Jannat (Part-1): maujoodgi ka saboot

Jannat ki maujoodgi ka saboot | kya sach mein jannat hai

जन्नत (पार्ट-1): जन्नत की मौजूदगी का सबूत

अरकान ए इस्लाम का पंचवा रुक्न आख़िरत (मौत, मरने के बाद दोबारा ज़िंदा किया जाना, जन्नत और जहन्नम) है जिस पर हर मुस्लमान को पूरे दिल से यक़ीन रखना बहुत ज़रूरी है। हर जानदार को मौत और उसके बाद क़ायम के दिन सबको ज़िंदा किया जायेगा फिर उनके अमाल के हिसाब से उनके ठिकाने दिखाए जायेंगे। अल्लाह तआला ने अपने फ़रमाबरदार बन्दों के लिए जन्नत तैयार की है जहाँ वो हमेशा रहेंगे और नाफ़रमानों के लिए जहन्नम जिसमे वो हमेशा जलते रहेंगे।  

कुछ मुनाफ़िक़ जन्नत के वजूद का इंकार करते हैंजबकि क़ुरआन में करीब 147 बार जन्नत का ज़िक्र हुआ है। मौजूदा नस्ल के कुछ मुस्लमान हर बात का सबूत साइंस से मांगते है और उम्मीद है आने वाली नस्ल पूरी तरह से साइंस पर निर्भर हो जाएगी। और जो मुसलमान आख़िरत के दिन पर ईमान रखते हैं उनके घरों का हाल भी आने वाले दौर में मुनाफ़िक़ों सा हो सकता है और इसके ज़िम्मेदार हम खुद होंगे जो हमने अपनी औलादों को क़ुरआन ओ सुन्नत से दूर कर रखा है। इसलिए हमारे लिए ये ज़रूरी है कि हम अपनी नस्ल को क़ुरआन ओ सुन्नत की रौशनी में दलाइल के साथ बताये और समझाए की जन्नत और जहन्नम दोनों को अल्लाह तआला ने बनाया है जो हक़ीक़त में मौजूद है पर ये हमें मरने के बाद ही दिखाई जाएगी। 

आइये इस बात का सबूत हम क़ुरआन ओ सुन्नत से देखते है:-

अल्लाह तआला फरमाता है,

"दौड़ो और एक-दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश करो, अपने रब की मग़फ़िरत और उस जन्नत की तरफ़ जिसकी वुसअत आसमान व ज़मीन जैसी है, जो मुहैया की गई है उन लोगों के लिये जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों।" [क़ुरआन  57:21]

"और जिन लोगों ने हमारी आयतों को मान लिया और नेक अमल किए उनको हम ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेंगे जिनके नीचे नहरें बहती होंगी, जहाँ वो हमेशा-हमेशा रहेंगे और उनको पाकीज़ा बीवियाँ मिलेंगी और उन्हें हम घनी छाओं में रखेंगे।" [क़ुरआन 4:57]

"और एक बार फिर उसने (मुहम्मद ﷺ) सिदरतुल-मुन्तहा के पास उसको (जिब्राईल) देखा जहाँ पास ही जन्नतुल मावा है।" [क़ुरआन 53: 13-14-15]

अल्लाह तआला ने सूरह हदीद आयत 21 में साफ़ साफ़ अलफ़ाज़ में जन्नत का ज़िक्र किया है और ये उनके लिए है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए। सूरह निसा आयत 57 में बागों का ज़िकर आया है जिसक माना जन्नत है। और सूरह नज़्म आयत 13, 14 और 15 में जिबरील (अलैहि०) से नबी (ﷺ) की दूसरी मुलाक़ात का ज़िक्र है जिसमें वो आप (ﷺ) के सामने अपनी असली सूरत में ज़ाहिर हुए थें। इस मुलाक़ात का मक़ाम सिदरतुल-मुंतहा बताया गया है और साथ ही ये फ़रमाया गया है कि उसके क़रीब जन्नतुल-मावा है। 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया,

“रमज़ान के महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं, जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं और तमाम सिरकश जिन्न और शयातीन क़ैद कर लिए जाते हैं।” [सहीह मुस्लिम 1079]

"जब तुममें से कोई शख़्स मर जाता है तो उसका ठिकाना उसे सुबह और शाम दिखाया जाता है। अगर वो जन्नती है तो जन्नत वालों में और जो दोज़ख़ी है तो दोज़ख़ वालों में। फिर कहा जाता है ये तेरा ठिकाना है यहाँ तक कि क़ियामत के दिन अल्लाह तुझ को उठाएगा।" [सहीह बुख़ारी 1379]

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु अन्हु कहते हैं हम रसूलुल्लाह (ﷺ) की ख़िदमत में हाज़िर थे। आप (ﷺ) ने फ़रमाया कि मैं सोया हुआ था कि मैंने ख़्वाब में जन्नत देखी। मैंने देखा कि एक औरत एक महल के किनारे वुज़ू कर रही है। मैंने पूछा ये महल किस का है? तो फ़रिश्तों ने जवाब दिया कि उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु का। फिर मुझे उन की ग़ैरत और हमीयत याद आई और मैं वहीं से लौट आया। इस पर उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु रो दिये और कहा: या रसूलुल्लाह! क्या मैं आप पर भी ग़ैरत करूँगा? [सहीह बुख़ारी 3680]

रमज़ान में जन्नत के दरवाजों का खुलना, क़बार में जन्नती आदमी को जन्नत में उसका ठिकाना दिखाया
जाना और नबी (ﷺ) का जन्नत में हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु का ठिकाना देखना इस बात की तस्दीक़ करता है की जन्नत का वजूद है। 

अल्हम्दुलिल्लाह


Posted By Islamic Theology

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