अल्लाह तअला इंसान को पैदा करने के बाद मौत क्यों देता है?
आज हम बात करते हैं, क्यों कायनात का बनाने वाला जब दुनिया को बना देता है तो वो बार बार इंसान को मिट्टी में मिला कर बरबाद कर देता है, हालांकि वो तो सृष्टि को बनाना चाहता हे, तो क्या वजह होती है कि बार-बार वो सृष्टि को उसी पॉइंट पर लाकर खड़ा कर देता है, जहां से शुरुआत हुई थी।
इस सिलसिले मैं आपको ये बताना चाहूंगी कि सृष्टि का मालिक तो चाहता है कि सृष्टि बनी रहे, लेकिन जिन्हें दुनिया की बागडोर देता है, वहीं लोग दुनिया में बिगाड पैदा कर देते हैं, जिसकी वजह से मालिक उन्हें बर्बाद कर देता है, या फिर उनसे बेहतर लोगो को ले आता हे।
इसकी मिसाल ऐसी है , जैसे किसी मकान मालिक ने अपना मकान किराए पर दिया हो, हालांकि वो घर तो मकान मालिक का है, मगर किरायदार सोचने लगे कि मैं रह रहा हूं तो मेरा ही है, या वो घर में तोड़ फोड़ शुरू कर दे तो मकान मालिक चेतावनी देगा तब भी न माना तो तो उसको जब तक इसे बेहतर किरायदार ना मिल जाए जैसे ही कोई उस से बेहतर मिल गया जो उसके मकान की ज्यादा देखभाल कर सकें तो फोरन मकान मालिक पुराने किरायदार को निकाल देगा, अगर सीधी तरह निकल जाएगा तो ठीक वरना मकान मालिक उसे बेइज्जत ज़लील ख़्वार करके निकलेगा।
इस दुनिया का भी यही अटल नियम है यहां कोई एक राजा, कौम, खानदान, परिवार, तानाशाह, पार्टी की हुकूमत हमेशा नहीं रहती।
कभी हमारे इस देश में द्रविड़, आर्य, अशोक, मुगल, अंग्रेज, किसी पार्टी की हुकूमत रही जब तक वो बनाव के काम करते रहे राज चलता रहा लेकिन जब वह बिगड करने लगे उनकी कई सालो से जमी हुई हुकूमत को उखाड़ फेंका गया दूसरी लोगो को हुकूमत का मौका दिया चाहे दूसरे लोग कहीं से भी लाने पड़े हो।
कुरान में सृष्टि रचियता ईश्वर, फरमाता हैं,
"वो जिसे चाहे मुल्क (जमीन/देश) दे या जिससे चाहे छीन ले, जिसे चाहे इज्जत दे, या जिसे चाहे जिल्लत दे।" [कुरान 3: 20]
इस का मतलब ये हुआ के जो उसके उध्यान (दुनिया रूपी बाग) की रक्षा करेगा तो मालिक उसके ही हाथ में मुल्क देगा, ओर जो बिगाड़ेगा उस से मुल्क छीन लेगा, इसके ज़रिये इज्जत या ज़िल्लत भी उन्हें ही देगा।
संक्षेप में कहू तो मेरे कहने के लिए सिर्फ ये है कि अगर हमारे हाथ में मुल्क की हुकूमत हो या फिर मेरे परिवार की हुकूमत हो या मेरी अपने परिवार की हुकूमत हो तो हममें सकारात्मक सुधार करेंगे तो अच्छा है, अगर हम निगेटिव बनाएंगे तो ये हुकूमत हमसे छीन जाएगी या हम गुलाम मात्र रह जाएंगे।
इसी तरह क्यू हमारे हाथ में ये देश हैं तो हमे यहां सुधार करना है या सुधार करने वाला बनना है, तब तक मालिक हमारे हाथ में कमान रहेगी, अगर हम इसमें फसाद, बुराई फैलाएंगे तो फिर हमसे ये जिम्मेदारी छीन ली जाएंगी या हम गुलाम बना लिए जाएंगे, या हम ज़लील हो जाएंगे, या दूसरे के आगे गिरी पडी चीज़ बन जाएंगे, अगर हम सीधी तरह तब भी नहीं सुधरे तो फिर मालिक हमें औंधे मुंह ज़मीन पर गिराएगा, तो हमें जो अवसर मिला वह इस्तेमाल करना चाहिए।
सृष्टि रचियेता का अटल नियम ये है, "वो बनाव को पसंद करता है बिगाड़ को पसंद नहीं करता।"
जज़ाकुमुल्लाहि ख़ेरन कसीरन कसीरा
By आलीमा खिज़रा इस्लाही
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