Bahattar (72) hoorein vs hazaar (1000) apsarayein

Bahattar (72) hoorein v/s hazaar (1000) apsarayein


बहत्तर (72) हूरें v/s हज़ार (1,000) अप्सराएं 


[ऐ ईमान लानेवालो] "ये लोग अल्लाह के सिवा जिनको पुकारते हैं उन्हें गालियाँ न दो, कहीं ऐसा न हो कि ये शिर्क से आगे बढ़कर जिहालत की बिना पर अल्लाह को गालियाँ देने लगें। हमने तो इसी तरह हर गरोह के लिये इसके अमल को ख़ुशनुमा बना दिया है, फिर उन्हें अपने रब ही की तरफ़ पलटकर आना है, उस वक़्त वो उन्हें बता देगा कि वो क्या करते रहे हैं।" 
[कुरान 6: 108]

इस आयत में अल्लाह ने ताकीद की है कि चाहे किसी भी धर्म के मानने वाले लोग हों वो जिन्हें भी पुकारते हैं, या जिस किसी की पूजा करते हों उनको बुरा भला न कहो न उनके देवी देवता को गालियां दो, अल्लाह को पसन्द नहीं की कोई मुस्लिम किसी के इष्ट देव को बुरा भला कहे अगर कोई ऐसा करता है तो अज्ञानता में वे लोग भी अल्लाह को गाली देंगे जो अल्लाह रब्बुल इज़्जत के शान के खिलाफ़ है और अगर ऐसा कोई करता है तो फिर उसे अल्लाह की तरफ़ पलट कर जाना भी है और वहां उसको उसके कर्म का बदला मिलेगा।

जैसा कि आप सब को पता है कि बीते कुछ दिनों में मुसलमानो के खिलाफ़ प्रोपगेंडा जहालत की हद तक फैलाया गया है कि मुस्लमान शर्मिंदगी महसूस करें। अब मुसलमानो को नीचा दिखाने और बदनाम करने के लिए फिल्मों का सहारा लिया जा रहा है। फिल्म निर्माता झूठी और ज़हरीली फिल्मे बना कर इस्लाम को टारगेट करते हैं। इनका एक मात्र उद्देश्य मुसलमानों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर करना हो गया है। 

अभी कुछ दिन पहले एक फिल्म "कश्मीर फाइल्" आई जिसमें मुसलमानो को क्रूर और आतंकवादी दिखाया गया है। उसके कुछ ही अरसा बाद एक और फिल्म आती है जिसमें मुसलमानो को हिंदू महिलाओ को प्रेमजाल में फसा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है फिर उन्हें अतंकवाद की तरफ़ धकेला जा रहा है जिसे लव जिहाद नाम से सम्बन्धित बताया गया जो की पूरी तरह से फेक है। और अब एक और फिल्म बनाई गई है जो जल्द ही रिलीज होने वाली है "72 हूरें" इस फिल्म में दिखाया गया है कि मुसलमानों को कहा जाता है कि आप काफिरों से लडो, उन्हें मारो, अगर आप मारे जाते हो तो आपको जन्नत में 72 हूरें मिलेगी मतलब ये कि इन सारी फिल्मों का एक ही उद्देश्य होता है एक संप्रदाय विशेष से नफ़रत, उन्हें गालियां देना, नीचा दिखाना, मुसलमानो के धार्मिक ग्रंथ पर सवाल उठाना, पैगबार मुहम्मद (ﷺ) को गालियां देना।

ये सब इनके रोज के रूटीन का हिस्सा बनता जा रहा है। विक्षिप्त मानसिकता वाले लोग हर तरह से मुसलमानों को अलग थलग करना चाहते हैं।

इस आर्टिकल में हम उन श्लोकों पर प्रकाश डालेंगे जिस में स्वर्ग में युद्ध में मारे गए योद्धा/वीर पुरुष को हजारों अप्सराओं को उपहार स्वरूप इन्हें दिया जायेगा जहां वो उनके साथ रहेंगे और भोग विलास करेंगे।

आइए कुछ श्लोकों पर नज़र डालते हैं-


“हजारों सुन्दर अप्सराएं युद्ध मे मारे गए नायक के चारों ओर दौड़ रही होंगी, हर एक यही चाहती होगी कि नायक उसका पति बने।" 
[महाभारत शान्ति पर्व (अध्याय 12), खण्ड 98, श्लोक 46]


"स्वर्ग में सुंदर झीलें हैं, वहाँ सुनहरे रंग की अप्सराएँ रहती हैं।"
[महाभारत वन पर्व 168.6-7]


"युद्ध के मैदान में मरने वाला व्यक्ति स्वर्ग प्राप्त करता है और स्वर्ग की कुमारियों (देवकन्याओं) के साथ आनंद लेता है।"
[पराशर स्मृति 3.36, देवी भागवतम् 3.15.10]


"वह स्वर्ग में सुंदर कूल्हे (buttocks) वाली 1000 महिलाओं द्वारा प्राप्त किया जाता है।" 
[महाभारत 13/79/27]


"स्वर्ग में वह स्त्रियों के साथ संभोग का आनन्द लेता है।"
[अथर्ववेद 4.34.2, मत्स्य पुराण 107.5, महाभारत 13.106.60]


"अप्सराओं में श्रेष्ठ, हजारों की संख्या में, बड़ी तेजी के साथ (मृत नायक की आत्मा को प्राप्त करने के लिए) उसे अपने स्वामी के लिए लालसा करती हैं।" 
[महाभारत 12.98.46-51]

वेद और हिंदू धर्म ग्रंथो मे भी एक व्यक्ति के लिए एक, दो नहीं, बहत्तर या हजारों भी नहीं बल्कि इस संख्या से भी कहीं ऊपर “बहुत सारी” यानि जिनकी गिनती भी नही की जा सकती इतनी स्त्रियाँ दिए जाने का जिक्र है। जैसा की उपर्युक्त श्लोक से ज्ञात होता है। कुछ इसी तरह की बात अथर्ववेद 4:32:2 मे लिखा है,


अनस्था: पूता: पवनेन शुद्धा: शुचय: शुचिमपि यंति लोकम् | 

नैषां शिश्नं प्र दहति जातवेदा: स्वर्गे लोके बहु स्त्रैणमेषाम् || 2||

[अथर्ववेद खंड 4 शुक्त 32 मंत्र 2] 

"सत्र यज्ञ के करने वाले अमृतमय वायु के द्वारा पवित्र निर्मल एवम दीप्तिशाली होते हैं और देहावसान के पश्चात ज्योतिर्मय लोक को जाते हैं स्वर्ग लोक में वर्तमान ब्राह्योदन सत्र यज्ञ कराने वाले इन्द्रियों को अग्नि नहीं जलाती इन्हें भोगने के लिए स्त्रियों का समूह प्राप्त होता है।"


अब यहां इस श्लोक के अनुवाद से स्पष्ट होता है कि स्वर्ग लोक में एक पुरुष को सुख भोगने के लिए स्त्रियों का समूह प्राप्त होगा जिसकी कोई गिनती न होगी जब कि कुरान की किसी भी आयत में 72 हूरों का जिक्र नहीं आया है।

मगर अथर्ववेद के इस मन्त्र में पुरूष अंग के अग्नि आदि से नष्ट न होने का जिक्र इस बात को पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है कि स्वर्ग की अप्सराओं का मुख्य काम स्वर्गीय पुरुष को सेक्सुअल प्लेजर देना है।

इसी प्रकार, यमराज नचिकेता संवाद,  


ये ये कामा दुर्लभा मर्त्यलोके सर्वान्कामाँश्छन्दतः प्रार्थयस्व।

इमा रामाः सरथाः सतूर्या नहीदृशा लम्भनीया मनुष्यैः।

आभिर्मत्प्रत्ताभिः परिचारयस्व नचिकेतो मरणं मानुप्राक्शीः ॥ २५ ॥ 

[श्री कठोपनिषद : अध्याय 1.1.25]

नचिकेता! "जो जो भोग मृत्यु लोक में दुर्लभ है उन सब को तुम अपनी इच्छानुसार मांग लो ये रथों और वाद्यों सहित जो स्वर्ग की सुंदरी रमणियां हैं, ऐसी रमणियां मनुष्यों में कहीं नहीं मिल सकती । बड़े बड़े ऋषि मुनि इसके लिए ललचाते रहते हैं। मैं इन्हें तुम्हें सहज दे रहा हूं, तुम इन्हें ले जाओ और इनसे अपनी सेवा कराओ, परंतु नचिकेता! आत्म तत्व विषयक प्रश्न मत पूछो।"


स्वर्ग की सुंदरियां यानि अप्सराएं जिन्हें पाने के लिए ऋषि मुनि भी ललचाए रहते हैं।

जब कि दूसरी तरफ़ कुरआन मे वर्णित जन्नत की हूर अपने पाकीज़गी की हिफ़ाज़त करने वाली होंगी। 

आइए पहले कुरान की कुछ आयातों को देखे,


فِیۡہِنَّ قٰصِرٰتُ الطَّرۡفِ ۙ لَمۡ یَطۡمِثۡہُنَّ اِنۡسٌ قَبۡلَہُمۡ وَ لَا جَآنٌّ
"इन (जन्नत की) नेमतों के बीच शर्मीली निगाहों वालियाँ होंगी जिन्हें इन जन्नतियों से पहले किसी इन्सान या जिन्न ने छुआ न होगा।" 
[कुरआन 55:56] 


इस्लाम में जन्नत में नेमत के तौर पर पाक बीवियां उनको मिलेंगी जो दुनियां में नेक राह पर चलेगा। वो इनसान जो कुरान की तालिमात पर अमल कर के इंसाफ़ कायम करे, मोहताजों और मिसकीनों की मदद करे, पूरी इंसानियत पर रहम करे और अपनी पवित्रता की हिफ़ाज़त करे।

जैसा की अल्लाह तआला कुरान में फरमाता है :


"जो कुछ तुम्हारे पास है वो ख़र्च हो जानेवाला है और जो कुछ अल्लाह के पास है वही बाक़ी रहनेवाला है, और हम ज़रूर सब्र से काम लेनेवालों को उनके अज्र उनके बेहतरीन आमाल के मुताबिक़ देंगे।

जो शख़्स भी अच्छा काम करेगा, चाहे वो मर्द हो या औरत, बशर्ते कि वो ईमानवाला, उसे हम दुनिया में पाकीज़ा ज़िन्दगी बसर कराएँगे, और (आख़िरत में) ऐसे लोगों को उनके बदले उनके बेहतरीन आमाल के मुताबिक़ देंगे।"
[कुरान 16: 96-97] 


जंग (युद्ध) के लिए लोगों को उकसाने की इजाज़त और उसके बदले में सुंदर लडकियां यानी 72 हूरों का लालच इस्लाम कतई नहीं देता बल्कि इस तरह का लालच हिंदू धर्म ग्रंथो में और शास्त्रों में वर्णित है। 

नफ़रत में पागल होने वाले और मुसलमानो को गालियां देने वालों की मानसिक विक्षिप्त लोगों को उन्हीं के धर्म ग्रंथो से जवाब दिया गया है जो युद्ध में मारे गए योद्धा को 1000 अप्सराओं के लिए प्रेरित करता है।

पता ये चला की जन्नत की हूरें पाक दामन होंगी शर्म व हया वाली अपने आबरू की हिफ़ाज़त करने वाली। तो अब बताएं इस्लाम से नफ़रत करने वाले कुरान और मुहम्मद ﷺ पर आपत्ति करने वालों को किस बात पर आपत्तियां हैं और ये कहां तक जायज़ है।

वैसे हम इस्लाम के मानने वालों को इनके धर्म ग्रंथो में वर्णित इन श्लोकों से या स्वर्ग में मिलने वाली अप्सराओं से या स्वर्गवासी पुरुष का उन अप्सराओं के साथ भोग विलास करने से कोई आपत्ति नहीं है। 

ये बात तो तय है कि इस दुनियां की जिंदगी के बाद एक आखिरत की जिंदगी है जो हमेशा रहने वाली है और वहां इंसान को दुनियां के बिताए गए वक्त और कर्मों का फल दिया जायेगा फिर जन्नत या स्वर्ग पाने वाले को जो आश्वासन दिया गया है अगर कोई व्यक्ति उस लालच में इस धरती पर अपना जीवन अपनी नफ्स की ख्वाहिसात पर काबू रख कर बुरे कर्मो से बचे, गुनाहों से दूर रहें, फहासी और बेहयाई को छोड़ दे तो इस से अच्छा क्या हो सकता है। जैसे मुस्लमानो को कुरान में बुरे कर्मो से डराया गया है और एक ईश्वर की उपासना की नसीहत दी गई है और अच्छे कर्म करने वालों को जन्नत में बेशुमार नेमतें दी जाएगी फिर आप विचार करें कि इसमें क्या बुराई है। 

रही बात लोगों को मारने/कत्ल करने की तो ये जान लीजिए, इस्लाम में किसी भी बेगुनाह शख़्स को मारने की बात कहीं भी नहीं की गई। गैर मुस्लिमों में यह गलत फहमी है कि इस्लाम मारने की बात करता है जब की इस्लाम शिला रहमी और लोगों पर दयालुता की बात करता है।

अल्लाह का फ़रमान है, 

इसी वजह से बनी-इसराईल पर हमने ये फ़रमान लिख दिया था कि “जिसने किसी इनसान को ख़ून के बदले या ज़मीन में फ़साद फैलाने के सिवा किसी और वजह से क़त्ल किया, उसने मानो तमाम इनसानों को क़त्ल कर दिया और जिसने किसी की जान बचाई उसने मानो तमाम इनसानों को ज़िन्दगी बख़्श दी।” मगर उनका हाल ये है कि हमारे रसूल एक के बाद एक उनके पास खुली खुली हिदायतें लेकर आए, फिर भी उनमें से बहुत-से लोग ज़मीन में ज़्यादतियाँ करनेवाले हैं। 
[कुरान 5: 32] 


मगर तागूत के पैरोकार इस्लाम की हर बात का मज़ाक उड़ाना, गालियां देना अपना हक़ समझने लगे हैं। जब इंसान किसी से नफरत करता है, फिर उसे न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ दिखाई देता है, चाहे उस में कितनी ही अच्छाई क्यों न भरी हो, सौ अच्छाइयों को छोड़ कर वो सिर्फ़ सामने वाले की कमियां और बुराइयां तलाशता रहता है और उसे नीचा दिखाने की कोशिश में दिन रात गुजरता है, उसकी हालत पागल कुत्ते की जैसी होती है या फिर सामने वाला नफरती शख्स के आंख में पड़ी किरकिरी की तरह होता है जो लम्हा लम्हा चुभता रहता है। 

ऐसी ही कुछ चुभन है ताग़ूत की नज़रों में इस्लाम को लेकर और ये चुभन दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आज लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाली मीडिया और कुछ अंध भक्तों का भी यही हाल है इन्हें इस्लाम और इस्लाम के मानने वाले मुसलमानो से इतनी नफ़रत है कि ये आए दिन प्रोपगेंडा करते हैं और मुसलमानो को गालियां देते हैं।

एक बात तो है कि नफरती लोगों ने जब कभी भी इस्लाम कुरान और पैगम्बर मुहम्मद ﷺ पर इल्ज़ाम लगाया, उनका मज़ाक उड़ाया, हर बार उतना ही दुश्मन ए इस्लाम को मुंह की खानी पड़ी। इस्लाम आज दुनियाँ में सबसे तेज़ी से फैलने वाला धर्म है, इसकी दावत दुनियां के कोने कोने में पहुंच रही है लोग इस्लाम को जानने की कोशिश कर रहे हैं कुरान का तर्जुमा पढ़ रहे हैं , नबी ﷺ की सीरत पढ़ रहे हैं और इस्लाम से प्रभावित होकर ईमान ला रहे हैं। 

सुबहान अल्लाह


आपकी दीनी बहन
फ़िरोज़ा

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3 टिप्पणियाँ

  1. सुब्हान अल्लाह.. अलहम्दुलिल्लाह.. अल्लाहु अकबर

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  2. Mashallah. हालाते हजरा को बेहतर तरीके से समझने की कोशिश की गई है आपकी कोशिश से कबीले कद्र और फिर वक्त के लिए बेहद फायदेमंद है इस अच्छी कोशिश के लिए आपका आपका शुक्रिया अदा करते हैं

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