The Measure (Part 4) Khane (veg Ya non-veg) Mein Paimana

The Measure (Part 4) Khane (veg Ya non-veg) Mein Paimana


प्रगति मैदान दिल्ली में कुछ लोग वेगानिज्म (veganism) पर बात कर रहे थे। vegan (वेगन) वे लोग है जो न तो मांस खाते है न ही पशुओं से मिलने वाली कोई चीज का इस्तेमाल करते है, यहां तक कि दूध, दही, अंडे, घी, और न ही मधुमक्खियों से मिलने वाला शहद। ये लोग केवल प्लांट/पौधों से मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल करते है। 


जब इन लोगों से बात हुई तो पता चला कि उनका मानना है कि, 

1. सारे विटामिन और पोषक तत्व हमे पौधों से मिल सकते है तो किसी जीवित (पशु) को क्यों मरना?

2. पशुओं को मारना गलत है और यह अख्लाकियात (morality) के खिलाफ है। 

3. पशुओं को खाने से बीमारियां हो रही है। 

वगैरा-वगैरा.....


आए हम तीनो पॉइंट्स को एक एक करके देखते है और पैमाने को समझने की कोशिश करते है कि क्या ये तीनों बातें सही है-


1. सारे विटामिन और पोषक तत्व हमे पौधों से मिल सकते है तो किसी जीवित (पशु) को क्यों मरना?

सवाल: लेकिन क्या पेड़ पौधों में जान नहीं है? क्या वे जीवित नहीं है?

जवाब: हा! वे भी जीवित है, सांस लेते है, अपना जीवन काल पूरा करते है। 

अब बात यह थी कि कम से कम नुकसान (मिनिमम हार्म) तो पहुंचाना ही होगा क्योंकि हमे भी कुछ तो खाना ही है।लेकिन हमने ये कैसे तय किया कि पेड़ पौधों का जीवन लेना मिनिमम हार्म में आएगा और किसी जानवर का जीवन लेना ग्रेटर हार्म में आएगा? 

पैमाना क्या है? 

कैसे हमने नापा इसको?

पेड़ पौधे देख नहीं सकते, तो क्या जो देख नहीं सकता उसका जीवन लें सकते है?

पेड़ पौधों में नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) नहीं होता, तो क्या जिसमें नर्वस सिस्टम कम डेवलप्ड (विकसित) हो उसका जीवन लें सकते है?

क्या पैमाना है? 

कैसे हम ये सब तय कर रहे है? 


2. पशुओं को मारना गलत है और यह अख्लाकियात (morality) के खिलाफ है, लेकिन हमने कैसे तय किया कि पेड़ पौधों को मरना अख्लाकियात/मॉरलिटी के हिसाब से सही है?

क्या पैमाना है? 

पेड़ पौधे कैसे जानवरो से कमतर है? 

और जानवर कैसे पेड़ पौधों से बालातर है? 

यानी दोनों बराबर हैं। 

चलिए थोड़ी देर के लिए मान ले कि मॉरलिटी/morality का मुकदमा/case बनता है तो भी ये किस तरह की मॉरलिटी होगी?

सब्जेक्टिव/व्यक्तिपरक या ऑब्जेक्टिव/वस्तुनिष्ठता? 


सब्जेक्टिव मॉरलिटी (Subjective Morality): 

जैसा की हमने पढ़ा है पहले सब्जेक्टिव मतलब किसी एक विशेष व्यक्ति का खुद का मत। सब्जेक्टिव मतलब हम इसे किसी स्केल पर नहीं नाप सकते। 

इसके उदाहरण के लिए हमने दर्द का एग्जाम्पल पढ़ा था जिसमे डॉक्टर के पूछने के बाद व्यक्ति जवाब में बोलता है या तो दर्द बहुत ज्यादा है, या कम है, या थोड़े से ज्यादा। इसमें सिर्फ दर्द की शिद्दत का पता चला है इसे किसी स्केल पर नहीं नापा जा सकता और जो उसको एक्सपीरियंस कर रहा है केवल वही उसके बारे में बता सकता है।


अब सब्जेक्टिव मॉरलिटी को समझते है, ये अलग अलग व्यक्ति के लिए अलग अलग होगी, और इसको भी किसी पैमाने पर नापा नही जा सकता।

मतलब एक चीज जो एक व्यक्ति के लिए अच्छी होगी शायद दूसरे के लिए कम अच्छी हो और तीसरे व्यक्ति के लिए ये एक गुनाह हो।

जैसे शराब पीना कुछ लोगो के लिए आम बात है, कुछ लोग बोलते है कभी कभी ठीक है नही तो नुकसान देती है, और एक ईमान वाले के लिए यह एक गुनाह है।

इसके और भी बहुत से एक्जाक्पल हो सकते है, 

जैसे जहेज़ को लेकर, कुछ लोग इसको अच्छा मानते हैं, कुछ लोगो को पता है ये बुराई है पर वो इसको बुरा भी नहीं कहते और कुछ लोग ये जानते है कि ये सरासर इंसानियत पर ज़्यादती है


ऑब्जेक्टिव मॉरलिटी (Objective Morality):

ऑब्जेक्टिव होने का मतलब है कि इसको किसी स्केल पर नापा जा सकता है, और ये किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर नही करता। 

एग्जाम्पल के लिए हमने पढ़ा था किसी बॉटल का तापमान ले तो वह एक नंबर होगा और कोई भी व्यक्ति नापे वह तापमान वही आयेगा क्योंकि ये नापने वाले पर निर्भर नही करता।

यहां स्केल से मतलब अंकों से ही नहीं है बल्कि अँको की जगह किसी अन्य प्रकार के शब्दों का भी प्रयोग किया जा सकता है। 


ऑब्जेक्टिव मॉरलिटी को समझते है, मॉरलिटी ऑब्जेक्टिव तभी हो सकती है जब यह किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर ना करे और इसके लिए क्लेयर/साफ साफ इंस्ट्रक्शंस/अनुदेश होने चाहिए। और किसी व्यक्ति विशेष के पुराने अनुभवों से भी प्रभावित न हो। 


अब आप खुद सोचिए की जानवरो और पेड़ पौधों को अपने खाने के लिए मारना किस तरह morality/मॉरलिटी के खिलाफ है? क्योंकि अब अगर सब्जेक्टिव morality का केस लें तो प्रत्येक व्यक्ति कि अपनी सोच समझ और जिंदगी के पुराने अनुभव है। जो लोग मांस खाते है उनको वह खाना morally सही लगता है वही कुछ लोग है जो पेड़ो को काटने के भी खिलाफ होते हैं क्योंकि पेड़ों से हमे फल मिलते है। 


अगर objective मॉरलिटी का केस लें तो क्लियर कट/साफ साफ निर्देश होने चाहिए जो आपके और मेरे ऊपर निर्भर ना करे न ही हमारे पुराने अनुभवों पर।

जैसा वेगानिस्म/ veganism के केस में बिलकुल नहीं है तो जानवरो और पेड़ पौधों में फर्क करने के लिए मॉरलिटी का पैमाना सही नही रहेगा। 

तो सवाल यह है कि सही पैमाना क्या है? 


3. पशुओं को खाने से बीमारियां हो रही है।

वैसे तो इस सवाल के बहुत से जवाब हो सकते है लेकिन हम यह जवाबों से ज्यादा सवालों को टटोल कर देख रहे है, आए इस सवाल को भी समझते है।

क्या ऐसा है कि हमारा पैमाना बीमारियां है? यानी अगर चीज के खाने से बीमारी न हो तो वो खा सकते है? अगर ऐसा है तो मांस को अगर कम खाया जाए अर्थात उसके खाने की फ्रीक्वेंसी/बारंबरता कम कर दें तो बीमारियां नही होंगी।

तब क्या हम मांस खा सकते है? 

तब क्या हमारे भाई (वेगन) हमारा साथ देंगे? 

अगर हां तो बहुत अच्छी बात है अगर नही तो उनको हमे अपना पैमाना दोबारा बताना होगा। क्या है उनका पैमाना? 

और सही पैमाना है क्या? 


आगे भी हम पैमाने को और समझने की कोशिश करेंगे इन शाह अल्लाह।


डॉ० ज़ैन ख़ान

एक टिप्पणी भेजें

5 टिप्पणियाँ

कृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।

क्या आपको कोई संदेह/doubt/शक है? हमारे साथ व्हाट्सएप पर चैट करें।
अस्सलामु अलैकुम, हम आपकी किस तरह से मदद कर सकते हैं? ...
चैट शुरू करने के लिए यहाँ क्लिक करें।...