वित्र की नमाज़ का सुन्नत तरीक़ा
अल्लाह के नबी ﷺ ने फरमाया:
صَلُّوا كَمَا رَأَيْتُمُونِي أُصَلِّي
"उसी तरह नमाज़ पढ़ो, जैसे तुमने मुझे नमाज़ पढ़ते हुए देखा है।" [सहीह बुखारी हदीस नंबर: 631]
1. क्या वित्र की नमाज़ सुन्नत है?
वित्र की नमाज़ सुन्नत है, वाजिब नहीं है।
इमाम इब्ने खुज़ैमा रहिमहुल्लाह फरमाते हैं,
"सैयदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ि.अ) से रिवायत है कि अल्लाह के नबी ﷺ ने रमज़ान में हमें 8 रकअत और वित्र पढ़ाई, फिर अगली रात हम मस्जिद में जमा हुए और उम्मीद की कि अल्लाह के नबी ﷺ हमारे पास (इमामत के लिए) आएंगे, यहाँ तक कि सुबह हो गई। फिर अल्लाह के नबी ﷺ हमारे पास आए, तो हमने कहा: ऐ अल्लाह के नबी ﷺ हमें उम्मीद थी कि आप हमारे पास आएंगे और इमामत कराएंगे। इस पर आप ﷺ ने फरमाया: "मुझे डर था कि कहीं वित्र तुम्हारे ऊपर फ़र्ज़ न कर दी जाए।" [सहीह इब्ने खुज़ैमा हदीस नंबर: 1070, सहीह इब्ने हिब्बान हदीस नंबर: 2409]
इमाम इब्ने मुनज़िर रहिमहुल्लाह लिखते हैं:
"इस हदीस से पता चलता है कि लोगों पर वित्र और क़ियाम-उल-लैल (तहज्जुद) फ़र्ज़ नहीं है।" [अल-अवसत जिल्द: 5, सफा नंबर: 168]
2. वित्र की नमाज़ का वक्त:
वित्र की नमाज़ का वक्त इशा से लेकर फज्र की नमाज़ तक है।
अल्लाह के नबी ﷺ ने फरमाया:
"जिसे डर हो कि वह रात के आखिरी हिस्से में नहीं उठ सकेगा, वह रात के शुरू में वित्र पढ़ ले। और जिसे उम्मीद हो कि वह आखिरी हिस्से में उठ जाएगा, वह रात के आखिरी हिस्से में वित्र पढ़े। क्योंकि रात के आखिरी हिस्से की नमाज़ का गवाह फरिश्ते होते हैं और यह अधिक अफ़ज़ल है।" [सहीह मुस्लिम हदीस नंबर: 755]
3. वित्र की नमाज़ को मगरिब की नमाज़ की तरह न पढ़ो:
अल्लाह के नबी ﷺ ने फरमाया:
"तीन रकअत वित्र मत पढ़ो, और न ही इसे मगरिब की नमाज़ की तरह बनाओ। बल्कि 5 या 7 (रकअतें) वित्र पढ़ो।" [मुसतद्रक लिल हाकिम हदीस नंबर: 1138 सहीह]
4. तीन (3) रकअत वित्र की नमाज़ पढ़ने का नबवी तरीक़ा:
इमाम अहमद बिन हंबल रहिमहुल्लाह फरमाते हैं:
सैयदना अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.अ) से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ वित्र और दो रकअतों के बीच सलाम के जरिए फ़ास्ला फरमाते थे और सलाम की आवाज़ हमारे कानों में आती थी। [मुसनद अहमद हदीस नंबर: 5461, सहीह इब्ने हिब्बान हदीस नंबर: 2433 सनद क़वी]
सैयदाह आयशा (रज़ि.अ) फरमाती हैं:
"रसूलुल्लाह ﷺ रात को 11 रकअत पढ़ते थे, उनमें से एक के जरिए वित्र अदा फरमाते थे।" [सहीह मुस्लिम हदीस नंबर: 736]
यानी अल्लाह के नबी ﷺ दो-दो रकअत पढ़कर 10 रकअत पढ़ते, फिर एक वित्र अलग सलाम के साथ पढ़ते थे।
नोट: दो तशह्हुद और एक सलाम के साथ 3 रकअत पढ़ना अल्लाह के नबी ﷺ से साबित नहीं है। इस सिलसिले में मरवी सारी हदीसें ज़ईफ या मौज़ू हैं।
5. तीन (3) रकअत वित्र में पढ़ी जाने वाली सूरह:
सैयदना उबई बिन काब (रज़ि.अ) फरमाते हैं:
रसूलुल्लाह ﷺ तीन रकअत वित्र पढ़ते, पहली रकअत में "سَبِّحِ اسْمَ رَبِّكَ الْأَعْلَى", दूसरी रकअत में "قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ", और तीसरी रकअत में "قُلْ هُوَ اللَّهُ أَحَدٌ" पढ़ते। [सुनन नसाई हदीस नंबर: 1700 सहीह]
6. वित्र के नमाज़ की रकअतों की तादाद:
वित्र की नमाज़ 1, 3, 5, 7, 9 रकअतें हो सकती हैं। [सुनन अबू दाऊद हदीस नंबर: 1422, सहीह मुस्लिम हदीस नंबर: 746]
7. वित्र की आखिरी रकअत में रुकू से पहले दुआ-ए-क़ुनूत पढ़ना:
सैयदना उबई बिन काब (रज़ि.अ) फरमाते हैं:
"अल्लाह के नबी ﷺ रुकू से पहले दुआ-ए-क़ुनूत पढ़ते थे।" [सुनन नसाई हदीस नंबर: 1700 सहीह]
8. अल्लाह के नबी ﷺ से साबित दुआ-ए-क़ुनूत:
सैयदना हसन बिन अली (रज़ि.अ) फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह ﷺ ने मुझे कुछ कलिमात सिखाए, जिन्हें मैं वित्र में पढ़ता हूँ। वो कलिमात ये हैं:
اللَّهُمَّ اهْدِنِي فِيمَنْ هَدَيْتَ،
وَعَافِنِي فِيمَنْ عَافَيْتَ،
وَتَوَلَّنِي فِيمَنْ تَوَلَّيْتَ،
وَبَارِكْ لِي فِيمَا أَعْطَيْتَ،
وَقِنِي شَرَّ مَا قَضَيْتَ إِنَّكَ تَقْضِي وَلَا يُقْضَى عَلَيْكَ،
وَإِنَّهُ لَا يَذِلُّ مَنْ وَالَيْتَ،
وَلَا يَعِزُّ مَنْ عَادَيْتَ،
تَبَارَكْتَ رَبَّنَا وَتَعَالَيْتَ
[सुनन अबू दाऊद हदीस नंबर: 1425 सहीह]
वित्र की नमाज़ से सलाम फेरने के बाद अल्लाह के नबी ﷺ तीन बार "سُبْحَانَ الْمَلِكِ الْقُدُّوسِ" पढ़ते और आखिरी बार थोड़ा लंबा खींचते। [सुनन नसाई हदीस नंबर: 1700 सहीह]
यही था सहीह हदीस से अल्लाह के नबी ﷺ के वित्र की नमाज़ का तरीका।
अल्हम्दुलिल्लाह, हम नबी मुहम्मद ﷺ के बताए हुए तरीक़े पर ही वित्र की नमाज़ पढ़ते हैं।
अल्लाह तआला हम सभी मुसलमानों को सुन्नत के मुताबिक नमाज़ पढ़ने की तौफीक़ अता फरमाए। आमीन या रब्बुल आलमीन।
By मुहम्मद रज़ा
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