Aakhir Galti Kiski? Kya Bhool Gaye Bint e Hawwa Ka Muqaam?

Aakhir Galti Kiski? Kya Bhool Gaye Bint e Hawwa Ka Muqaam?


आखिर गलती किसकी?

दो चार दिनों से मैं सोशल मीडिया पर दो वीडियो वायरल होते देख रही हूं जिसमे एक पाकिस्तान की है और एक हमारे महान इंडिया की। पाकिस्तान की लड़की तो सरे आम बेशर्मी से नाचते नज़र आ रही है, पर हमारे देश और इस मुआशरे की लड़की बुरखे में डांस करती हुई नज़र आई। 

वीडियो पर गौर किया तो वो किसी कॉलेज या स्कूल का मालूम होता है जिसमे पीछे कुछ बुरखे में बहने और सफ़ेद कुर्ता पज़ामा पहने भाई लोग नज़र आ रहे है। 

सोचने पर मज़बूरी करती ये वीडियो हमारी कमियों को भी उजागर करती हुई नज़र आई। 

एक तो कम उम्र में हाथ में फोन थमा दिया।

दूसरा पढ़ने के नाम पर बेहयाई, वो भी मुआशरे के लोगो में उन लोगो के बीच जिनका पहनावा पियोर मुसलमानो सा है।  

अगर पीछे खडे काबिले अहतराम लोग उसी वक़्त उनसे मोबाइल लेकर डिलीट कर देते और डाट लगाकर समझाते तो आज रिज़ल्ट इस बेहयाई को प्रमोट करती हुई वीडियो के रूप में ना आता। 

एक तो घर से मिली गलत तरबियत, दूसरा आजकी फैंसी दुनियां, इन रंगीन चीज़ो ने अब जैसे इनके दिलो से मौत का खौफ और आख़िरत की सख्ती का ख्याल छीन लिया है। 


पर गलती क्या सिर्फ उन लड़कियों की ही है?

नहीं गलती सिर्फ उनकी नहीं उनसे जुड़े हर शख्स की है, जिसने हाथ में मोबाइल थमाया उनकी है। 

जिसने वीडियो बनाते हुए देखा उनकी है। 

जिसने देख कर और पहचान कर भी वायरल होने दिया उनकी है। 

गलती उन सबकी है, जो इस बेहयाई कों प्रमोट करने में किसी न किसी तरह से उससे जुड़े है। 


ख़ास मुक़ाम भूल गई बिन्ते हव्वा

जी हाँ, ये खास मुक़ाम भूल गई।  

पहला मुक़ाम खुद इस्लाम की शहज़ादी होने का, इसे भूल कर खुदको लोगो के इंटरटेनमेंट करने का ज़रिया बना लिया। 

दूसरा मुक़ाम पर्दे का, जिस पर्दे को अल्लाह का हुक्म और खुदकी हिफाज़त के लिए पहना अब उसे भूलकर नाचने वाली की पहचान छुपाने के तौर पर ले लिया। 

तीसरा मुक़ाम ऐसी औरत का, जिस्से नस्ले आगे बढ़ेंगी, एक माँ का, एक बीवी का, एक बहु का सबका मुक़ाम भूल कर खुदको किसी खिलौने के रूप में पेश करने लगी। 

होश में आओ ऐ कोम के सोए हुए लोगो और होश में लाओ अपने ज़मीर को सुनाओ। इन्हे वो फौलादी सीना लेकर मर्दे मुज़ाहिद पैदा करने वाली ख्वातिन के वाक़्ये बताओ इन्हे की, नाचने वालियो से कभी मर्दे मुज़ाहिद नहीं जन्मा करते बल्कि इनसे इन्ही की तरह लोगो का मनोरंजन करने वाली बेटियां जनमेगी। 

होश में आओ ऐ कोम के लोगो क्या तुम्हे अपनी नस्ले बर्बाद होती ना दिखती?

क्या तुम्हे आने वाले समय में नेक बीवी की बजाए बाज़ारू औरतो का काफिला तैयार होते ना दिखता?

किस गफलत की नींद में सोए हो की तुम्हे अपनी बर्बादी की भी फ़िक्र ना रही। 


कल्ब में सोज नही रूह में अहसास नहीं,
कुछ भी पैगाम मुहम्मद का तुम्हे याद नही।


बिन्ते हव्वा को नचाते हैं सरेआम महफिल में,
कितने संगदिल हैं की रस्में हया याद नही।


वज़ा में तुम हो नसारा तो तमद्दुन में हुनूद,,
ये वो मुसलमाँ हैं जिन्हें देखकर शर्माए यहूद।

(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)



आपकी दीनी बहन
आयशा सिद्दीक़ा

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3 टिप्पणियाँ

  1. अल्लाह रहम करे उम्मत्ते मुस्लिमा की सहजादियों की

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  2. अल्लाहु अकबर आज का मुसलमान कहा से कहा पहुंच गया दुआ करता हूँ कि इस महामारी से हम सब को बचाए एक बनाये नेक बनाये
    आमीन सुम्मा आमीन

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  3. ☑️ दुरुस्त फ़रमाया

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