Nikah (Part-3) Ladka aur Ladki ka intekhab

Nikah (Part-3) Ladka aur Ladki ka intekhab


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निकाह के लिए लड़का और लड़की का इंतेखाब कैसे करें ?


निकाह और तलाक़ ये इंसानों के अपने फैसले हैं, जो बदले भी जा सकते हैं। नबी करीम ﷺ से सहाबियात और सहाबा निकाह के लिए मशवरा लेने आते और नबी करीम ﷺ उन्हें मशवरा देते थे, नबी करीम ﷺ ने हमसफर के इंतेखाब का एक मयार बताया और उसी मयार के मुताबिक़ निकाह के लिए हमसफर का इंतेखाब करना चाहिए। तो आइये देखते क्या है वो मयार:


लड़के के इंतेखाब में इस्लाम का मयार:


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"जब तुम्हें कोई ऐसा शख़्स निकाह का पैगाम दे, जिसकी दीनदारी और अख्लाक से तुम्हें इत्मीनान हो तो, इससे निकाह कर दो अगर ऐसा नहीं करोगे तो ज़मीन में फितना और फसाद बरपा होगा।" [जामे तिर्मिज़ी:1084]

इस हदीस में पोशीदा हिम्मत को समझें, जब नौजवान मर्द और औरत बिना निकाह के रहते हैं तो बुराई फैलने के अंदेशे ज़्यादा होते हैं। हो सकता है जिस लड़की के लिए रिश्ता आया हो वो भी यही चाहती हो लेकिन घर वालों की रज़ा में राज़ी हो गई हो। दूसरी बात ये भी है कि बीवियां अपने शौहरों की पाबंद होती हैं और अगर उनका शौहर दीनदार ना हुआ तो उन लड़कियों का पूरी तरह से ईमान पे क़ायम रख पाना मुश्किल होगा।


लड़की की रजामंदी की हैसियत: 


जब कोई अपनी बहन और बेटियों के लिए आए तो उनकी रज़ा के बगैर नहीं करें, 

नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"इनका (लड़की) इनकी इजाज़त के बगैर निकाह ना करो।" [सहीह बुखारी:5386]


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: 

"जब कोई शख्स अपनी बेटी का निकाह करना चाहे तो उससे इजाज़त ले ले।" [मुसनद अबु याला: 7229]


लड़की की रज़ा कैसे पता चलेगी?


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"कुंवारी लड़की का निकाह उस वक्त तक ना किया जाए जब तक उसकी इजाज़त ना मिल जाय, लोगों ने कहा वो इजाज़त कैसे देगी? नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया उसकी ख़ामोशी उसकी रजामंदी है।" [सहीह बुखारी: 6970]


"ख़न्सा-बिन्ते-ख़िज़ाम अन्सारिया (रज़ि०) के वालिद ने उनका निकाह कर दिया था वो शौहरदीदा थीं, उन्हें ये निकाह मंज़ूर नहीं था इसलिये रसूलुल्लाह (सल्ल०) की ख़िदमत में हाज़िर हुईं। नबी (सल्ल०) ने इस निकाह को रद्द कर दिया।" [सहीह बुखारी:5138]


लड़की के निकाह में वली की हैसियत:


वली (male relatives) जैसे: वालिद, और अगर वालिद नहीं है तो चाचा, ताया, दादा, मामू और आकिल और बालिग भाई और ये रिश्ते नहीं तो कोई जिम्मेदार मुसलमान जैसे काज़ी, खलिफा। 


 नबी करीम ﷺ ने फरमाया:

"वली के बगैर निकाह नहीं" [जामे तिर्मिज़ी:1101]


नबी करीम ﷺ ने फरमाया: 

"जिस औरत ने अपने वली की इजाजत के बगैर निकाह किया तो इसका निकाह बातिल है, इसका निकाह बातिल है, इसका निकाह बातिल है।" [जामे तिर्मिज़ी:1102]


इसके पीछे की हिम्मत को समझें आप एक औरत हैं निकाह के बाद बच्चे होंगे उस इंसान की ज़िम्मेदारी बड़ेगी तो वो आप लोगों से दस्तबरदरी के लिए किए हुए निकाह झूठा बता देगा। आप ख़ुद सोचे जो आप घर अपने रिश्ते का पैग़ाम नहीं भेजा, आपको घर भागने पे आमादा कर दिया वो ज़िम्मेदारी निगायेगा। और आपने भी अल्लाह और उसके रसूल की ना फरमानी कर रही हैं। आप जितने उसके साथ रही, यानि गुनाह किया है।


लड़की के इंतेखाब में इस्लाम का मयार:


नबी करीम ﷺ ने फरमाया:

"औरत से चार चीजों की वजह से शादी की जाती है, यानि इसका माल और इसका खानदान, इसका हुस्न और इसका दीन, लिहाज़ तुम दीनदार औरत से निकाह करो वरना तुम खसारे में रहोगे।" [सहीह बुखारी:5090]


दीनी औरत से निकाह पे क्यों ज़ोर ज़ोर दिया गया है, क्योंकि एक औरत ही आने वाली नस्लों की तरबियत करती है शौहर बीवी का रिश्ता ऐसा है जिसमें सबसे ज़्यादा कुरबत (closeness) होती है ज़ाहिर दोनों के तर्ज़े अमल का एक दूसरे पे असर होगा।


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"बेहतरीन माल ये है कि उसकी बीवी ऐसी मोमिना औरत हो जो  उसके ईमान को पुख़्तातर बनाने  में मददगार हो।" [तिर्मिज़ी:3094]


नेक बीवी कामिल ईमान में मददगार साबित होती है। 


हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रजी०) से रियायत है की नबी करीम ﷺ ने फरमाया:

"दुनिया एक मता ’अ (कुछ वक्त के लिए फायदा उठाने की चीज़) है और दुनिया की बेहतरीन मता’अ नेक औरत (बीवी) है।" [सहिह मुस्लिम:3649]


दुनिया आरज़ी ठिकाना है लेकिन उसमें नेक बीवी बेहतरीन समान है। लेकिन आज औरत इंतेखाब हुस्न और जमाल, आसरी और दौलत के बिना पे हो रहा है। तालीम को अहमियत दे लेकिन दीन को तरजीह दें।


हमारी गुजारिश: 


ये गुजारिश इंशा अल्लाह आपके ही हक़ में बेहतर साबित होगी और हमारी पहली गुजारिश:

1. वालीदैन से गुजारिश: अगर आप बेटी के मां बाप हैं तो बराए महरबानी अपनी बच्चियों को ये कभी ना कहा करें कि तुम पराई अमानत हो। अपनी बच्चियों को अपनी बेटी ही बना कर परवरिश करें। उन्हें तमीज, तहज़ीब और तालीम इसलिए ना दे कि उसने किसी और घर जाना है या जॉब करना है बल्कि इस लिए उसे मुस्तकबिल में आने वाली नस्लों की तरबियत करनी है। इस तरह लडकियां निकाह की अहमियत और अपने वकार और अपनी जिम्मेदारी को समझ पाएंगी।

और अगर आप बेटो के मां बाप हैं तो बराए महरबानी उसे तमीज, तहज़ीब और तालीम से इस लिए महरूम ना रखें कि इसने कहां जाना ये यहीं रहेगा और सिर्फ़ कमाने पे ही ना लगा दें। निकाह के रिश्ते को निबाहने और आने वाली नस्लों की तरबियत में मर्द का भी उतना किरदार होता है जितना की औरत का होता है। और इस रिश्ते में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने औरत को तो मर्द का पाबंद बनाया है लेकिन मर्दों के लिए,  


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"तुम में सबसे बेहतरीन वो है जो अपनी बीवी के लिए बेहतर हो और मैं तुम में अपनी बीवियों के लिए बेहतरीन हूं।" [सुन्न इब्ने माजा:1977]


2. लड़कियों से गुजारिश: अगर कोई भी इंसान नेक ही क्यों ना हो आपको ख़ुद ही निकाह के लिए approach करे तो बराए महरबानी उसकी बातों पे यकीन करने के बजाए उससे बोलें कि वो आपके वली से बात करे। और अगर आपके लिए, आपके मुताबिक कोई पैगाम आए तो आप उस बारे सोचना ना शुरु हो जाय क्योंकि आगे क्या होना है ये किसे पता और आप लड़की हैं तो आपके लिए बहुत से पैगाम आएंगे और बहुत लोग तो कमियां भी तलाशगे किसी भी तरह की बातों को अपने आप से ना मंसूब किया करें।

निकाह के लिए बा अख्लाक को ही तरजीह दें, क्योंकि वो अपनी मर्ज़ी मुसल्लत करने से पहले आपके नज़रिए को समझने की भी कोशिश करेगा। और उसके मुताबिक उसका तर्ज़े अमल होगा। 

और अगर आपने दौलतमंद को फौकियत दी तो जब तक उसके पास दौलत रहेगी तब तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलेगा लेकिन जब दौलत कमी आने लगेगी तो उसका तर्ज़े अमल एक दम से बदल जाएगा और उससे सबसे कौन मुतासिर होगा?

और ख़ुद को इस्लाम के बताए मयार के मुताबिक़ बनाएं ताकि आपका निकाह जहेज़ के भरोसे पे ना हो। और सही वक्त पे हो जाय (इंशा अल्लाह)।


3. लड़को से गुजारिश: अगर आपको कोई लड़की इस्लाम के मयार के मुताबिक़ पसंद आए तो बराये महरबानी आप उससे निकाह के लिए उससे बात करने के बजाए उसके वली से बात करें।

दुसरा ये कि निकाह के लिए दीन को ही फौकियत दें ये हरगिज़ ना सोचें कि आप उसकी तरबियत करके दीन की जानिब मुतवज्जा कर सकते हैं। देखें! हिदायत देने वाली जात सिर्फ और सिर्फ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की है क्या अल्लाह कोई और ये जनता है कि कौन हिदायत पाएगा। आप सिर्फ़ अपने लिए बीवी ही नहीं बल्कि आने वाली नस्लों के लिए एक दर्सगाह का इंतेखाब कर रहे हैं। नेक औलाद ही सदका जारिया बनेगी।


नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया:

"जिसे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने नेक बीवी अता की हो, गोया उसके आधे दीन की तकमील पे उसकी मदद की हो।" [सहीह अत तरगीब वत तरहीब: 1916]


अल्लाह रब्बुल इज़्जत से दुआ करती हूं कि अल्लाह हमें दीन पर अमल करने की तौफीक दे

आमीन या रब-उल आलमीन 

जज़ाक अल्लाह खैर

- अहमद बज़्मी 

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