ग़ैर-मुसलमानों के इस्लाम पर एतराज़ात के जवाब
सवाल नंबर - 5
मुस्लिम अपनी चचेरी-ममेरी बहनों से शादी क्यों करता है?
बहुत से गैर मुस्लिम भाई बहन जब इस्लाम को देखते हैं तो कहते हैं, "मुस्लिम अपनी चचेरी ममेरी बहनों से शादी क्यों करता है?"
इस विषय को समझने के लिए हमें कुरआन हदीस, विज्ञान, समाज, और मेडिकल साइंस चारों पहलुओं से जानना जरूरी है।
कुरआन और हदीस की रोशनी में
इस्लाम ने जिन औरतों से निकाह हराम किया है उनका जिक्र सूरह निसा की आयत 23 में आया है।
حُرِّمَتْ عَلَيْكُمْ أُمَّهَاتُكُمْ وَبَنَاتُكُمْ وَأَخَوَاتُكُمْ وَعَمَّاتُكُمْ وَخَالَاتُكُمْ وَبَنَاتُ الْأَخِ وَبَنَاتُ الْأُخْتِ
"हराम की गईं तुम पर तुम्हारी माँएं तुम्हारी बेटियाँ तुम्हारी बहनें तुम्हारी फुफियाँ तुम्हारी खालाएँ और तुम्हारे भाई की बेटियाँ और बहन की बेटियाँ।" [सूरह अन-निसा 4:23]
यानी कुरआन ने साफ बताया कि चाची, मामी, फूफी, खाला या सगी बहन से शादी हराम है लेकिन चचेरी, ममेरी फुफेरी, खालाज़ादी बहनों का नाम नहीं लिया गया यानी उनसे निकाह जायज़ है।
हदीस से भी ये बात वाज़ेह होती है।
हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हु ने अपनी बेटी उम्मे कुलसूम का निकाह हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्हु से किया जबकि वो उनकी चचेरी रिश्तेदार थीं। [मुसनद अहमद हदीस 2295]
विज्ञान और जेनेटिक्स (DNA) की रोशनी में
साइंस के अनुसार DNA की 50% समानता सगी बहन भाई में होती है और सगी बहनों से निकाह इसीलिए हराम है क्यूँकि बच्चा कमजोर पैदा हो सकता है लेकिन चचेरे ममेरे भाई बहनों में DNA का मिलान सिर्फ 12.5% होता है।
डॉक्टरी रिसर्च कहती है कि अगर दो कज़िन्स (चचेरे ममेरे) शादी करते हैं तो उनके बच्चों में खराबी की संभावना होती है लेकिन वो बहुत कम होती है और अगर DNA टेस्ट और मेडिकल स्क्रीनिंग कर ली जाए तो खतरा और भी कम हो जाता है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपे एक रिसर्च के अनुसार कज़िन मैरिज से होने वाले बच्चों में खराबी का खतरा सिर्फ 2 से 3% ज्यादा होता है आम लोगों के मुकाबले जो बहुत ज़्यादा नहीं है।
तारीख़ और समाज की रोशनी में
इस्लाम से पहले यहूदियों और अरबों में भी कज़िन मैरिज आम थी। आज भी कई सभ्यताओं में जैसे पाकिस्तान सऊदी अरब मिस्र अफगानिस्तान ईरान वगैरह में कज़िन मैरिज आम है और वहाँ के समाज में इसे नाज़ायज़ नहीं माना जाता।
इस्लाम ने इन रिश्तों में निकाह को जायज़ करार दिया ताकि रिश्तेदारों में मोहब्बत और रिश्ते कायम रहें वर्ना अगर हर नजदीकी रिश्ते से निकाह मना होता तो लोग गैरों से ही रिश्ता करते और खानदान की एकता टूट जाती ।
तर्क और समाजिक सोच की रोशनी में
- इस्लाम में हराम वो है जो समाज को नुकसान पहुँचाए और जायज़ वो है जो फायदा दे।
- चचेरी ममेरी बहनों से निकाह का फायदा यह है कि लडकी और लड़के एक दूसरे को पहले से जानते हैं।
- माता पिता को भरोसा होता है रिश्तेदारों में रिश्ता करने में।
- घर की इज़्ज़त और संस्कार में तालमेल बना रहता है।
- दहेज और ज़्यादा खर्च से बचाव होता है।
- समाज में एकता बनी रहती है और बच्चे भी अपने खानदान की तहज़ीब में पलते हैं।
इस्लाम ने DNA और साइंस को सामने रखते हुए सिर्फ उन रिश्तों को हराम किया जिनमें नुकसान साफ दिखता है जैसे सगी बहन बेटी माँ वगैरह लेकिन चचेरी ममेरी बहन से निकाह न तो कुरआन में मना है न साइंस ने इसे घातक बताया है इसलिए इसे जायज़ ठहराया गया है।
दुनिया के बहुत से मुस्लिम देशों में ये आम प्रथा है और कुरआन हदीस की रौशनी में ये पूरी तरह से शरीअत के अंदर आता है।
मुहम्मद रज़ा
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