क़यामत की निशानियां सीरीज-6
क़यामत की बड़ी निशानियां (पार्ट 01)
यूँ तो क़यामत की छोटी छोटी निशानियों की एक बहुत बड़ी फेरिस्त है जिसको बयान करना ज़रूरी था लेकिन चूँकि हमारा मक़सद क़यामत की वो बड़ी बड़ी निशानियों से आपको बावर रुनुमा कराना है जो हर उम्मती के लिये एक लाज़िमी है।
हदीस 01:
सुफ़ियान-बिन-उएना ने फ़रात क़ज़ाज़, उन्होंने अबू-तुफ़ैल (रज़ि०) से और उन्होंने हज़रत हुज़ैफ़ा-बिन-उसैद ग़िफ़ारी (रज़ि०) से रिवायत की, कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ हमारे पास आए और हम बातें कर रहे थे। आप ﷺ ने फ़रमाया कि आप क्या बातें कर रहे हो? हमने कहा कि क़ियामत का ज़िक्र करते थे। आप ﷺ ने फ़रमाया कि क़यामत क़ायम नहीं होगी जब तक कि दस निशानियाँ उस से पहले नहीं देख लोगे। फिर ज़िक्र किया धुएँ का, दज्जाल का, ज़मीन के जानवरों का, सूरज के मग़रिब से निकलने का, ईसा (अलैहि०) के उतरने का, याजूज माजूज के निकलने का, तीन जगह ख़स्फ़ का यानी ज़मीन के धँसने का एक मशरिक़ में, दूसरे मग़रिब में, तीसरे अरब द्वीप में। और उन सब निशानियों के बाद एक आग पैदा होगी जो यमन से निकलेगी और लोगों को हाँकती हुई उनके (मैदान) महशर की तरफ़ ले जाएगी।
[सहीह मुस्लिम 2901]
1. इमाम माहदी का ज़हूर:
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"दुनिया उस वक़्त तक ख़त्म नहीं होगी जब तक कि मेरे घराने का एक आदमी जो मेरा हम नाम होगा अरब का बादशाह न बन जाएगा।"
[जामे तिर्मिज़ी 2230]
सैयदना अली (रज़ि०) बयान करते हैं, नबी ﷺ ने फ़रमाया:
"अगर इस ज़माने से एक दिन भी बाक़ी हुआ तो अल्लाह तआला मेरे अहले-बैत से एक आदमी को उठाएगा जो उसे इन्साफ़ से भर देगा जैसे कि ज़ुल्म से भरी होगी।"
[अबू दाऊद 4283]
हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ि अन्हु फरमाते हैं कि अल्लाह कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
"क़यामत कायम नहीं होगी हत्ता कि रूए ज़मीन ज़ुल्म व ज़ियादती से भर जायेगा कहा: फिर नबी अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: फिर मेरी नस्ल या अहले बैत में से (एक आदमी) निकलेगा जो इस जमीन को इस तरह अदल व इंसाफ से भर देगा जिस तरह यें ज़ुल्म वा ज़ियादती से भरी पड़ी थी।"
[अल मुस्तादरक लिल हाकिम 04/600]
हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ि अन्हु फरमाते हैं:
"हमें नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की वफात के बाद हादसात (के ज़हूर) हदसा लाहक़ होता तो हमने अल्लाह के रसूल से पूछा नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: (इमाम) माहदी मेरी उम्मत में ज़ाहिर होंगे जो 5 साल या 7 साल या 9 साल तक जिंदा रहेंगे।"
[तिर्मिज़ी 2232; मुसनद अहमद 03/27]
हज़रत अली (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"महंदी हम में से यानी अहले-बैत में से है। अल्लाह उसे एक रात में दुरुस्त फ़रमाएगा।"
[इब्ने माजह 4085]
मैंने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना, आप फ़रमा रहे थे:
"महदी फ़ातिमा (रज़ि०) की औलाद में से होगा।"
[इब्ने माजह: 4086]
हज़रत सौबान (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"तुम्हारे ख़ज़ाने के पास तीन आदमी आपस में जंग करेंगे। उनमें से हर एक किसी न किसी ख़लीफ़े का बेटा होगा। वो ख़ज़ाना उनमें से किसी को नहीं मिलेगा। फिर मशरिक़ की तरफ़ से स्याह झंडे ज़ाहिर होंगे और वो तुम लोगों को इस तरह क़त्ल करेंगे कि पहले किसी ने न किया होगा। फिर आप ने कुछ फ़रमाया जो मुझे याद नहीं। फिर फ़रमाया: जब तुम उसे देखो तो उसकी बैअत करो, भले ही बर्फ़ पर घिसट कर आना पड़े क्योंकि वो अल्लाह का ख़लीफ़ा महंदी होगा।"
[इब्ने माजह 4084]
हज़रत जाबिर -बिन-अब्दुल्लाह (रज़ि०) बयान करते हैं, मैं ने रसूलुल्लाह ﷺ को फ़रमाते हुए सुना:
"मेरी उम्मत का एक गरोह मुसलसल हक़ पर (क़ायम रहते हुए) लड़ता रहेगा, वो क़यामत के दिन तक (जिस भी जंग में होंगे) ग़ालिब रहेंगे। कहा: फिर ईसा इब्ने-मरयम (अलैहि०) उतरेंगे तो इस गरोह (गरोह) का अमीर कहेगा: आएँ हमें नमाज़ पढ़ाएँ। इस पर ईसा (अलैहि०) जवाब देंगे: नहीं, अल्लाह की तरफ़ से इस उम्मत को बख़्शी गई इज़्ज़त और सम्मान की बिना पर आप ही एक-दूसरे पर अमीर हो।"
[सहीह मुस्लिम 395]
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
''तुम्हारा उस वक़्त क्या हाल होगा जब ईसा इब्ने-मरयम तुममें उतरेंगे (तुम नमाज़ पढ़ रहे होगे) और तुम्हारा इमाम तुम ही में से होगा।''
[सहीह बुखारी 3449]
यानी हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम नहीं बल्कि इमाम माहदी इमामत कराएंगे।
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
"मेरी आखिरी उम्मत में एक खलीफा होगा जो बिला हिसाब व किताब चुल्लू भर भर कर माल तक़सीम करेगा।"
[सहीह अल जामे: 8154]
हज़रत अबू-सईद ख़ुदरी (रज़ि०) से रिवायत है, रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"महदी मुझसे (मेरी नस्ल से) होगा उसकी पेशानी कुशादा और नाक बुलन्द होगी ज़मीन को इन्साफ़ से भर देगा जैसे कि ज़ुल्म और ज़्यादती से भरी होगी और सात साल तक हुकूमत करेगा।"
[अबू दाऊद 4285]
अब्दुल्ला-बिन-ज़ुबैर (रज़ि०) से रिवायत है कि हज़रत आयशा (रज़ि०) ने कहा:
रसूलुल्लाह ﷺ ने नींद के दौरान (बेचैनी के आलम) में अपने हाथ को हरकत दी तो हमने कहा कि अल्लाह के रसूल ﷺ! आपने नींद में कुछ ऐसा किया जो पहले आप नहीं क्या करते थे, तो आप ﷺ ने फ़रमाया: ये अजीब बात है कि (आख़िरी ज़माने में) मेरी उम्मत में से कुछ लोग बैतुल्लाह की पनाह लेने वाले क़ुरैश के एक आदमी के ख़िलाफ़ (कार्रवाई करने के लिये) बैतुल्लाह का रुख़ करेंगे यहाँ तक कि जब वो चटियल मैदान हिस्से में होंगे तो उन्हें (ज़मीन में) धँसा दिया जाएगा। हमने कहा की, अल्लाह के रसूल ﷺ! रास्ता तो हर तरह के लोगों के लिये होता है। आपने फ़रमाया: हाँ, उनमें से कोई अपनी मुहिम से आगाह होगा, कोई मजबूर और कोई मुसाफ़िर होगा, वो सब इकट्ठे हलाक होंगे और (क़यामत के दिन) वापसी के अलग-अलग रास्तों पर निकलेंगे अल्लाह उन्हें उनकी नीयतों के मुताबिक़ उठाएगा।
[सहीह मुस्लिम 2884]
फायदा:
(01) इमाम माहदी का ज़हूर नबी अलैहिस्सलाम की सच्ची पेशगोई की रौशनी में एक मुसल्लामा हक़ीक़त है जो अभी तक वाके (ज़ाहिर) नहीं हुई मगर क़यामत से पहले ये ज़ाहिर होगा।
(02) इमाम माहदी का ज़हूर के वक़्त सारी दुनिया फितना फसाद ज़ुल्म अदवान क़त्ल व गारत और कश्त व खून की ऐसी लपेट में होगी कि वैसी आज तक अहले ज़मीन पर नहीं देखी।
(03) इमाम माहदी का नाम ख़ातिमुन नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम जैसा और उनके वालिद का नाम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वालिद के नाम जैसा होगा और यह याद रखिए नबी सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के फेमस नाम दो थे मुहम्मद और दूसरा अहमद और यह दोनों कुरान मजीद में भी ज़िक्र हुए हैं यानी इमाम माहदी का नाम मुहम्मद (अहमद) बिन अब्दुल्लाह होगा।
(04) इमाम माहदी नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अहले बैत यानी फातिमा रज़ि अन्हा की औलाद (हज़रत हसन या हज़रत हुसैन) से होंगे।
(05) इमाम माहदी का ज़हूर ईसा अलैहिस्सलाम से पहले होगा और ईसा अलैहिस्सलाम इनके पीछे नमाज़ पड़ेंगे।
(06) अल्लाह तआला एक ही रात में इमाम माहदी की इस्लाह फरमा देगा। इस बात का सही इल्म तो अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ही होगा, लेकिन इस हदीस के एक माना ये हो सकता हैं:
इमाम माहदी में कुछ उयूब (ऐब व नुक़ूस) (नक़्स) (सगीरा गुनाह) होंगे जिनको एक ही रात में अल्लाह की जानिब से इस्लाह फरमा दी जाएगी हाफ़िज़ इब्ने कसीर ने इसी को इख्तियार किया है। [अन निहाया 01/28]
(07) ज़हूर ए माहदी के बाद हर तरफ ख़ैर व बरकत, माल व दौलत, अमन व अमान और खुशहाली का ऐसा सुहाना समा होगा के तारीख़ इंसान उसकी मिसाल पेश करने से क़ासिर होगी।
(08) इमाम माहदी के ज़हूर के बाद ज़्यादा से ज़्यादा 9 साल और कम से कम 5 साल जिंदा रहेंगे।
(09) इमाम माहदी कोई नबी या रसूल नहीं होंगे बल्कि एक नेक सालेह व मुजाहिद हुक्मरान होंगे जो मनहज ए नबविया के मुताबिक शरीयत ए मोहम्मदी का और खिलाफत इस्लामिया का कायम करेंगे।
(10) इमाम माहदी बैतुल्लाह में पनाह लेंगे क्योंकि कुछ लोग बागर्ज़ जंग उनकी तरफ पेशकदमी करेंगे मगर अल्लाह तआला उन सबको बैतुल्लाह पहुंचने से (चटियल मैदान) मैं जमीन के अंदर धंसा देगा।
(11) ऊपर बताया गया लश्कर ज़मीन में धंस जाना इमाम माहदी की माहदीयत के लिए जलती पर तेल का काम देगा और लोग मज़कूर निशानी देखकर उनके माहदी होने से तस्लीम कर लेंगे और जोक़ दर जोक़ उनकी बैत के लिए निकलेंगे।
जुड़े रहें इंशाअल्लाह आने वाली पोस्ट में और वज़ाहत आपके सामने आएंगी।
मुहम्मद रज़ा
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