अल्लाह से धोका और बगावत (मुसलमान ज़िम्मेदार)
2. निकाह के मोके पर मुस्लिमो के किरदार (पार्ट 02)
2.1. फितना फसाद ना फैलाओ
उन वालिदेन के नाम जो अपनी औलाद की दुनिया और आखिरत को बर्बाद कर रहे हैं-
लड़कियों की शादी में देरी वाक़ई एक मसअला है, लेकिन इस मसले का सिर्फ एक वाहिद सबब जहेज़ नहीं, ना उसके वाहिद ज़िम्मेदार लड़के वाले हैं। मैंने देखा है ऐसे आधे से ज्यादा मामलात में असली जिम्मेदार लड़की वाले ही होते हैं।
होता यह है कि घर का हर इंसान दूल्हे के लिए एक मयार बनाया हुआ होता है, बाप चाहता है दामाद दीनदार मिले, माँ चाहती पैसा वाला हो, लड़की चाहती हैंडसम हो, ये सारे मामलात में हक़ीकी जिम्मेदार लड़की वाले ही होते है।
रिश्ते आते है और किसी न किसी की तरफ से रिजेक्ट होते जाते हैं।
लड़की की उम्र भी रिश्ते को रिजेक्ट करने के सिलसिले में दराज हो जाती है और फिर यह उम्र दराज़ी उस लड़की को उस मकाम पर ले चली जाती है जहां वो बाजी और फिर आंटी बन जाती हैं अब रिश्ते आने बंद होते जाते हैं तो घर वाले चाहते हैं पहले ही जैसा रिश्ता आ जाता तो लड़की के हाथ पीले कर देते हालात यहां तक पहुंच जाती है की लड़की वाले जैसे तैसे जहां-तहां किसी के पल्लू बांधकर लड़की से छुटकारा हासिल करना चाहते हैं।
हमने समाजी तौर पर यह ज़हन बनाया हुआ है कि चाहे लड़का जैसा भी हो लेकिन घर वालों की फिक्र यही होती है कि वह परी कहां से लाऊं जिसे तेरी दुल्हन बनाऊ "यही मामला लड़की वालों की तरफ से होता है हर घर वाला जैसे फरिश्ते की तलाश में हो हर लड़की शहजादा और हर लड़का शहजादी का ही ख्वाब देखता है।
यह समझने की जरूरत है कि कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता दुनिया में रहकर तो दुनिया वालों से ही काम चलाना पड़ेगा ना! हमारे बच्चों से शादी करने के लिए आसमान से फरिश्ता तो नहीं उतरेगा इस मामले में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीम बहुत अहम है।
अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहू अन्हू कहते हैं कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया,
"जब तुम्हें कोई ऐसा शख्स शादी का पैगाम दे जिसकी दीनदारी और अख़लाक़ से तुम्हे इत्मीनान हो तो उससे शादी कर दो अगर ऐसा नहीं करोगे तो जमीन में फितना और फसाद बरपा होगा।" [सुनन तिरमिज़ी 1084]
नबी (ﷺ) ने फ़रमाया कि "औरत से निकाह चार चीज़ों की बुनियाद पर किया जाता है। उसके माल की वजह से, उसके ख़ानदानी शर्फ़ की वजह से, उसकी ख़ूबसूरती की वजह से और उसके दीन की वजह से। तो दीनदार औरत से निकाह करके कामयाबी हासिल कर! अगर ऐसा न करे तो तेरे हाथों को मिट्टी लगेगी (यानी आख़िर में तुझको नाराज़गी होगी)।" [सहीह बुख़ारी 5090]
अल्लाह तआला फ़रमाता है,
"मेरा इरादा तो अपनी ताकत भर इस्लाह करने का ही है मेरी तौफीक अल्लाह ही की मदद से है इस पर मेरा भरोसा है और उसी की तरफ में पलटूँगा।" [सूरह हूद 88]
अल्लाह ताला अमल की तौफ़ीक़ अता फरमाए।
आमीन
बने रहें, इन शा अल्लाह अगली क़िस्त में अगले मोज़ू पर बात करेंगे।
आपका दीनी भाई
मुहम्मद रज़ा
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