अल्लाह से धोका और बगावत (मुसलमान ज़िम्मेदार)
2. निकाह के मोके पर मुस्लिमो के किरदार (पार्ट 02)
2.2. क्या निकाह से पहले मोहब्बत करना अफ़ज़ल हैं?
मोहब्बत की शादी मुखतलिफ़ हैं, अगर दो तरफेन की मोहब्बत में अल्लाह की शरई हदें नहीं तोड़ी गई और मोहब्बत करने वालों ने किसी मासियत का इरतीक़ाब नहीं किया तो उम्मीद की जा सकती है ऐसी मोहब्बत से अंजाम पानी वाली शादी ज्यादा कामयाब होगी, क्योंकि यह दोनों एक दूसरे में रगबत की वजह से अंजाम पाई हैं,
जब किसी मर्द का दिल किसी लड़की से मुअलक़ हो जिससे इसका निकाह करना जाएज़ हैं या किसी लड़की ने किसी लड़के को पसंद कर लिया हो तो उसका हल शादी के अलावा कुछ नहीं क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है,
"दो मोहब्बत करने वालों के लिए हम निकाह की मिसल कुछ नहीं देखते।" [इब्ने माजह 1847]
यहाँ हदीस में अरबी लफ्ज़ متحابین हैं तसनिया और जमा दोनों का एहतामाल रखता हैं और माना यें होगा "अगर मोहब्बत दो के दरमियान हो तो निकाह जैसे ताल्लुक़ के इलावा उनके बीच कोई और ताल्लुक़ और हमेशगी क़ुर्ब नहीं हो सकता", इसलिए अगर उसे मोहब्बत के साथ उनके बीच निकाह हो तो यह मोहब्बत हर दिन बढ़ती जाती है।
वालिदेन का अख्तियार करदा रिश्ता ना तो सारे के सारा बेहतर है और ना ही मुकम्मल तौर पर बुरा हैं, लेकिन अगर घर वाले रिश्ता अख्तियार करते हुए अच्छी और बेहतर अंदाज को सामने रखें और औरत भी दीन और खूबसूरती की मालिक हो और खाविंद की रज़ामंदी से यें रिश्ता तय हो के वह उसे लड़की से रिश्ता करना चाहे तो फिर यह उम्मीद है कि यह शादी कामयाब होगी।
और इसलिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लड़की को यह इजाजत दी और वसीयत की है कि अपने होने वाले हस्बैंड को देख ले।
मुगीरा बिन शोबा रज़ि अन्हु बयान करते हैं मैंने एक औरत से मंगनी की तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया,
"उसे देख लो क्योंकि ऐसा करना तुम दोनों के दरमियान ज्यादा इस्तक़रार का बास बनेगा।" [तिरमिज़ी 1087]
इसके बरअक्स देखते हैं वालिदेन ऐसी जगह रिश्ता कर देतें हैं जो की लड़की की वबाल ए जान बन जाता हैं अब बेचारी लड़की मजबूर हो जाती हैं निकाह के बाद लाइफ गुज़ारने कुछ उस लड़की को यें बात मार देती है की इस शोहर से होने वाली औलाद का चेहरा देख कर वो शिद्दत तो बर्दाश्त कर लेती है लेकिन बच्चों को बाप से अलग नहीं करती इसी तनाज़ुर वो लाइफ गुज़ार देती है।
दूसरी वजह यें होती हैं की वालिदेन की इज़्ज़त के खातिर भी वो लड़की मजबूर हो जाती है की शोहर और ससुराल के ज़ुल्मों को सहती है।
लेकिन याद रखो ए मोमिनो क़यामत के दिन अल्लाह इसका सुवाल करेगा की फैसला लेने में जल्दबाज़ी क्यूंकि की?
अल्लाह नेक अमल की तोफ़ीक़ दें।
आमीन
बने रहें, इन शा अल्लाह अगली क़िस्त में अगले मोज़ू पर बात करेंगे।
आपका दीनी भाई
मुहम्मद रज़ा
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