Gunah aur Tawbah (Part 2)

Gunah aur Tawbah: Gunah kya hai?


1. दीन-ए-इस्लाम – एक मुकम्मल निज़ाम

दीन-ए-इस्लाम एक मुकम्मल और कामिल निज़ाम-ए-जि़ंदगी है। इस्लाम ने इंसानी जिंदगी के हर पहलू, हर शोबे पर रोशनी डाली है। जो शख्स इस निज़ाम को माने और अमल करे, अल्लाह की तौफीक से वो दुनिया के हर नुक़सान से महफूज़ रह सकता है। वो हर उस चीज़ को पहचान सकता है जो उसकी जिंदगी पर बुरा असर डाल सकती है, और अपने आप को बुराइयों से बचा सकता है।

अगर इंसान उन सबबों से बचाव करे जो जिस्मानी नुक़सान का सबब बनते हैं, तो वो सेहतमंद और तवाना रह सकता है। इस्लाम हर उस चीज़ से रोकता है जो जिस्मानी, नफ़्सानी, मआशी और मुआशरती नुक़सानात का सबब बने।


2. आज मुसलमानों की ज़बूं हाली का असली सबब

आज के दौर में मुसलमान हर तरफ से ज़लील-ओ-ख़्वार हैं। उन पर ये मुश्किलें छाई हुई हैं।

  • मआशी तंगदस्ती (वित्तीय समस्याएं), 
  • मुआशरती फ़साद (सामाजिक भ्रष्टाचार),
  • ज़िंदगी की मुश्किलात,
  • जिस्म-ओ-जान की कमज़ोरी,

और इसका असल सबब क्या है? ये सब हमारी अपनी बे-राह रवी है।

हमने:

  1. दीन को छोड़ दिया,
  2. क़ुरआन को पीठ पर डाल दिया,
  3. इबादत से दूरी इख़्तियार की,
  4. दुआ और मुनाजात से मुंह मोड़ लिया।

हमने वो राह छोड़ दी जो साफ़, सीधी, सही और रौशन थी। और उस रास्ते को अपना लिया जो:

  • शैतान का रास्ता है,
  • गुनाहों से भरा हुआ है,
  • धोखा, फ़रेब और नफ़रत से पुर है।

हमने अपनी ज़िंदगी का मक़सद ग़लत चुन लिया। हम शैतान के मक़सद का हिस्सा बन गए। उसने हमसे वही काम ले लिया जो उसका असल हदफ़ था।


3. इसका अंजाम क्या हुआ?

नतीजा ये निकला कि:

  • दुनिया में हर तरफ़ शर्र-ओ-फ़साद फैल गया,
  • अल्लाह का अज़ाब ज़मीन पर आ गया,
  • हर तरफ़ इंसानी चीखें, आह-ओ-बुका सुनाई देने लगीं,
  • हमारे गुनाहों ने हमारी ज़िंदगियाँ तबाह कर दीं,
  • हमारे घर बर्बाद हो गए,
  • हमारा समाज और मुआशरा उलट गया।

आज हर शख़्स परेशान है। हर दिल उदास है। हर रूह ग़मज़दा है।


4. इसका इलाज क्या है?

इसका इलाज सिर्फ़ एक है:

  1. वापस क़ुरआन की तरफ़ रजू करना,
  2. दीन की असल राह को अपनाना,
  3. इबादत और दुआ से अपने रब से ताअल्लुक़ मज़बूत करना,
  4. गुनाहों से तौबा करना,
  5. हलाल रिज़्क़ और पाक ज़िंदगी का इंतिख़ाब करना।

जब तक हम ये सब नहीं करेंगे, हमारी ज़िंदगियों से मुसीबत और तंगदस्ती नहीं जाएगी।


5. शैतान का हमें तबाह करने का मंसूबा

शैतान हमें, हमारे अह्ल-ओ-आयाल को, हमारे घरों को, हमारे समाज को और पूरी दुनिया को तबाह करना चाहता है। और अफ़सोस की बात है कि हम उसके इस मंसूबे का हिस्सा बन जाते हैं और अपनी तबाही ख़ुद कर रहे हैं।

अल्लाह तआला का फ़रमान है: "कहता है: फिर तो मैं तेरी इज़्ज़त की क़सम! मैं इन सब को ज़रूर गुमराह करके रहूंगा, सिवाय उन बंदों के जो तेरे ख़ालिस और पसंदीदा हैं।" [सूरह साद, आयत 82-83]

नीचे "गुनाहों के मुअस्सिर असरात इंसानी ज़िंदगी पर" इस मौज़ू की वज़ाहत करनी है। ऊपर शैतान और उसके फ़रेब का ज़िक्र इस लिए किया गया है कि इंसान, गुनाह करने की वजह से, शैतान का महबूब और अल्लाह का नापसंदीदा बंदा बन जाता है।

गुनाहगारों को बहकाना और उनसे शैतानी काम करवाना, शैतान के लिए आसान होता है। जो मुख़लिस बंदे होते हैं, दीन पर मज़बूती से अमल करते हैं, अक़ाइद और ईमान को मुस्तहकम बनाए रखते हैं, और रब की बंदगी में सुबह-ओ-शाम लगे रहते हैं, ऐसे मुख़लिस बंदों को बहकाना, शैतान के लिए मुश्किल होता है।

गुनाहों के मुअस्सिर (नकारात्मक) असरात इंसानी ज़िंदगी पर बेहिसाब हैं, इनमें से चंद एक का ज़िक्र सुतूर-ए-ज़ेल में किया जाता है ताकि हम इंसान इबरत पाएं और गुनाहों से तौबा करने और आइंदा इनसे बचने का पुख़्ता अज्म करें:

  1. हाफ़िज़े में ख़राबी
  2. रिज़्क़ में तंगी
  3. गुनाहों का ख़ौफ़ मिट जाना
  4. गुनाहगार की ज़िल्लत
  5. गुनाहगारों का मामला सख़्त तंग होता है
  6. आसमानी बलाएं गुनाहों की वजह से नाज़िल होती हैं
  7. गुनाहों के बाद दिल की सख़्ती
  8. बेहयाई का पिकर

जितने भी ऊपर गुनाहों के असरात बयान हुए हैं उनकी दलीलें क़ुरआन-हदीस से साबित हैं। क़्विज़ को शॉर्ट करने के मक़सद से सिर्फ़ गुनाहों का नाम ज़िक्र कर दिया गया है ताकि हेडिंग पढ़ कर ही इंसान समझ जाए इसके क्या असरात हैं।


6. कुछ नसीहतें

i. बनी आदम की तमाम औलाद गुनहगार है, और बेहतरिन गुनहगार वो हैं जो तौबा करने वाले हैं। [सहीह इब्न माजा: 3447]

ii. अगर तुम लोग गुनाह न करो तो अल्लाह एक ऐसी मख़्लूक़ पैदा कर दे जो गुनाह करे और अल्लाह उन्हें माफ़ करे। [सहीह मुस्लिम: 2748]

iii. अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत से वो काम माफ़ फ़रमा दिए हैं जो ग़लती, भूल या मजबूरी में हो जाएं। [सहीह इब्न माजा: 1677]

अगर इन तीन हदीसों पर ग़ौर करें तो हम पता लगा सकते हैं:

गुनाह से बचना कैसे है?
इसके क्या असरात हैं?

अल्लाह हमें गुनाहों से बचाए। आमीन।


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