Gunah aur Tawbah (Part 6)

Gunah aur Tawbah: Gunah kya hai?

 

मशहूर तौबा की मिसालें

प्रसिद्ध तौबा की मिसालें दी जा रही हैं जो अंबिया (अलैहिमुस्सलाम), सहाबा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) और औलिया अल्लाह के वाक़िआत पर आधारित हैं। हर मिसाल से हमें तौबा की अहमियत, इख़लास और अल्लाह की रहमत का एहसास होता है।

नबी ﷺ का फ़रमान: “अल्लाह को सबसे ज़्यादा खुशी तौबा से होती है।”

“अल्लाह इतना खुश होता है जैसे एक मुसाफिर रेगिस्तान में अपना ऊँट खो बैठा हो जिसमें उसका सब कुछ हो। जब ऊँट मिल जाए तो खुशी के मारे ग़लत अल्फ़ाज़ निकल जाएँ — वो वाली खुशी अल्लाह को होती है तौबा पर।” [सहीह मुस्लिम 2747]


1. अंबिया (अलैहिमुस्सलाम) की तौबा

i. हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम का अंधेरों में तौबा 

हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम ग़ुस्से में अपनी क़ौम को छोड़ के चले गए। समुंदर में डाले गए, मछली ने निगल लिया। तीन अंधेरों में – समुंदर का, रात का, मछली के पेट का। वहाँ से रो कर पुकारा:

لَّآ إِلَـٰهَ إِلَّآ أَنتَ سُبْحَـٰنَكَ إِنِّى كُنتُ مِنَ ٱلظَّـٰلِمِينَ

“कोई माबूद नहीं सिवाय तेरे, तू पाक है, बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था।” [सूरह अल-अंबिया 21:87]

उस वक़्त उन्होंने हर चीज़ छोड़ कर सिर्फ़ अल्लाह से मदद माँगी। अल्लाह ने जवाब दिया: “फ-नज्जैनाहु मिनल ग़म्मि…” (हमने उसे ग़म से बचा लिया)।

तफ़्सीर इब्न कसीर के मुताबिक़ उनकी ये दुआ हर मुसीबत के वक़्त क़बूल होती है। ये वाक़िआ सबसे अज़ीम तौबा की मिसाल है।


ii. हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की अश्कों भरी तौबा

जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से जन्नत में ग़लती हो गई, तो उन्होंने और हज़रत हव्वा अलैहिस्सलाम ने फ़ौरन रो-रो कर कहा:

رَبَّنَا ظَلَمْنَآ أَنفُسَنَا وَإِن لَّمْ تَغْفِرْ لَنَا وَتَرْحَمْنَا لَنَكُونَنَّ مِنَ ٱلْخَـٰسِرِينَ

“ऐ हमारे रब! हमने अपने आप पर ज़ुल्म किया, और अगर तू हमें माफ़ न करे और हम पर रहम न करे, तो हम ज़रूर नुक़सान उठाने वालों में से हो जाएँगे।” [सूरह अल-अ'राफ़ 7:23]

ये वो पहला इंसानी गुनाह था। मगर उन्होंने फ़ौरन तौबा की। तफ़्सीर तबरी के मुताबिक़ उनके आँसू 200 साल तक गिरते रहे। अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल की और ज़मीन पर ख़लीफ़ा बनाया।


2. सहाबा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) की तौबा

i. माअिज़ बिन मालिक का 4 दफ़ा गुनाह का इक़रार

ज़िना किया, नबी ﷺ के पास आए: “मैं साफ़ होना चाहता हूँ।”

4 बार इक़रार के बाद रज्म (पत्थर मारने की सज़ा) हुआ।

सहाबा ने कहा: “ये तो बर्बाद हो गया।”

नबी ﷺ ने फ़रमाया:

“उसने ऐसी तौबा की कि अगर सब मदीना वालों पर तक़सीम हो जाए तो काफ़ी हो।”

[सहीह मुस्लिम 1691]


ii. कअब बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) का वाक़िआ

ग़ज़वा-ए-तबूक में शरीक नहीं हुए थे। उन्होंने झूठ का सहारा नहीं लिया, सच कहा कि ग़लती से पीछे रह गए।

रसूलुल्लाह ﷺ ने उनसे कुछ दिनों तक बात करना बंद कर दिया।

50 दिन के बाद अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल की।

“...यहाँ तक कि ज़मीन अपनी सारी वुसअत के बावजूद उन पर तंग पड़ गई, और उनकी अपनी जानें भी उन पर भारी हो गईं, और उन्होंने समझ लिया कि अल्लाह से कोई पनाह नहीं मिल सकती सिवाय इसके कि उसी की तरफ़ रुजू किया जाए। तो अल्लाह ने उनकी तौबा क़बूल फ़रमाई ताकि वो आगे भी तौबा करते रहें...” [सूरह अत-तौबा 9:118]


3. औलिया अल्लाह की तौबा

i. बिश्र अल-हाफी (रह.) का वाक़िआ

ज़िंदगी ऐशो-आराम में गुजर रही थी। एक दिन ज़मीन पर "बिस्मिल्लाह" लिखा काग़ज़ उठाया और साफ़ कर के इज़्ज़त दी।

उस रात किसी ने देखा कि अल्लाह ने इल्हाम दिया:

“तूने मेरे कलिमा की इज़्ज़त की, मैं तुझे इज़्ज़त दूँगा।”

तबदील हो गए, ज़िंदगी अल्लाह के लिए वक़्फ़ कर दी।


ii. फ़ुज़ैल बिन अयाज़ (रह.) डाकू से वली बन गए

पहले डाकू थे। एक रात किसी ने कुरआन की ये आयत पढ़ी:

“क्या मोमिनों के लिए अब भी वक़्त नहीं आया कि उनके दिल नरम हो जाएं...?” [सूरह अल-हदीद 57:16]

फ़ुज़ैल (रह.) का दिल लरज़ गया, रात रोने में गुज़र गई। सुबह तक वली अल्लाह बन गए।


4. आम लोगों की तौबा

i. 100 क़त्ल करने वाला आदमी

एक शख़्स ने 99 क़त्ल किए।

फिर एक बुज़ुर्ग से पूछा, उसने कहा: “तेरे लिए कोई तौबा नहीं।”

उसे भी मार दिया (100 हो गए)।

फिर एक आलिम ने कहा: “अल्लाह की रहमत से कभी मायूस मत हो।”

तौबा के इरादे से निकल गया, रास्ते में मौत आ गई।

मलाइका जन्नत ले गए, अल्लाह ने निय्यत देख कर बख्श दिया।

[सहीह मुस्लिम 2766]


ii. ज़िना करने वाली औरत की अजीब तौबा

एक औरत आई: “या रसूलुल्लाह, मैंने ज़िना किया, मुझे सज़ा दो।”

नबी ﷺ ने दफ़ा किया।

फिर वो वापस आई: “मुझे पाक कर दो।”

आख़िरकार रज्म हुआ।

नबी ﷺ ने कहा: “उसने ऐसी तौबा की, अगर सब लोगों पर तक़सीम हो जाए तो काफ़ी हो जाए।”

[सहीह मुस्लिम 1695]


iii. एक बदकार औरत की नेक तौबा – सिर्फ़ कुत्ते को पानी पिलाया

प्यासी औरत ने कुत्ते को पानी पिलाया, अल्लाह ने उसके सारे गुनाह माफ़ किए।

[सहीह बुख़ारी 3467]


iv. जिसने 70 साल तक गुनाह किया — आख़िरी वक़्त में तौबा

एक शख़्स ने 70 साल तक गुनाह किया।

मौत के वक़्त रो कर कहा: “या अल्लाह, अगर माफ़ न किया तो मैं बर्बाद हो गया।”

अल्लाह ने फ़रमाया: “मेरे बंदे ने मुझे पहचाना, मैं उसे माफ़ करता हूँ।”

[इब्न हिब्बान, शुअब अल-ईमान]


5. जो तौबा करे, जैसे उसने गुनाह किया ही नहीं

i. तौबा करने वाला, जैसे उसने गुनाह किया ही नहीं

“जो तौबा करता है, वो ऐसे है जैसे उसने कभी गुनाह किया ही नहीं।” [इब्न माजाह 4250]


ii. हर रात अल्लाह फ़रमाता है: “है कोई जो तौबा करे?”

हर रात आख़िरी पहर में अल्लाह नीचे आसमान पर आता है: "है कोई जो माफ़ी मांगे, मैं माफ़ करूँ?" [तिर्मिज़ी 3539]


iii. गुनहगार की हर दफ़ा की तौबा भी क़बूल

“मेरा बंदा हर बार मुझे याद करता है, इस लिए मैं उसके गुनाह माफ़ करता हूँ, चाहे बार-बार करे।”

[सहीह मुस्लिम 2758]


iv. बारिश की तरह गुनाह भी धुल जाते हैं

नबी ﷺ ने फ़रमाया: “इस्लाम क़बूल करना और तौबा कर लेना, पहले के सारे गुनाह मिटा देता है।” [मुस्लिम 121]


v. तौबा से फ़रिश्ते भी हैरान होते हैं

एक गुनहगार जब रोने लगता है और कहीं छुप कर कहता है: “या अल्लाह, मैंने ग़लती की।”

तो फ़रिश्ते कहते हैं: “देखो, ये बंदा तुझसे डरता है। माफ़ कर दे।” [मुसनद अहमद]


vi. तौबा करना सबसे अज़ीम इबादत है

नबी ﷺ ने फ़रमाया: “मैं रोज़ 70 मर्तबा अल्लाह से इस्तिग़फ़ार करता हूँ।” [सहीह मुस्लिम 2702]


नसीहत

  • जब तक साँस है, तौबा का दरवा ज़ा खुला है।
  • शैतान चाहता है कि आप तौबा न करें।
  • अल्लाह हर उस दिल को पसंद करता है जो रोते हुए उसके पास आए।

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