Jannat (Part-6) Darwaze (Doors of jannah)

Jannat (Part-6) Darwaze (Doors of jannah)


जन्नत (पार्ट-6): जन्नत के दरवाज़े (أبواب الجنة)


हर मुस्लिम का मक़सद मौत के बाद जन्नत हासिल करना है और उसी हिसाब से वो अमल करता है। पर बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हे जन्नत के बारे में कुछ खास इल्म नहीं है। इन शा अल्लाह आज हम जन्नत के दरवाज़ों के बारे में जानेंगे।

सबसे पहले जन्नत का दरवाज़ा रसूल ए अकरम (ﷺ) खटखटाएंगे और सबसे पहले उनके लिए दरवाज़ा खोला जायेगा और उसमे दाखिल होने वाली उम्मत जो सबसे ज़्याद तादाद में होगी वो उम्मत ए मुहम्मदिया (ﷺ) होगी।

रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : "मैं क़ियामत के दिन जन्नत के दरवाज़े पर आऊँगा और दरवाज़ा खुलवाऊंगा। जन्नत का दरबान पूछेगा : आप कौन हैं? मैं जवाब दूँगा : मुहम्मद! वो कहेगा : मुझे आप ही के बारे में हुक्म मिला था। (कि) आप से पहले किसी के लिये दरवाज़ा न खोलूँ।" [सहीह मुस्लिम 197]

हज़रत अनस बिन मलिक रज़ी अल्लाहु अन्हु कहते हैं, 
रसूल ए अकरम (ﷺ) ने फरमाया "कयामत के रोज़ सबसे ज़्यादा उम्मती मेरे होंगे और सबसे पहले मै जन्नत का दरवाज़ा खटखटाऊँगा।" [सहीह मुस्लिम 196]

अहले जन्नत की आमद पर फरिश्ते जन्नत के दरवाजे खोलेंगे। दरवाज़ों से दाख़िल होते वक़्त फ़रिश्ते अहले जन्नत के लिए सलामती की दुआ करेंगी।

"और जो लोग अपने रब से डरते थे, उनके गिरोह के गिरोह जन्नत की तरफ रवाना किये जाएँगे। यहाँ तक कि जब वे उसके पास पहुँच जाएँगे और दरवाज़े खोल दिए जाएँगे और वहां के निगहबान उन से कहेंगे तुम पर सलामती हो, तुम ख़ुशहाल रहो तुम उस में हमेशा के लिए चले जाओ।" [क़ुरआन 39: 73]

पीर (सोमवार) और जुमा-रात (गुरुवार) के रोज़ जन्नत के दरवाज़े खोले जाते हैं।

इमाम मालिक-बिन-अनस ने सुहैल-बिन-अबी सालेह से, उन्होंने अपने वालिद से, उन्होंने हज़रत अबू-हुरैरा (रज़ि०) से रिवायत की कि रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया: पीर और जुमेरात के दिन जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और हर उस बन्दे की मग़फ़िरत कर दी जाती है जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं बनाता, उस बन्दे के सिवा जिसकी अपने भाई के साथ दुश्मनी हो, इसलिये कहा जाता है: उन दोनों को मोहलत दो यहाँ तक कि ये सुलह कर लें, उन दोनों को मोहलत दो यहाँ तक कि ये सुलह कर लें, उन दोनों को मोहलत दो यहाँ तक कि ये सुलह कर लें। (और सुलह के बाद उनकी भी बख़्शिश कर दी जाए।) [सहीह मुस्लिम 6544]


जन्नत के 8 दरवाजे:

जन्नत के 8 दरवाजे हैं जिन में से अलग अलग तरह के लोग दाख़िल होंगे। "बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे काम किए और नमाज़ क़ायम की और ज़कात दी, उनके लिए उनका अज्र उनके रब के पास है, उनपर न कोई ख़ौफ़ है. न उदासी और ग़म।"
[क़ुरआन 2:277]

रमज़ान शरीफ़ के पूरे महीने जन्नत के आठों दरवाज़े खुले रहते हैं।

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, जब रमज़ान का महीना आता है तो आसमान के तमाम दरवाज़े खोल दिये जाते हैं जहन्नम के दरवाज़े बन्द कर दिये जाते हैं और शैतानों को ज़ंजीरों से जकड़ दिया जाता है।" [सहीह बुख़ारी 1899]
जन्नत में एक (ऐसा) दरवाज़ा है। जिसे रय्यान कहा जाता है। क़ियामत के दिन इसमें से रोज़ादार दाख़िल होंगे। उन के साथ उन के सिवा कोई और दाख़िल नहीं होगा। जब उन में से आख़िरी (व्यक्ति) दाख़िल हो जाएगा। तो वो (दरवाज़ा बन्द कर दिया जाएगा, इस के बाद कोई इस से दाख़िल नहीं हो सकेगा।


जन्नत के 8 दरवाजों के नाम:

हाफ़िज़ इब्न हज़र अस्क़लानी रहीमउल्लाह ने बुख़ारी की शरह फ़तह-अल-बारी 28/7 में जन्नत के आठ दरवाज़ों के नाम ये बताया है-

1. बाब अस सलात (باب الصَّلاَةِ)
2. बाब अल जिहाद (باب الْجِهَادِ)
3. बाब अल सदक़ा (ज़कात) (بَابُ الصَّدَقَةِ)
4. बाब अर रय्यान (باب الرَّيَّانِ)
5. बाब उल हज (بَابُ الْحَجّ)
6. बाब उल ऐमन (الْبَابُ الْعَيْمَنُ)
7. बाब अल-काज़िमीन अल-ग़ैज़ वल आफिना अनिन नास (بَابُ الْكَاظِمِينَ الْغَيْظَ وَالْعَافِينَ عَنِ النَّاسِ):
8. बाब उज़ ज़िक्र या बाब उल इल्म (بَابُ الذِّكْرِ او بَابَ الْعِلْمِ)


1. बाब अस सलात (باب الصَّلاَةِ):

जो लोग इख़्लास, ईमान और पाबन्दी के साथ वक़्त पर नमाज़ अदा करते हैं उनके लिए जन्नत का दरवाज़ा "बाब अस सलात" खोला जायेगा।

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जो अल्लाह के रास्ते में दो चीज़ें ख़र्च करेगा उसे फ़रिश्ते जन्नत के दरवाज़ों से बुलाएँगे कि ऐ अल्लाह के बन्दे! ये दरवाज़ा अच्छा है फिर जो शख़्स नमाज़ी होगा उसे नमाज़ के दरवाज़े से बुलाया जाएगा।" [सहीह बुख़ारी 1897]


2. बाब अल जिहाद (باب الْجِهَادِ):

जिन मुसलमानों ने जिहाद के जरिए इस्लाम की राह में अपनी जान क़ुर्बान की, वे इसी दरवाजे से जन्नत में दाखिल होंगे।

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जो अल्लाह के रास्ते में दो चीज़ें ख़र्च करेगा उसे फ़रिश्ते जन्नत के दरवाज़ों से बुलाएँगे कि ऐ अल्लाह के बन्दे! ये दरवाज़ा अच्छा है फिर जो शख़्स मुजाहिद होगा उसे जिहाद के दरवाज़े से बुलाया जाएगा।" [सहीह बुख़ारी 1897]


3. बाब अल सदक़ा (ज़कात):

ये दरवाज़ा उन मोमिनों के लिए खोला जायेगा जो कसरत से अल्लाह की राह में सदक़ा दिया करते थें।

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जो अल्लाह के रास्ते में दो चीज़ें ख़र्च करेगा उसे फ़रिश्ते जन्नत के दरवाज़ों से बुलाएँगे कि ऐ अल्लाह के बन्दे! ये दरवाज़ा अच्छा है फिर जो शख़्स ज़कात अदा करने वाला होगा उसे ज़कात के दरवाज़े से बुलाया जाएगा।" [सहीह बुख़ारी 1897]


4. बाब अर रय्यान (باب الرَّيَّانِ):

जो लोग इख़लास के साथ अल्लाह का क़ुर्ब हासिल करने के लिए रोज़ा रखते हैं उन्हें बाब अर रय्यान से जन्नत में दाख़िल किया जायेगा।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, "जो अल्लाह के रास्ते में दो चीज़ें ख़र्च करेगा उसे फ़रिश्ते जन्नत के दरवाज़ों से बुलाएँगे कि ऐ अल्लाह के बन्दे! ये दरवाज़ा अच्छा है फिर जो शख़्स रोज़ेदार होगा उसे (बाबुर्र्य्यान) से बुलाया जाएगा।" [सहीह बुख़ारी 1897]

"जन्नत में एक (ऐसा) दरवाज़ा है। जिसे रय्यान कहा जाता है। क़ियामत के दिन इसमें से रोज़ादार दाख़िल होंगे। उन के साथ उन के सिवा कोई और दाख़िल नहीं होगा। जब उन में से आख़िरी (शख़्स) दाख़िल हो जाएगा। तो वो दरवाज़ा बन्द कर दिया जाएगा, इस के बाद कोई इस से दाख़िल नहीं हो सकेगा।" [सहीह बुख़ारी 1896; सहीह मुस्लिम 1152]


5. बाब उल हज (بَابُ الْحَجّ):

हज में शिरकत करने वाले मुसलमान बाब उल हज से जन्नत में दाख़िल होंगे।


6. बाब उल ऐमन (الْبَابُ الْعَيْمَنُ):

बिला हिसाब किताब जन्नत में जाने वाले ख़ुशनसीब लोग जिस दरवाज़े से दाख़िल होंगे उसका नाम "बाब उल ऐमन" है।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया, अल्लाह फ़रमाएगा : ऐ मुहम्मद ! अपना सिर उठाएँ, माँगिये, आप को मिलेगा, सिफ़ारिश कीजिये, आप की सिफ़ारिश क़बूल होगी। तो मैं सिर उठाऊँगा और कहूँगा : ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत! मेरी उम्मत! तो कहा जाएगा : ऐ मुहम्मद! आप की उम्मत के जिन लोगों का हिसाब और किताब नहीं उन को जन्नत के दरवाज़े में से दाएँ दरवाज़े (बाब उल ऐमन) से दाख़िल कर दीजिये और वो जन्नत के बाक़ी दरवाज़ों में (भी) लोगों के साथ शरीक हैं। उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में मुहम्मद की जान है! जन्नत के दो किवाड़ों के बीच इतनी दूरी है जितनी मक्का और (शहर हिज्र) या मक्का और बसरा के बीच है।" [सहीह मुस्लिम 480]

बिला हिसाब किताब जन्नत में जाने वाले 70 हज़ार इफ़राद एक साथ बाब उल ऐमन से दाख़िल होंगे, कोई आगे या पीछे नहीं होगा

हज़रत सहल -बिन- सअद (रज़ि०) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया : "मेरी उम्मत में से सत्तर हज़ार या सात लाख लोग (अबू- हाज़िम को शक है कि सहल (रज़ि०) ने कौन सी संख्या बताई) इस तरह जन्नत में दाख़िल होंगे कि वो एक साथ होंगे, एक-दूसरे को पकड़े हुए। उन में से पहला शख़्स उस वक़्त तक दाख़िल नहीं होगा जब तक आख़िरी शख़्स (भी साथ ही) दाख़िल नहीं होगा। इकट्ठे ही (जन्नत के लम्बे-चौड़े दरवाज़े से) अन्दर जाएँगे। उन के चेहरे चौदहवीं रात के चाँद जैसे होंगे।" [सहीह मुस्लिम 526]
नोट: मक्का और हज का दरमियानी फ़साला 1160 किलोमीटर और मक्का व बसरा का दरमियानी फ़साला 1250 किलोमीटर है।


7. बाब अल-काज़िमीन अल-ग़ैज़ वल आफिना अनिन नास (بَابُ الْكَاظِمِينَ الْغَيْظَ وَالْعَافِينَ عَنِ النَّاسِ):

बाब अल-काज़िमीन अल-ग़ैज़ वल आफिना अनिन नास से वो लोग दाख़िल होंगे जो लोग अपने गुस्से पर क़ाबू रखते थे और अपने मुसलमान भाइयों के साथ दरगुज़र करने पर क़ादिर थें।


8. बाब उज़ ज़िक्र या बाब उल इल्म (بَابُ الذِّكْرِ او بَابَ الْعِلْمِ)

वो लोग जो अल्लाह पर ईमान लाये और साबितकदम रहे, अपने रब के फैसलों पर यक़ीन करते थे, क़ुरआन ओ सुन्नत के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते थें और लोगों को अल्लाह के दीन की दावत देते थें, उन्हें इस दरवाज़े से जन्नत में दाख़िल होने का सर्फ़ हासिल होगा।


जन्नत के किसी भी दरवाज़े से दाखिल होने वाले शख़्स:

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, जो अल्लाह के रास्ते में दो चीज़ें ख़र्च करेगा उसे फ़रिश्ते जन्नत के दरवाज़ों से बुलाएँगे कि ऐ अल्लाह के बन्दे! ये दरवाज़ा अच्छा है फिर जो शख़्स नमाज़ी होगा उसे नमाज़ के दरवाज़े से बुलाया जाएगा जो मुजाहिद होगा उसे जिहाद के दरवाज़े से बुलाया जाए जो रोज़ेदार होगा उसे (बाबुर्र्य्यान) से बुलाया जाएगा और जो ज़कात अदा करने वाला होगा उसे ज़कात के दरवाज़े से बुलाया जाएगा। इस पर अबू-बक्र (रज़ि०) ने पूछा मेरे माँ-बाप आप (सल्ल०) पर फ़िदा हों या रसूलुल्लाह (सल्ल०) ! जो लोग उन दरवाज़ों (में से किसी एक दरवाज़े) से बुलाए जाएँगे मुझे उनसे बहस नहीं आप ये फ़रमाएँ कि क्या कोई ऐसा भी होगा जिसे उन सब दरवाज़ों से बुलाया जाएगा? आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि हाँ और मुझे उम्मीद है कि आप भी उन्हीं में से होंगे।" [सहीह बुख़ारी 1897]

कुछ ऐसे लोग भी हैं जो जन्नत के किसी भी दरवाज़े से दाखिल हो सकेंगे, उनका ज़िक्र अहदीस में किया गया हैं -

1. तीन नबालिग बच्चों के फ़ौत होने पर सब्र करने वाला शख़्स जन्नत के आठों दरवाज़ों में से जिससे चाहेगा दख़िल हो सकेगा।

रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया, "जिस मुसलमान के तीन नबालिग बच्चे फ़ौत हो गए (और उसने सब्र किया) तो वो बच्चे उसके साथ जन्नत के आठ दरवाज़े पर मिलेंगे वो जिस दरवाज़े से चाहेगा दाख़िल हो जाएगा।" [सुनन इब्न माजा 1604]

2. पांच नमाजों की पाबंदी करने वाली, रमज़ान के रोज़े रखनेवाली, पाकदामन और अपने शौहर की इता'अत गुज़ार औरत जन्नत के आठों दरवाज़ो में से जिस से चाहेगी दख़िल हो सकेगी।

"जो औरत पांच नमाज़ें अदा करे, रमज़ान के रोज़े रखे, अपनी शर्मगाह की हिफ़ाज़त करे और अपने शौहर की फ़ार्माबरदारी करे उसे (क़यामत के रोज़) कहा जायेगा जन्नत के (आठों) दरवाज़ो में से जिस से चाहो दख़िल हो जाओ।" [सुनन कुबरा बहिएक़ी 07/476]

3. अच्छी तरह वुज़ू करने के बाद कलमा ए शहादत पढ़ने वाला शख़्स जन्नत में आठों दरवाज़ों में से जिससे चाहेगा दख़िल हो सकेगा।

"जो आदमी वुज़ू करे और अच्छी तरह करे फिर ये पढ़े : أشھد أن لا الہ الا اللہ … … … عبدہ و رسولہ "मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूदे-बर-हक़ नहीं और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद (सल्ल) उसके बन्दे और रसूल हैं। उसके लिये जन्नत के आठों दरवाज़े चौपट खोल दिये जाते हैं। जिस दरवाज़े से चाहे दाख़िल हो जाए।" [सहीह मुस्लिम 234]


इन शा अल्लाह अगले पार्ट में हम "जन्नत के दरजात" के मुतअल्लिक़ पढ़ेंगे। 

दुआ है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हमें तमाम गुनाहों से पाक कर दें, हमे नेकोंकार लोगों में शामिल कर दे, हम सब मुस्लामानों को जन्नतुल फिरदौस में जगह दे और अपना दीदार नसीब फरमाए।  

आमीन


Posted By Islamic Theology

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