इस्लामफोबिया
अगर मैं आपसे कहूँ कि पिछले बीस साल से दुनिया भर में मुसलमानों के ख़िलाफ़ छेड़ी गई 6th Generation War (इस्लामफोबिया) (छठी पीढ़ी की जंग) का मरकज़ आज हिंदुस्तान है और उस जंग में हिंदुस्तानी मुसलमान बुरी तरह से हार रहे हैं तो क्या आप यक़ीन करेंगे.. नहीं ना.?? हाँ क्योंकि आपको तो ये भी नहीं पता कि की जंग की भी कोई पीढ़ियाँ होती हैं, आपको तो ये भी नहीं पता कि पिछले बीस साल से आपके ख़िलाफ़ इस ज़मीन की सबसे ख़तरनाक जंग जारी है, और जब आप इस जंग को समझ पाएंगे तब तक आपका वजूद ख़ात्मे तक आ चुका होगा फिर आप चाह कर भी ख़ुद को नहीं बचा पाएंगे, चलिए पहले छठी पीढ़ी की जंग को जान लीजिए कि ये जंग मनोवैज्ञानिक युद्ध है यानि Psychological War और इस जंग में ज़मीनों पर नहीँ ज़हनों पर क़ब्ज़ा किया जाता है, इस जंग में नक़्शे नहीं ख़्याल बदले जाते हैं,इस जंग में शहर नहीं जज़्बात तहस नहस किये जाते हैं, इस जंग में सच को झूठ और झूठ को सच बनाया जाता है, और इस्लाम में इस जंग को दज्जाल(धोका)का निज़ाम कहा गया है और आज आप पूरी तरह से दज्जाली निज़ाम का शिकार हो चुके हैं और आपको ख़बर भी नहीं है
👉 इस दज्जाली निज़ाम का सुबूत ये है कि जो ज़ालिम आज मुसलमानों को शिकार करने वाले जानवर से भी बदतर तऱीके से लिंच कर रहे हैं और मुसलमानों के लिए जब ये ज़मीन तंग कर दी गई है ठीक उसी दौरान उन्ही मुसलमानों की लड़कियां उन ज़ालिमों में अपना हमसफ़र तलाश रही हैं और उनको पा लेने के लिए तमाम हदें पार कर चुकी हैं, यहाँ तक कि वो उनके लिए दुनिया तो क्या ख़ुदा तक से बग़ावत कर रही हैं... अगर किसी जानवरों के झुंड से कुछ जानवरों को रोज़ पीटा जाए तो बाक़ी बचे जानवर भी उस पीटने वाले इन्सान से दूर भागने लगेंगे लेकिन यहाँ उल्टा हो रहा है.. तो क्या ये बात अक़्ल के तस्लीम कर लेने के क़ाबिल है.. नहीं ना..?? लेकिन ऐसा हमारी आंखों के सामने हो रहा है.. जानते हो ऐसा इसलिए हो रहा है कि इस जंग में आपकी लड़कियों/औरतों के ज़हन पर क़ब्ज़ा कर लिया गया है, और उनकी नज़र में आप ज़ालिम हो और वो ज़ालिम फ़रिश्ते हैं.. आइये अब इस जंग को तफ़सील से समझते हैं
👉 पिछले सात साल में आपको मुस्लिम मर्दों की हज़ारों मॉब लिंचिंग की वीडियो देखने को मिली लेकिन किसी मुस्लिम लड़की को एक थप्पड़ भी मारने की वीडियो नहीं देखी होगी बल्कि मीडिया पर दिन रात मुस्लिम औरतों पर मुसलमानों का ज़ुल्म दिखाया जाता है और मुस्लिम मर्दों को ज़ालिम साबित कर के असल ज़ालिमों को उनका हिमायती दिखाया जाता है इसके साथ ही मुस्लिम लड़कियों को प्यार का झांसा दे कर ऐश कराई जा रही है.. अब आप कह सकते हैं कि वो लोग महिला सम्मान करते होंगे..?? लेकिन आंकड़े ये बताते हैं कि ये लोग सिर्फ़ मौजूदा वक़्त ही नहीं बल्कि दुनिया की तारीख़ में अपनी औरतों पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म करने वाले हैं, सबसे ज़्यादा कोख में बच्चियां मारने वाले हैं, सबसे ज़्यादा बलात्कार और सबसे ज़्यादा दहेज़ हत्या करने वाले सबसे ज़्यादा घरेलू हिंसा करने वाले हैं, तो फिर कैसे आज ये लोग बेशुमार मुस्लिम लड़कियों के लिए फ़रिश्ते बन गए..??... इस खेल की शुरुआत की गई सोशल मीडिया पर पहले फ़र्ज़ी मुस्लिम लड़कियों को पेश कर के और उनको अचानक शोहरत दिला कर.. उसी झांसे में आ कर बहुत सी मुस्लिम लड़कियां सोशल मीडिया पर फ़हाशी करने लगी जिनको फ़ौरन ही दौलत और शोहरत अता कर दी गई, क्योंकि उस खेल का सारा कंट्रोल साजिश करने वालों के हाथ में है लेकिन जाहिल मुसलमान समझते हैं कि वो बहुत टेलेंटेड हैं इसलिए वो शोहरत पा रहे हैं
👉 जब मुस्लिम लड़कियां पूरी तरह से सोशल मीडिया पर आ गईं तब अगले क़दम के तहत उनके जोड़ीदार ग़ैरमुस्लिम बनवाये गए और उनको पहले से ज़्यादा शोहरत दी गई, फिर वो जोड़ीदार उनसे शादियाँ करने लगे और इस तरह इस काम को एक ट्रेन्ड की शक्ल दे दी गई फिर असल खेल शुरू हुआ सोशल मीडिया पर मौजूद आम मुस्लिम लड़कियों के हुस्न की तारीफ़ का और औरत की सबसे बड़ी नफ़सानी कमज़ोरी उसके हुस्न की तारीफ़ है उसके बाद औरत दौलत, शोहरत और ताक़त की तरफ़ आसानी से माइल हो जाती है, वहीं मर्द की सबसे बड़ी नफ़सानी कमज़ोरी औरत है उसके बाद दौलत शोहरत और ताक़त, इसलिए सोशल मीडिया पर मर्दों के लिए बेशुमार नाचने गाने वाली मुहैय्या कराई गईं और औरतों के लिए अपना हुस्न दिखाने के ज़रिए पेश किए गए और उनको दौलत शोहरत भी दी गई, आज हम देखते हैं कि 95% मुसलमानों की आँख मोबाइल पर खुलती है और रात को जब पलकें झपकने लगती हैं तब उनका मोबाइल बन्द होता है, यानि उनको बेहयाई में इतना मुब्तिला कर दिया गया है कि वो इस्लाम की तरफ़ पलट कर भी नहीं देखते और इस्लाम के मुख़ालिफीन इस्लाम को बारीक़ी से पढ़ रहे हैं और जो इस्लाम मुसलमानों की ताक़त था वो आज उनके ही ख़िलाफ़ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है
👉 हिंदुस्तानी मुसलमानों की एक बड़ी कमज़ोरी ये है कि वो सारी दुनिया में इस्लाम देखना चाहते हैं लेकिन उनकी ज़िंदगी में इस्लाम कितना है ये कभी नहीं देखते.. और इसी कमज़ोरी को लड़कियों पर इस्तेमाल किया जा रहा है कि ज़ालिमों की तरफ़ से शुरुआत में उनको इस्लाम से मोहब्बत दिखाई जाती है, फिर एक बार राब्ता हो जाने के बाद आहिस्ता आहिस्ता उनको पहले गुनाहों की लज़्ज़त चखाई जाती है फिर उनका ब्रेनवाश किया जाता है.. औरतों को निशाना बनाने की वजह भी इस्लाम ही बताता है कि दज्जाल की पैरोकार औरतें होंगी, अब मुसलमान तो दज्जाल को जानते भी नहीं हैं लेकिन दुश्मने इस्लाम बहुत अच्छे से जानते हैं और उसके निज़ाम को क़ायम करने में पूरी शिद्दत से लगे हैं.. सारी दुनिया में शुरू किया गया इस्लामफोबिया इसलिये कामयाब नहीं हो सका कि उन्होंने अगर किसी मुसलमान की दाढ़ी खींची तो किसी ख़ातून का नक़ाब भी खींचा.. लेकिन यहाँ का इस्लामफोबिया सबसे ख़तरनाक और पूरी रिसर्च और तैयारी के साथ लागू किया गया है जिसके कई चहरे हैं और ये हर बात में दो तरफ़ा काम करता है.. यानि ताक़त को कमज़ोर किया जाता है और कमज़ोरी को बढ़ावा दिया जाता है
👉 जैसे हम देखते हैं कि जब कोई मुसलमान नेक काम कर के ग़ैर क़ौमों को फ़ायदा पहुंचाता है तो उसको तमाम दज्जाली निज़ाम इंसानियत का मज़हब निभाना बताता है, लेकिन जब कोई मुसलमान अपना कोई ज़ाती जुर्म करता है तब वो ही निज़ाम तमाम मुसलमानों और इस्लाम को उसका क़ुसूरवार साबित करने लग जाता है, और इस महनत का असर ये है कि आज आपको करोड़ों मुसलमान ये कहते मिल जाएंगे कि इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब है.. लेकिन सारी दुनिया मिल कर भी इंसानियत नाम के किसी मज़हब को साबित कर दे या उस फ़र्ज़ी मज़हब का कोई सिर्फ़ एक ऐसा नेकी और भलाई का काम बता दे जिसको करने से इस्लाम रोकता हो तो मैं इस्लाम छोड़ दूंगा.. यानि आज मुसलमानों की बे-दीनी का आलम ये है कि उनके लिए एक सफ़ेद झूठ को सच बना दिया गया है क्योंकि उनको इस दज्जाली निज़ाम में इतना मसरूफ़ कर दिया गया है कि वो मुस्लिम मुआशरे में पैदा हो कर भी कभी इस्लाम के क़रीब से नहीं गुज़रते, जबकि सच ये है कि इस्लाम वो मज़हब है जो इंसानियत सिखाता है, यानि यहां भी इस्लाम के एक हिस्से को पकड़ कर मुसलमानों की नज़र में इस्लाम को छोटा साबित किया जा रहा है
👉 यानि ये खेल दो तरफ़ा चल रहा है एक तरफ़ आपको फ़हाशी में इतना मसरूफ़ कर दिया गया है कि आप इस्लाम और अपने मुआशरे को पलट कर भी नहीं देख पा रहे हैं और दूसरी तरफ़ उसी इस्लाम की तालिमात से आपकी जड़ें खोखली की जा रही हैं, सन 2014 से पहले भारत में 2% मुसलमान हलाला जैसा लफ़्ज़ भी जानते नहीं थे लेकिन आज ज़्यादातर मुसलमान समझते हैं कि मुसलमान हलाला जैसा घिनौना जुर्म करते हैं और ये ठीक ऐसा ही है जैसे किसी ग़ैरमुस्लिम से अगर कह दो की तुम बे-ईमान हो तो वो लड़ने लगता है जबकि असल में उसका ईमान से कोई वास्ता ही नहीं है न वो अल्लाह और उसके रसूल को मानता है लेकिन हमारे बुज़ुर्गों ने ईमान पर इतनी महनत की थी कि आज 1450 साल बाद भी हर ग़ैरमुस्लिम उस लफ़्ज़ को अपने अच्छा होने का पैमाना मानता है..लेकिन आज वो ही महनत हमारे साथ बुराई पर की जा रही है और हम पूरी तरह से उसका शिकार हो रहे हैं
👉 एक तरफ़ मुसलमानों के इदारे ढहाए जा रहे हैं दूसरी तरफ़ मुस्लिम लड़कियों को पढ़ने को बड़ी बड़ी स्कॉलरशिप दी जा रही हैं, यानि मुस्लिम लड़को को पढ़ने से रोका जा रहा है और मुस्लिम लड़कियों को ग़ैर इस्लामी मुआशरे में पढ़ने को खींचा जा रहा है, मुस्लिम लड़कों को जॉब से निकाला जा रहा है और लड़की को बिना टेलेंट के भी जॉब दी जा रही है.. और ये साजिश इतनी खतरनाक है कि ये मुस्लिम ख़्वातीन को मुसलमानों से दूर करने में कामयाब हो रही है और अब उन लड़कियों की नज़र में मुसलमान बुरे लोग हैं उनके स्टेटस के नहीं हैं.. मुस्लिम लड़कियों से राब्ता रखने वाले तमाम लोग बहुत शरीफ़ और सेक्युलर होते हैं लेकिन वो ही लोग मुसलमानों की बस्तियां जला देने को हर इंतेज़ाम करते हैं और ख़र्चा उठाते हैं, आज हालात ये हैं कि किसी मुशरिक से राब्ता रखने वाली लड़की को किसी मज़लूम मुसलमान की लिंचिंग की बात बताओगे तो ये बोलेगी कि लिंच होने वाले की ही कोई ग़लती होगी वरना कोई किसी को नहीं मारता.. आज आप मुस्लिम नौजवानों के मोबाइल देखेंगे तो पाएंगे कि फ़हाशी का कोई ऐसा एप्प नहीं होगा जो उनके मोबाइल में न हो, यानि अगर शॉर्ट वीडियो के दस एप्प मौजूद हैं तो उनके मोबाइल में वो दस के दस मिलेंगे.. और मुस्लिम नौजवान भारत में सबसे ज़्यादा इंटरनेट चला रहे हैं उनके दिमाग़ों को इतना मसरूफ़ कर दिया गया है कि न अपने घरों को देख पा रहे हैं न उनको ये ख़बर है कि दुनिया में क्या हो रहा है
👉 बाज़ारों और सड़कों की भीड़ बता रही है कि हिंदुस्तानी मुस्लिम औरतें सबसे ज़्यादा आज़ाद और आवारा हैं लेकिन मुसलमानों पर सारी दुनिया का इल्जाम ये है कि वो अपनी औरतों को क़ैद रखते हैं.. एक तरफ़ बुर्क़ा को मुस्लिम औरतों को ज़बरदस्ती पहनाना दिखाया जाता है लेकिन किसी ग़ैरइस्लामी काम को करता दिखाने को फ़र्ज़ी मुस्लिम औरतों को उसी बुर्क़ा में पेश किया जाता है.. क्योंकि आपको लड़ना नहीं आ रहा और न इस लड़ाई की समझ है इसलिए आप ये लड़ाई बुरी तरह हार रहे हैं.. पिछले सात साल में सबसे कम हिंदुस्तानी मुसलमान मारे गए हैं लेकिन प्रीप्लांड मॉब लिंचिंग जिस में जगह, इंसान, वक़्त, और हादसा सब पहले से तय होता है और उसको कामयाबी से अंजाम देने के तमाम इंतेज़ाम किये जाते हैं, उसी प्रिप्लांड मॉब लिंचिंग से सबसे ज़्यादा मुसलमानों के दिल और हिम्मत का क़त्ल किया गया है.. दुनिया की कोई ताक़त 35 करोड़ मुसलमानों को न मार सकती थी न कहीं भगा सकती थी लेकिन उनके दिलों को, ईमान को और जज़्बे को मार कर वो काम कर लिये जा रहे हैं जो उनको ख़त्म कर देने पर भी मुमकिन नहीं थे, मॉब लिंचिंग वो मकड़ी का जाला है जिसको आपको तिलिस्म बता कर छूने से डराया जा रहा है जिस दिन आपने इसको छूने की हिम्मत दिखा दी ये जाला उस दिन फट जाएगा
👉 लड़कियों को फ़हाशी में और लड़कों को सियासत में मसरूफ़ कर दिया गया है.. सोशल मीडिया पर देखेंगे तो हर दूसरा मुस्लिम मर्द सियासत का खिलाड़ी नज़र आएगा जबकि ज़मीनी सियासत में मुसलमानों की हालत आवारा भेड़ बकरियों से ज़्यादा नहीं है.. क्या आप जानते हैं कि आप अपने लिए ख़ुद बेशुमार ज़ोम्बी तैयार कर रहे हैं... आइये समझिए इस खेल को.. पिछले सात साल से कुछ सियासी लोगों को भगवान साबित किया जा रहा है और उनके बेशुमार भक्त तैयार कर दिए गए हैं.. एक तरफ़ तो भक्तों की नज़र में उनको मुसलमानों का नाश करने वाला अवतार साबित किया जाता है और दूसरी तरफ़ उसी अवतार के ख़िलाफ़ मौके दे कर मुसलमानों से मज़ाक़ बनवाया जाता है, और ऐसा करने से उस अवतार के भक्तों का मुसलमानों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा और नफ़रत आसमान छूने लगती है.. और ये नफ़रत इस दर्जा पहुंच चुकी है कि सिर्फ़ एक इशारा मिलने भर से ये इंसानी शक्ल वाले लोग मुसलमानों पर भूके भेड़ियों की तरह टूट पड़ेंगे.. और ये सब तैयारी है ज़मीन-ए-हिन्द से जुड़े एक बेहद ख़ास हदीस को पलट देने के लिए
👉 क्या आपने कभी सोचा है भगवान साबित किये जा रहे लोग हर दूसरे दिन इतनी बचकानी बातें और काम क्यों करते हैं...?? क्या वाक़ई वो इतने बे-अक़्ल हैं..?? नहीं बल्कि वो बहुत होशियार हैं और आप बे-अक़्ल हैं जो उनके बिछाए जाल में फंस कर भी अपने आप को होशियार समझते हैं.. कभी सोचा है कि पहले राष्ट्र को समर्पण और स्वछता का संदेश देने के लिए किसी किनारे पर कूड़ा बीनते देवता की ख़बरें दिन रात उसकी महानता का गुणगान करती हैं और अचानक चार दिन बाद दूसरी वीडियो उसको एक सेट लगा कर किया गया ढोंग साबित करने आ जाती है, पहले किसी मिशन की नाकामी पर रोते देवता को दिखाया जाता है फिर चार दिन बाद किसी दूसरी वीडियो में वो ही देवता उन्ही साइंसदानों को झिटकता हुआ दिखाया जाता है.. जानते हो ये सब तुमको फसाये रखने का खेल है, यानि पहले भक्तों को उनके देवताओं का गुणगान कराया जाता है फिर तुमको उनकी बेइज़्ज़ती करने का मौक़ा दिया जाता है और ऐसा करने से उन देवताओं के भक्त तुमसे पहले से ज़्यादा नफ़रत करने लगते हैं और अपने देवता की बेइज़्ज़ती का बदला लेने की आग में जलने लगते हैं
👉 तुम उन देवताओं की बेइज़्ज़ती करने में इतने मशगूल हो जाते हो कि अपने घरों को भी नहीं देख पाते, और एक ख़ास संघटन तुमको ख़ुशफहमियों में मुब्तिला कर के तुम्हारे घरों में घुस आया है और तुमको ख़बर भी नहीं है.. यानि तुम वो नहीं करते जो तुम करना चाहते हो बल्कि वो करते हो जो तुमसे कराया जा रहा है..यानि तुम्हारे ज़हनों पर क़ब्ज़ा कर लिया गया है, इसलिए अभी भी आख़िरी मौक़ा है कि इस ज़मीन पर बहुत जल्द होने जा रहे हक़ और बातिल के मुक़ाबले से पहले होश में आ जाओ और मुत्तहिद हो कर दीन ईमान की रस्सी को मज़बूती से थाम लो, क्योंकि उस मुक़ाबले में तुमको सिर्फ़ ईमान की रस्सी ही सहारा देगी , और अब तुम्हारे पास अपने ईमान को ज़िंदा कर लेने के लिए दो तीन साल से ज़्यादा का वक़्त नहीं है, अगर वाक़ई होशियार हो तो छोड़ों उन देवताओं को नीचा दिखाने का खेल और पढ़ो उन हदीसों को जो तुम्हारे सर पर आ चुकी हैं और तुम उनसे ग़ाफ़िल हो.. छोड़ो ये हराम की दौलतें कमाना और ये नशे और अय्याशियाँ, हो जाओ मुत्तहिद और संभालो अपनी औरतों को और अपने घरों को वरना तुम्हारा मुस्तक़बिल बेहद दर्दनाक है.. और ये ही तुम्हारा आख़िरी सच है😢😢
Writer- Mansoor Adab Pahasvi
3 टिप्पणियाँ
Sahi kaha bhai 😔
जवाब देंहटाएंbahut acche tareeqe se saari baat waazeh kar di, aankhein khol dene wali tahreer.
जवाब देंहटाएंBeshak
जवाब देंहटाएंकृपया कमेंट बॉक्स में कोई भी स्पैम लिंक न डालें।