फ़ज़ाइल-ए-अली इब्न अबी तालिब रज़िअल्लाहु अन्हु मे मनगढ़त हदीस
हज़रत इब्ने अब्बास रज़िअल्लाहू अन्हू फरमाते हैं :-
محمد بن أحمد عن المعافى ابن زكريا، عن محمد بن أحمد بن أبي الثلج، عن الحسن بن محمد بن بهرام، عن يوسف ابن موسى القطان، عن جرير، عن ليث، عن مجاهد، عن ابن عباس، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: لو أن الغياض أقلام، والبحر مداد، والجن حساب، والانس كتاب ما أحصوا فضائل على.
"अगर सब पेड़ कलम बन जाए, सात समुंदर स्याही बन जाए और जिन्नात हिसाब में लग जाएं और सब इंसान लिखने लग जाएं तो वह फजाईले अली का शुमार नहीं कर सकते।"
[मिज़ान उल ऐतिदाल 3/477]
1. यह हदीस झूठी है इसे नुरुलहदी अबू तालिब अल ज़ेनबी मे मोहम्मद बिन अहमद रावी से नक़ल किया है।
2. खतीब ख्वारज़म ने इस दज्जाल के हवाले से फजाईले अली में और भी झूठी बातिल रिवायत दर्ज है।
[मिज़ान उल ऐतिदाल]
3. अल हसन बिन मोहम्मद बिन बुहराम मजहूल (unknown) है।
खुलासा: ये है ये हदीस झूठी है। शायद ये हदीस इस आयत को देखते हुए गढ़ी गयीं है,
अल्लाह फरमाता है :-
"कह दो अगर समुद्र मेरे रब की बातों के लिए स्याही बन जाए तो यकीनन समुंद्र खत्म हो जाएगा इससे पहले कि मेरे रब की बातें खत्म हो अगरचे इसके बराबर और स्याही ले आए।" [सूरह कहफ 109]
मुहम्मद रज़ा
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