Love Trap Ka Plan step By step

 
Love Trap Ka Plan step By step


इस तरह अंजाम दिया जाता है लवट्रैप

ऐ उम्मते मुहम्मदी क्या तुमको ख़बर है कि मुख़ालिफ़ीन तुमको नेस्त-ओ-नाबूद कर देने पर किस क़दर आमादा हैं, क्या तुम जानते हो कि मुख़ालिफ़ीन ने तुम्हारे ख़िलाफ़ अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया है.. अगर नहीं तो पढ़िए ये तहरीर जो लव ट्रैप में पकड़ी गई लड़कियों और फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल के ज़रिए साजिश करने वालों के बीच घुस कर ली गई जानकारी की बुनियाद पर लिखी गई है, और समझ लीजिए कि आपके पास अपनी नस्लों को बचाने का ये आख़िरी मौक़ा क्यों है, अगर आप आज भी नहीं जागे तो फिर आपकी ये नींद जहन्नम में ही टूटेगी। 


1. लव ट्रैप का पहला क़दम

 ग़ैर मुस्लिम सहेलियों, पड़ौसियों, ऑनलाइन डिलीवरी बॉय, मोबाइल रिचार्ज शॉप या मुस्लिमों से किसी भी ज़रिये ताल्लुक़ात रखने वाले ग़ैर मुस्लिमों के ज़रिए मुस्लिम लड़कियों का फ़ोन नम्बर,फोटो और उनकी फ़ैमिली इंफॉर्मेशन ख़ामोशी से कलेक्ट की जाती है फिर वो तमाम मालूमात विशेष संघठन के ट्रेंड किये हुए उन लड़कों तक पहुंचाई जाती है जो लड़की से कुछ दूरी के रहने वाले होते हैं ना कि एकदम पड़ौसी...और वो तमामतर लड़के लोअर स्टेटस के होते हैं जिनको हाई स्टेटस से पैसा और तमाम सहूलतें मुहैय्या कराई जाती हैं, या फिर कॉलेज व जॉब करने वाली मुस्लिम लड़कियों के साथ उन जगहों पर मौजूद लड़के पहले बातचीत व दोस्ती के ज़रिए उनके मोबाइल नम्बर हासिल करते हैं


2. दूसरा क़दम 

फिर उन नंबरो के ज़रिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शुरू होता है दुआ सलाम और हाय हेलो.. फिर ये बढ़ता हुआ आता है उन लड़कियों के हुस्न की तारीफ़ और उन लड़कों का मुस्लिम कल्चर को पसंद करने की सिखाई गई झूठी बात तक.. और ये हुस्न की तारीफ़ जिसके लिए आज बेशुमार मुस्लिम लड़कियाँ इस दर्जा पागल हैं कि उसके बदले में उनको खिंजीर भी खिला दिया जाए तो एक बार उफ़्फ़ न करेंगी और इस खेल में सोशल मीडिया पर मुस्लिम लड़कियाँ ख़ुद बड़ी तादाद में खुले आम मुशरिकों के साथ शामिल हैं जिनको उनके जहन्नमी वालिदैन न रोकते हैं न समझाते हैं बल्कि अपनी आँखों से देख कर भी ख़ुश होते हैं, ऊपर से इस्लामी रिवाजों की पसंदगी का झूँठ उनको उन लड़कों पर लट्टू कर देने के लिए काफ़ी है भले ही वो ख़ुद एक इस्लामी रिवाज के मायने नहीं जानतीं, लेकिन इन दो वजहों से उनकी मामूली सी जान पहचान प्यार में बदल जाती है


3. तीसरा क़दम

प्यार के साथ शुरू होता है मिलने जुलने और साथ खाने पीने का सिलसिला और उसी दरम्यान इन लड़कियों को किसी खाने की चीज़ पर शैतानी अमल करवा के खिला दिया जाता है जिसके बाद वो लड़का इनकी ज़िन्दगी हो जाता है, फिर शुरू होता है गिफ़्ट लेने देने का सिलसिला और असल खेल यहीं से शुरू होता है जब लड़का लड़की के लिए कुछ ऐसा गिफ़्ट लाता है जिसका चलन मुस्लिमों में नहीं होता, तब लड़की उसको लेने से इनकार करती है और बताती है कि ये उसके घर में इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा.. तब लड़का उसको बताता है कि ये तो आजकल मॉडर्न ज़माने में सब लड़कियाँ इस्तेमाल करती हैं इसमें क्या बुराई है.. यार मुसलमान मर्द लड़कियों को अपनी ज़िंदगी क्यों नहीं जीने देते, उनको इतना दबा कर क्यों रखते हैं, यार तुम लोग आज भी 1400 साल पुरानी सोच क्यों लिए बैठे हो, हमारे यहाँ तो सब आज़ाद हैं तुम लोग कैसे जीवन काटती हो इस क़ैद की ज़िंदगी में...??


4. चौथा क़दम

अब वो बेचारी जो दीनी इल्म से ख़ाली है क्योंकि उसके वालिदैन ने उसको दीन ईमान सिखाया ही नहीं होता है इसलिए उसके पास उन बातों का कोई जवाब नहीं होता है तो वो एहसासे कमतरी का शिकार हो जाती है और अपने वालिदैन को अपनी आज़ादी का दुश्मन समझने लगती है और अपने आपको पिछड़ा हुआ, फिर उस एहसासे कमतरी से निकलने को मॉडर्न कल्चर और बेहयाई की तरफ़ माइल होने लगती है, और फिर शुरू होता है लड़के के दोस्तों से मिलवाने, बात करवाने का सिलसिला जो कुछ ही वक़्त में पार्टी करने तक पहुंच जाता है और उन पार्टियों में मॉडर्निटी के नाम पर उस लड़की को सिगरेट, बियर,और शराब तक पहुंचा दिया जाता है... और ये दुनिया उसके लिए एकदम नई होती है जिसमें गुनाहों की लज़्ज़त उसके दिल से बचा खुचा ईमान भी निकाल देती है


5. पांचवा क़दम

फिर उसको ज़िना तक लाया जाता है और ज़िना भी इतना बदतरीन कि कोई जानवर भी ऐसी गंदगी न कर सके, उस बदतरीन ज़िना के पीछे छुपी होती है इस्लाम से बेइंतेहा नफ़रत.. इलाहाबाद के एक मामले में तो ज़िना के वक़्त लड़का शैतानी नारा लगाता था और लड़की से अल्लाह अल्लाह कहलवाता था(नाउज़ुबिल्लाह).. आप सोच रहे होंगे इतनी ग़लाज़त के बाद भी लड़की उस लड़के को छोड़ती क्यों नहीं है.. इसलिए कि जब इंसान शैतान की ज़द में आ जाता है तो उसको शैतानी अमल खुशी देते हैं न कि तक़लीफ़.. जैसे कोई तांत्रिक किसी मासूम का क़त्ल कर के उसका ख़ून पी कर इसलिए शर्मिंदा नहीं होता कि उसने किसी के कलेजे के टुकड़े का क़त्ल कर दिया बल्कि वो इसलिए ख़ुश होता है कि आज उसको ताज़ा ख़ून पीने को मिल गया


6. छठा क़दम

इतनी ग़लाज़त के बाद लड़की की शैतानी ख़्वाहिशात इतनी बढ़ जाती हैं कि फिर वो लड़के के साथ उसके दोस्तो की ग़लाज़त का भी ज़रिया बनने से ज़रा मना नहीं करती और ये सब वो मॉडर्निटी के नाम पर कर रही होती है.. फिर लड़के के दोस्तों के लिए दूसरी मुस्लिम लड़की की डिमाण्ड उस लड़की से रखी जाती है और उसको बताया जाता है कि दोस्त को कई लड़कियों के ऑफर आये लेकिन उसको मुस्लिम लड़की ही पसंद है क्योंकि वो तुम्हारी तरह हॉट और स्मार्ट होती हैं इसलिए तुम किसी दूसरी लड़की से मेरे दोस्त के लिए बात करो.. और हरामकारी में डूबी हुई वो बेग़ैरत लड़की ख़ुद को हूर की परी समझने लगती है और क़ौम की किसी दूसरी लड़की को उस गंदगी में धकेल लाती है


7. सातवाँ क़दम

और इन रास्तों से गुज़रते हुए वो लड़की दिल से पूरी तरह मुर्तद हो चुकी होती है और उसे मुसलमानों और इस्लाम से नफ़रत हो जाती है, फिर अल्लाह भी उसके लिए हिदायत के रास्ते बंद कर देता है.. और आख़िर में वो किसी मुशरिक से शादी करने के कुछ दिन बाद इस्तेमाल कर के फेंक दी जाती है और उसके किये गुनाहों की सज़ा उसकी ज़िन्दगी से ही शुरू हो जाती है, मौत क़ब्र और आख़िरत के अज़ाब तो उसके लिए बड़ा ख़सारा है हीं लेकिन उस से पहले उस एक लड़की के ज़रिए 30 पीढ़ी तक चलने वाली मुसलमानों की एक नस्ल ख़त्म हो जाती है और जाहिल मुसलमान उसको एक बदचलन लड़की का गुनाह समझ कर अगले ही दिन भुला देते हैं। 


अब आपको इस बात पर यक़ीन नहीं हो रहा होगा कि अगर इतना सब कुछ हो रहा है तो किसी को इसकी ख़बर क्यों नहीं हो रही...?? तो सुनिए आपको सिर्फ़ वो आख़िरी ख़बर मिलती है जब वो लड़की मुर्तद होने के ऐलान के साथ या तो किसी शिर्क के हामी से शादी कर लेती है या भाग जाती है, या अचानक बदनसीबी से रँगे हाथ पकड़ी जाती है, उस से पहले उसको बचाती है मुस्लिमों और ग़ैरमुस्लिमों के दरमियान खड़ी की गई नफ़रत की दीवार..जो दीवार बड़ी साजिश के तहत खड़ी की गई है... आज उसी नफ़रत की वजह से हम न तो किसी ग़ैर इस्लामी मुआशरे में उठ बैठ रहे हैं ना दोस्ती न ही ज़्यादा बातचीत कर रहे हैं... लेकिन उसी नफ़रत की दीवार के पीछे ख़ामोशी से चल रही है हमारी नस्लों को तबाह कर देने की बदतरीन साजिश और उस साजिश का शिकार कितनी लड़कियाँ हैं इसका अंदाज़ा भी लगाना नामुमकिन होता जा रहा है


ये ज़रूरी बात और समझ लीजिये कि वो विशेष संघठन जिस काम का इल्ज़ाम आप पर लगा रहा होता है और आपको उसके बदले में नुक़सान पहुँचा कर डरा रहा होता है असल मे वो वही काम आपके साथ कर रहा होता है.. लेकिन आपको खुशफ़हमी में मुब्तिला कर के और डरा कर आपकी तवज्जोह आपके घर मे डाली जा रही डकैती से हटा देता है.. और आज उसी नफ़रत की दीवार की बदौलत एक लड़की दूसरी लड़की को जब ये बताती है कि वो कई साल से एन्जॉय कर रही है और किसी को पता नहीं चल रहा तब दूसरी लड़की भी आसानी से उस दलदल में उतर आती है इसलिए ये देखने में आया कि ज़्यादातर मामलों में एक से ज़्यादा लड़कियाँ शामिल थीं जो एक दूसरे को अपने साथ ले जाने के बहाने से उनके घरों से बुलाती थीं और हरामकारी में एक दूसरे के लिए रास्ता हमवार करती थीं.. और ऐसी बेशुमार लड़कियां और शादी शुदा औरतें हैं जो मुशरिकों के साथ इस दीवार के पीछे छुप पर बदतरीन हरामकारी कर रही हैं और किसी को कानो कान ख़बर नहीं हो रही। 

 साथ ही इस संघटन के ट्रेंड लड़के उन लड़कियों को हिजाब सख़्ती से पहनने को समझाते हैं जिस से उनके घर वालों और मुआशरे को उन पर ज़रा शक नहीं होता बल्कि लोग उनको इज़्ज़त दे रहे होते हैं लेकिन वो हिजाब का इस्तेमाल अपने गुनाहों पर पर्दा डालने को कर रही होती हैं.. और ये ही वजह है कि ऐसी ज़्यादातर लड़कियां हिजाबी पाई जा रही हैं.. और जब उनका हिजाब खुलता है तब सबकी आँखे खुली रह जाती हैं। 

लेकिन आख़िर में हम उन लड़कों को ज़रा भी क़ुसूरवार नहीं ठहरा सकते हैं क्योंकि वो खुले आम बोल रहे हैं कि मुस्लिम लड़कियों को सरकारी प्रोपर्टी समझ कर इस्तेमाल करो , ख़ुद भी मज़े लो दूसरों को भी दिलाओ.... और वो ऐसा इसलिए बोल रहे हैं कि आज बेशुमार मुस्लिम लड़कियाँ सोशल मीडिया और बाज़ारों में अपने हुस्न की खुली नुमाईश ऐसी बेहयाई के साथ कर रही हैं जैसे कोई तवायफ़ भी नहीं करती.. यानि वो ख़ुद को सरकारी प्रॉपर्टी की तरह ही इस्तेमाल करने की दावत मुशरिकों और बदतरीन लोगों को दे रही हैं... ये कहना ग़लत न होगा कि कोई साजिश करने वाला इनको नहीं फँसा रहा बल्कि ये उल्टा उनको फँसा रही हैं और बदतरीन और ग़लीज़ लोगों के साथ बदतरीन और ग़लीज़ हरामकारी करने पर आमादा हैं. ... अब इसके बाद भी हमारी आँखें नहीं खुलतीं और हम अपने घरों में झांकने को तैयार नहीं हैं तो फिर उन बेचारों की क्या ग़लती.... और हज़ार बातों की एक बात कि अगर इन लड़कियों को उनके वालिदैन ने दीन ईमान सिखाया होता तो वो पहले क़दम को ही आख़िरी बना देतीं.. वो तवायफों की तरह खुलेआम मुशरिकों में अपने हुस्न की नुमाईश न कर रही होती


लेकिन इतना तय है कि ये हिंदुस्तानी मुसलमानों के लिए आख़िरी मौक़ा है अपने गुनाहों से तौबा का और अपनी ग़लतियाँ सुधार लेने का...क्योंकि हम अल्लाह के वो दुश्मन हैं जो उसके दीन को ख़ात्मे तक ले आये हैं. और अब हम पर अल्लाह का अज़ाब आने में बहुत वक़्त नहीं बचा है। 


लेखक - मंसूर अदब पहसवी

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी 

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3 टिप्पणियाँ

  1. इस में जो भी लिखा है आप ने दौरे हाज़िर में ये हक़ीक़त है ऐसा ही चल रहा है
    बहुत शर्म आती है जब ऐसे मामले आते हैं हमारे सामने किस तरह ये शिकार बन रहीं हैं काफिरों का

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  2. All these Haram activities are going on even in many so called cultural colleges and universities.

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