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व्हाटसएप स्टैटस


"फिर तुमने पापा का मोबाइल उठा लिया, लगता है फिर से पासवर्ड बदलना पड़ेगा।" शाहीन  नाराज़ होते हुए बोली। 

"देखो तो मारिया की फॅमिली के फोटो।" शुमायला इसरार करते हुए बोली। 

मारिया, फेरिहा उसकी बहन की बेटियाँ थीं। दोनों सिनेमाहाल के बाहर खड़ी मुस्करा रहीं थीं। व्हाटसेप पर स्टेट्स लगाया हुआ उसे मुह चिढ़ा रहा था। उसे देख कर शर्मिंदगी हुई। अपनी बेटी से नजरे चुराती हुई सोचने लगी "इसलिए मना करती हूं मोबाइल मत उठाया करो, जब उठाती हो कुछ नया ही रायता फैलता है।"

"क्या हुआ मम्मी, आप कहाँ खो गई?" शुमायला बोली। "आप तो बोलती हो के मूवीज देखना हराम है, उसमें फ़हश म्यूजिक बेपर्दा और तमाम हराम चीजें हैं,  हमें एक नहीं कई गुनाह मिलते हैं। फिर क्या खाला को नहीं मालूम? वो क्यूँ नहीं बताती मारिया को?"

"उसका वो जाने, मुझे क्या पता"  शाहीन पीछा छुड़ाने के लिए बोली। 

"अगर उन्हें नहीं पता तो आप उन्हें बता दो, वो भी तो आपकी बहन है, वो जहन्नुम में जाएंगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा?"

शुमायला ने समझदारी से कहा। शुमायला वाकई अपनी उम्र से बड़ी बात कर रही थी। एक बारह साल की बच्ची को बड़े बड़ो से ज्यादा अकल है। लेकिन उसे क्या बताऊँ के अगर बहन को कुछ दीन की बात बताऊँ तो नाराज हो जाती है और बात करना कम कर देती है। 

"इन शा अल्लाह, उसे समझाऊंगी।"

फिर मोबाइल शुमायला से लेकर बोली "तुम होमवर्क करो, वर्ना टीचर नोट दे देंगी।" और मोबाइल पर निगाह डालने लगी। तमाम रिश्तेदारों ने व्हाटसेप पर स्टेट्स लगाया हुआ, कोई किसी शादी में बेपर्दा घूम रही, किसी ने ग़ज़लें, कोई गाने म्यूजिक, कोई प्यार मोहब्बत के शेर शायरी, किसी ने बेवफाई के किस्से, तो कोई टीवी सीरियल, मूवीज का सीन। सबका व्हाटसेप स्टेट्स देख कर शाहीन को दोबारा शुमायला की बात याद आ गयी। किस किस को मना करेगी? 

यकीनन बच्चों की तरबीयत में सबसे बड़ी मुश्किल है कि लोग गुनाह करते हैं, और उसे गुनाह समझकर शर्मिंदा होने के बजाय गुनाह को फ़ख्र की बात समझते हैं और तमाम दुनिया में ऐलान करते फिरते हैं। अल्लाह हिदायत दे। उन्हें देख कर दूसरे भी उस गुनाह को हल्का समझते हैं और उन से मुतासिर होकर उसी गुनाह में मुबतिला हो जाते हैं। और वो जाने कितने लोगों को गुनाह में डालने का ज़रिया बन जाते हैं। 

शाहीन को अल्लाह की हिकमत का एहसास हो रहा था की क्यूँ अपने गुनाहों का ऐलान करना अल्लाह माफ़ नहीं करेगा। 

उसने गूगल खोला और हदीस सर्च करने लगी। 

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: "मेरी पूरी उम्मत को (गुनाहों पर) माफ़ी मिलेगी सिवाए उन लोगों के जो (अपने गुनाहों का) ऐलान करनेवाले हैं। ऐलान में ये है कि बन्दा रात को एक काम करे, फिर सुबह हो तो अल्लाह ने  उसका पर्दा रखा हुआ हो और वो ख़ुद कहे ऐ फ़ुलाँ! मैंने पिछली रात ऐसा-ऐसा काम  किया, हालाँकि उसने रात गुज़ार दी उसके रब ने उसपर पर्दा डाले रखा और वो सुबह करता है तो वो अपने रब का डाला हुआ पर्दा ख़ुद उतार देता है।" [सही मुस्लिम 2990]

उसने अपनी बहन के स्टेट्स के रिप्लाई में हदीस लिखी, "उसने ब्लॉक कर दिया तो" खयाल आया, उसका हाथ कांपा।

فَلَا تَخَافُوۡہُمۡ وَ خَافُوۡنِ

"तो तुम उनसे न डरो, मुझसे डरो।" [क़ुरआन 3:175]

शाहीन के ज़हन में ये आयत उभर आयी। यक़ीनन उसे अपने रब को जवाब देना है, उसने अल्लाह से हिदायत की दुआ करते हुए सेंड के बटन पर क्लिक कर दिया।

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1 टिप्पणियाँ

  1. बेहतरीन, इस दौर में आप लोगों की बहुत जरूरत है। ज़जाकल्लाह खैर।

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