"जब तेरे रब की तरफ़ से फ़रिश्तों पर वही (Revelation) की गई कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
[कुरआन 8: 12]


अल्लाह की जितनी भी जानदार मखलूक है उन सब पर भी वही (Revelation) होती है। जैसा कि अल्लाह ने कुरआन में शहद की मख्खी के बारे में कहा है कि,


 -وَأَوْحَىٰ رَبُّكَ إِلَى ٱلنَّحْلِ أَنِ ٱتَّخِذِى مِنَ ٱلْجِبَالِ بُيُوتًۭا وَمِنَ ٱلشَّجَرِ وَمِمَّا يَعْرِشُونَ
ثُمَّ كُلِى مِن كُلِّ ٱلثَّمَرَٰتِ فَٱسْلُكِى سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًۭا ۚ يَخْرُجُ مِنۢ بُطُونِهَا شَرَابٌۭ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَٰنُهُۥ فِيهِ شِفَآءٌۭ لِّلنَّاسِ ۗ إِنَّ فِى ذَٰلِكَ لَـَٔايَةًۭ لِّقَوْمٍۢ يَتَفَكَّرُونَ
"और देखो, तुम्हारे रब ने शहद की मक्खी पर ये बात वही (Revelation) कर दी कि पहाड़ों में, और पेड़ों में, और टट्टियों पर चढ़ाई हुई बेलों में अपने छत्ते बना और हर तरह के फलों का रस चूस और अपने रब की हमवार की हुई राहों पर चलती रह। इस मक्खी के अन्दर से रंग-बिरंग का एक शरबत निकलता है जिसमें शिफ़ा (इलाज) है लोगों के लिये। यक़ीनन इसमें भी एक निशानी है उन लोगों के लिये जो सोच-विचार करते हैं।"
[कुरआन 16:68-69]


शहद की मक्खी को उसका पूरा काम वही (Revelation) के ज़रिए से सिखाया जाता है, जैसा कि इस आयत में आप देख रहे हैं और ये वही (Revelation) सिर्फ़ शहद की मक्खी ही को नहीं की जाती, बल्कि मछली को तैरना, परिन्दों को उड़ना, नवजात बच्चों को दूध पीना भी अल्लाह की वही (Revelation) ही सिखाया करती है। फिर एक इन्सान को सोच-विचार, जाँच-पड़ताल और खोजबीन के बिना जो सही तदबीर या सही राय या सोचने व अमल करने की सही राह सुझाई जाती है। वो भी वही (Revelation) है,


وَأَوْحَيْنَآ إِلَىٰٓ أُمِّ مُوسَىٰٓ أَنْ أَرْضِعِيهِ ۖ
"और हमने मूसा की माँ को वही (Revelation) की कि उसको दूध पिला।" 
[कुरआन 28: 7] 


और इस वही (Revelation) से कोई इन्सान भी महरूम नहीं है। दुनिया में जितनी भी खोजें हुई हैं, जितनी फ़ायदेमंद ईजादें हुई हैं, बड़े-बड़े इन्तिज़ाम और तदबीर करनेवालों, जीत हासिल करनेवालों, ग़ौर-फ़िक्र करनेवाले (चिन्तकों) और लिखनेवालों ने जो कारनामे अंजाम दिये हैं उन सबमें यही वही (Revelation) काम करती नज़र आती है, बल्कि आम इन्सानों को आए दिन इस तरह के तजुर्बे होते रहते हैं कि कभी बैठे-बैठे दिल में एक बात आई, कोई तदबीर सूझ गई, या सपने में कुछ देख लिया, और बाद में तजुर्बे से पता चला कि वो एक सही रहनुमाई थी, जो ग़ैब से उन्हें मिली थी। ये सब चीजें भी अल्लाह की तरफ से ही होती है।

वही (Revelation) की बहुत-सी क़िस्मों में से एक ख़ास तरह की वही (Revelation) वो है जिससे पैग़म्बर (अलैहि०) नवाज़े जाते हैं और ये वही (Revelation) अपनी ख़ूबियों में दूसरी क़िस्मों से बिलकुल अलग होती है। इसमें वही (Revelation) किये जानेवाले को अच्छी तरह मालूम होता है कि ये वही (Revelation) ख़ुदा की तरफ़ से आ रही है। उसे उसके अल्लाह की तरफ़ से होने का पूरा यक़ीन होता है। उसमें अक़ीदे, हुक्म, क़ानून और हिदायतें सब शामिल होती हैं और उसे उतारने का मक़सद ये होता है कि नबी उसके ज़रिए से इन्सानों को सीधा रास्ता दिखाए।

ये वही के आने की वो शक्ल है जिसके ज़रिए से तमाम आसमानी किताबें नबियों (अलैहि०) तक पहुँची हैं। 

कुरआन में कहा गया कि:


وَ مَا کَانَ  لِبَشَرٍ اَنۡ یُّکَلِّمَہُ اللّٰہُ  اِلَّا وَحۡیًا اَوۡ مِنۡ وَّرَآیِٔ حِجَابٍ اَوۡ یُرۡسِلَ رَسُوۡلًا فَیُوۡحِیَ بِاِذۡنِہٖ مَا یَشَآءُ ؕ اِنَّہٗ عَلِیٌّ  حَکِیۡمٌ
"किसी इन्सान का ये मक़ाम नहीं है कि अल्लाह उससे आमने-सामने बात करे। उसकी बात या तो वही (Revelation) के तौर पर होती है, या परदे के पीछे से, या फिर वो कोई पैग़ाम पहुँचानेवाला (फ़रिश्ता) भेजता है और वो उसके हुक्म से जो कुछ चाहता है, वही (Revelation) करता है,  वो सबसे बुलन्द और हिकमतवाला है।"
[कुरआन 42:51]


[कुरआन 12: 4, 100; 37: 102] यहाँ वही से मुराद है इलक़ा, इलहाम, दिल में कोई बात डाल देना, या ख़्वाब में कुछ दिखा देना, जैसे हज़रत इबराहीम (अलैहि०) और हज़रत यूसुफ़ (अलैहि०) को दिखाया गया।


[कुरआन 20: 11-48; 27: 8-12; 28: 30-35] अल्लाह की बात का परदे के पीछे से होने से मुराद ये है कि बन्दा एक आवाज़ सुने, मगर बोलनेवाला उसे नज़र न आए, जिस तरह हज़रत मूसा (अलैहि०) के साथ हुआ कि तूर के दामन में एक पेड़ से यकायक उन्हें आवाज़ आनी शुरू हुई, मगर बोलनेवाला उनकी निगाह से ओझल था।


अल्लाह इंसानों की हिदायत के लिए पैगंबरों को भेजता है, जो अल्लाह का पैगाम इंसानों तक पहुंचाते है। और अल्लाह पैगंबरों तक अपना पैगाम वही (Revelation) के जरिए ही पहुंचाता है। जैसा कि अल्लाह ने कुरआन में बताया है कि:


کَذٰلِکَ یُوۡحِیۡۤ  اِلَیۡکَ وَ اِلَی الَّذِیۡنَ مِنۡ قَبۡلِکَ ۙ اللّٰہُ  الۡعَزِیۡزُ  الۡحَکِیۡمُ 
"इसी तरह ग़ालिब और हिकमतवाला अल्लाह तुम्हारी तरफ़ और तुमसे पहले गुज़रे हुए (रसूलों) की तरफ़ वही (Revelation) करता रहा है।"
[कुरआन 42:3]


मक्का के लोगों का ख़याल था कि ये वही (Revelation) निराली बातों में से हैं, इसपर कहा गया है कि ये निराली बातें नहीं हैं, बल्कि मुहम्मद (सल्ल०) से पहले जितने नबी आए हैं, उन सबको भी ख़ुदा की तरफ़ से यही कुछ हिदायतें दी जाती रही हैं।


हजरत मुहम्मद (सल्ल०) मक्का के लोगों से कहते थे कि ये ख़ुदा का कलाम है जो मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। और लोग उनके जवाब में कहते थे कि,

  • ये बात आख़िर कैसे मान ली जाए? 
  • क्या ख़ुदा आपके पास आता है? 
  • या आप ख़ुदा के पास जाते है? 
  • या आपकी और ख़ुदा की बातचीत होती है? 

इन्हीं चर्चाओं और अटकलों पर बज़ाहिर ख़ुदा के रसूल को ख़िताब करते हुए, मगर असल में इस्लाम-मुख़ालिफ़ों को सुनाते हुए कहा गया है कि हाँ, यही बातें ख़ुदा ज़बरदस्त और हिकमतवाला वही (प्रकाशना) कर रहा है और यही बातें लिये हुए उसकी वही पिछले तमाम नबियों पर उतरती रही है। वही के लफ़्ज़ी मानी हैं  तेज़ इशारा  और  छिपा हुआ इशारा, यानी ऐसा इशारा जो तेज़ी के साथ इस तरह किया जाए कि बस इशारा करनेवाला जाने या वो शख़्स जिसे इशारा किया गया है, बाक़ी किसी और शख़्स को उसका पता न चलने पाए। इस लफ़्ज़ को इस्लामी ज़बान में उस हिदायत के लिये इस्तेमाल किया गया है जो बिजली की कौंध की तरह अल्लाह की तरफ़ से उसके किसी बन्दे के दिल में डाली जाए। 

अल्लाह के फ़रमान का मक़सद ये है कि अल्लाह के किसी के पास आने या उसके पास किसी के जाने और आमने-सामने बात करने का कोई सवाल पैदा नहीं होता। वो ग़ालिब और हिकमतवाला है। और अल्लाह इससे बहुत बाला व बरतर है कि किसी इन्सान से आमने-सामने बात करे और उसकी हिकमत इससे बेबस नहीं है कि अपने किसी बन्दे तक अपनी हिदायतें पहुँचाने के लिये आमने-सामने बातचीत करने के सिवा कोई और तदबीर निकाल ले। इन्सानों की हिदायत और रहनुमाई के लिये जब भी वो किसी बन्दे से राबता करना चाहे, कोई दुश्वारी उसके इरादे की राह में आड़े नहीं आ सकती और वो अपनी हिकमत से इस काम के लिये वही (Revelation) का तरीक़ा अपना लेता है।


وَ الَّذِیۡۤ  اَوۡحَیۡنَاۤ  اِلَیۡکَ  مِنَ الۡکِتٰبِ ہُوَ الۡحَقُّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَیۡنَ یَدَیۡہِ ؕ اِنَّ اللّٰہَ بِعِبَادِہٖ  لَخَبِیۡرٌۢ  بَصِیۡرٌ
"(ऐ नबी) जो किताब (यानी कुरआन) हमने तुम्हारी तरफ़ वही (Revelation) के ज़रिए से भेजी है वही हक़ है, तस्दीक़ करती हुई आई है उन किताबों की जो इससे पहले आई थीं बेशक अल्लाह अपने बन्दों के हाल से बाख़बर है और हर चीज़ पर निगाह रखनेवाला है।"
[कुरआन 35:31]

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...