फज़ाइले सहाबा (पार्ट-1)
सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हू के फ़ज़ाइल
आमुल फील वाले वाक़या के 50 दिन पहले (571 AD) नबी ﷺ मक्का में पैदा हुए, ढाई साल बाद (2 साल 6 माह) 573 में अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हू की पैदाइश हुई। आप नबी ﷺ से ढाई साल बाद पैदा हुए औए नबी ﷺ की वफात के ढाई साल बाद वफ़ात भी पाई। वफ़ात के वक़्त दोनों की उम्र 63 साल थी। आप सबसे पहले इस्लाम कबूल करने वालों में से थे।
इस आर्टिकल में हम सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हू की चाँद फ़ज़ाइल का ज़िक्र करेंगे क्यूंकि उनकी सख्सियत के बारे में पूरी तफ़सीलात (पूरी ज़िन्दगी) रखना मुमकिन ही नहीं है। तो आइये अहादीस की रौशनी में उनके बारे कुछ बातें जान लेते है-
1. जन्नत की बशारत
जिस सख्स को उसकी ज़िन्दगी में रसूलुल्लाह ﷺ ने जहन्नुम से बरी होने की खुसखबरी दे दी हो, उसका किरदार कैसा होगा इसका अंदाज़ा लगा सकते हैं। सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हू अल्लाह की राह में खर्च कभी पीछे नहीं हटे, उनके अंदर वो सारी ख़ुसूसियत थी जो एक मोमिन में होनी चाहिए। और यही वजह रही के अल्लाह ने उन्हें जन्नत की खुशखबरी दी।
अबू हुरैरह रज़ि० से रिवायत है:
रसूलुल्लाह ﷺ ने (सहाबा से) पुछा: आज किस ने रोज़ा रखा है?
अबूबक्र ने फ़रमाया: मैंने,
आप ﷺ ने पुछा आज कौन जनाज़े के साथ गया था?
अबूबक्र ने फ़रमाया: मैं गया था,
आप ﷺ ने पुछा कि आज किसी ने किसी मिस्कीन को खाना खिलाया है?
अबूबक्र ने फ़रमाया: मैंने,
आप ﷺ ने पूछा: आज किसी ने किसी मरीज़ की बीमार पुरसी की है?
अबूबक्र ने फ़रमाया: मैंने,
तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया: ये चीज़ें जिस इन्सान में जमा हो जाएँ वो जन्नत में दाखिल होगा।
[सहीह मुस्लिम: 1028/2374]
2. नबी ﷺ की उनसे मुहब्बत
सबसे पहली फ़ज़ीलत ये है की नबी ﷺ हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा के बाद सबसे ज़्यादह मुहब्बत अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० से करते थे। ये मुहब्बत सिर्फ नबूवत मिलने के बाद की नहीं थी बल्कि वो उनके बचपन के साथी थे और आप (ﷺ) की तरह सच्चे और सादगी पसंद थे।
हज़रत अम्र बिन आस रज़ि० से रिवायत है:
मैंने नबी ﷺ से पूछा: आप सब से ज़्यादा किस से मुहब्बत करते हैं?
आप ﷺ ने फ़रमाया: आइशा के वालिद (अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि०) से।
मैंने पूछा: उन के बाद किस से ज़्यादा मुहब्बत करते हैं?
आप ﷺ ने फ़रमाया: उमर (रज़ि०) से।
[सहीह बुख़ारी: 3662, सहीह मुस्लिम: 2384ْ/6177]
3. ख़लील बनाने की ख्वाइश
नबी करीम ﷺ ने मस्जिद ए नबवी के सामने खुलने वाले सरे दरवाज़े बंद करवा दिए थे सिर्फ दो दरवाज़े थे जो खुले ही रहे, एक खुद उनके हुजरे का और दूसरा अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० का। इससे ये पता चलता है की नबी करीम ﷺ ने अपनी ज़िन्दगी में ये बता दिया था की मेरे बाद अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० हाकिम होंगे जो की इंसाफ पसंद, अमानतदार थे।
अबू सईद ख़ुदरी रज़ि० से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फ़रमाया:
सोहबत और माल के लिहाज़ से, अबू बक्र का मुझ पर सबसे ज़्यादा एहसान है और अगर मैं अपने रब के अलावा किसी को अपना ख़लील बनाता तो अबू बक्र को अपना ख़लील बनाता लेकिन इस्लाम का भाईचारा और मुहब्बत काफ़ी है। देखो! मस्जिद (नबवी) की तरफ़ तमाम दरवाज़े खिड़कियाँ बंद कर दो सिवाए अबू बक्र के दरवाज़े के।
[सहीह बुख़ारी: 3654, सहीह मुस्लिम: 2382/6170]
4. जन्नत के तमाम दरवाज़ों का खोला जाना
अल्लाह तआला ने हर ईमान लाने वाले को जन्नत की बशारत दी गई है बशर्त वो अपने गुनाहों की सज़ा काट कर जन्नत में दाखिल होगा। जन्नत के आठ दरवाजें हैं और सबकी अलग अलग फ़ज़ीलत है कोई किसी दरवाज़े से दाखिल तो कोई किसी और से, ये उनके अमल के मुताबिक खोला जायेगा पर कुछ ईमानवाले ऐसे होंगे जिनके दर्जे बुलंद होंगे और जन्नत के आठों दरवाज़े ख़ुसूसी तौर पर सिर्फ उनके लिए खोल दिए जायेंगे और उनमे एक अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० भी हैं।
अबू हुरैरह रज़ि० से मरवी एक रिवायत में है कि अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ि० ने रसूलुल्लाह ﷺ से पूछा: ऐ अल्लाह के रसूल ﷺ क्या कोई शख्स ऐसा भी होगा जिसे इन तमाम (जन्नत के) दरवाज़ों से बुलाया जाएगा?
आप ﷺ ने फरमाया: हाँ और मुझे उम्मीद है कि तुम भी उन्हीं में से होगे ऐ अबू बक्र।
[सहीह बुख़ारी: 3666]
5. नबी ﷺ के बाद सबसे अफ़ज़ल शख़्स
नबी करीम ﷺ दुनिया के सबसे बेहतरीन शख्स थे। और आज 1445 साल बाद भी उनके जैसा कोई शख्स नहीं आया और न ताक़यामात आएगा। आप ﷺ ने खुद इस बात की वज़ाहत कर दी की उनके बाद सबसे अफ़ज़ल शख़्स अबू बक्र (रज़ि०) थे।
मुहम्मद बिन अली बिन अबी तालिब उर्फ़ मुहम्मद बिन अल-हनफ़िया रहिमहुल्लाह कहते हैं: मैंने अपने वालिद (सय्यदना अली रज़ि०) से पूछा: नबी ﷺ के बाद कौनसा आदमी सबसे बेहतर (अफ़ज़ल) है?
उन्होंने फ़रमाया: अबू बक्र (रज़ि०),
मैंने कहा फिर उनके बाद कौन है?
उन्होंने फ़रमाया: उमर (रज़ि०)।
[सहीह बुख़ारी: 3671]
नोट: सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हू के फ़ज़ाइल में और भी अहादीस हैं, यहाँ कुछ ही अहादीस ज़िक्र की गई हैं।
मुहम्मद बिलाल
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