Isa AS (Jesus) Ki Chamatkari Wiladat (Miraculous Birth)

 ईसा अलैहिस्सलाम की बाबत शक़ूक़ का ईज़ाला (पार्ट- 3)


Isa AS (Jesus) Ki Chamatkari Wiladat (Miraculous Birth)

अगर ईसा अ० अल्लाह के बेटे नहीं! तो फिर उनकी विलादत इतने चमत्कारी अंदाज़ में क्यों हुई?


सऊदी प्रवास के दौरान, जब मैं दम्माम सेंट्रल हॉस्पिटल में जॉब करता था तो एक सीनियर मसीही नर्स अक्सर मुझसे इस्लाम और मसीहियत पे बातें करती रहती थी। एक बार मैंने उनसे सवाल किया कि - Mam! आप लोग ईसा अ० को Son of God क्यों कहते हो?

तो उन्होंने जवाब दिया कि, 

☆ क्या तुम उनकी Miraculous Birth (हैरतअंगेज पैदाइश) को नहीं देखते?
☆ क्या तुमने उनके Miracles (मोअज़ज़्ज़ात) के बारे में नहीं पढ़ा?
☆ अगर वों एक Normal Human Being (आम इंसान) होते, तो क्या ये सब पॉसिबल होता?


सिर्फ ये खातून ही नहीं, बल्कि ऐसे बहुत से मसीही हज़रात से गुफ्तगूँ के दौरान, मुझे ये अहसास हुआ कि इनके प्रीचर्स इनके जेहनों में, इन्हीं सवालातों को हाई लाइट करके, Son of God का अक़ीदा फीड करते है। लिहाज़ा मैंने इस सीरीज में इन्हीं सवालात को अपनी चर्चा का मुद्दा बनाया। आइये अब आते अपने मौज़ू पर -


ईसा अ० की चमत्कारी विलादत

इस टॉपिक को भी हम कुछ नुक्तों के तहत जिक्र करेंगे,


1. क्या अहले-किताब की हिस्ट्री (तारीख) में, ईसा अ० की विलादत से पूर्व, कोई और चमत्कारी विलादत नहीं हुई थी? जो ये लोग ईसा अ० की चमत्कारी विलादत को इतना तूल दे रहे है?


इस जिम्न में, जब हम क़ुरआन ऐ करीम का मुशाहिदा करते है तों हमें 4 और हैरत अंगेज़ विलादतो का जिक्र मिलता है,


(i)- आदम अ० की तख़लीक़
(ii)- माई हव्वा की तख़लीक़
(iii)- सालेह अ० की ऊँटनी की पैदाइश
(iv)- याह्या अ० की पैदाइश


(i)-  आदम अ० की तख़लीक़:

अल्लाह तआला ने आदम अ० को बिना किसी स्त्री-पुरुष के मिलन से, सिर्फ मिट्टी और पानी को मिलाकर अपने हाथों से बनाया था,


"रब ने फ़रमाया, “ऐ इबलीस, तुझे किस चीज़ ने उसको (आदम अ० को)  सजदा करने से रोक दिया जिसे मैंने अपने दोनों हाथों से बनाया है?" 
[क़ुरान 38:75]


(ii)- माई हव्वा की तख़लीक़:

माई हव्वा को अल्लाह पाक ने आदम अ० की बायीं पसली से तख़लीक़ किया था,


"लोगो! अपने रब से डरो जिसने तुमको एक जान से पैदा किया और उसी जान से उसका जोड़ा बनाया और इन दोनों से बहुत मर्द और औरत दुनिया में फैला दिए।" 
[क़ुरान 4:1]


(iii)- सालेह अ० की ऊँटनी की पैदाइश:

कौम ऐ समूद जो सालेह अ० की कौम थी इन्हें अल्लाह पाक ने बेपनाह ताक़त के साथ, पहाड़ो को तराशकर इमारतें बनाने का इल्म दिया था। इसी कौम ने सालेह अ० की टेस्टिंग के लिये, एक बड़ी चट्टान पर एक विशालकाय गाभिन ऊँटनी की मूर्ति तराश दी थी और इनसे मुतालबा किया कि इसे जिंदा करके अपने रसूल होने को साबित करों,


"तू हम जैसे एक इन्सान के सिवाय और क्या है? ला कोई निशानी अगर तू सच्चा है।” 
[क़ुरान 26:154]


"तुम्हारे पास तुम्हारे रब की खुली दलील आ गई है। ये अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिये एक निशानी के तौर पर है।" 
[क़ुरान 7:73]


"और ऐ मेरी क़ौम के लोगो! देखो ये अल्लाह की ऊँटनी तुम्हारे लिये एक निशानी (मोअज़ज़्ज़ा) है। इसे अल्लाह की ज़मीन में चरने के लिये आज़ाद छोड़ दो। इसे ज़रा भी ना छेड़ना, वरना कुछ ज़्यादा देर ना गुज़रेगी कि तुम पर अल्लाह का अज़ाब आ जायेंगा।” 
[क़ुरान 11:64]


(iv)- याह्या अ० की पैदाइश:

जकरिया अ० जो एक उम्र रशीदा और बे-औलाद इंसान थे और उनकी बीबी बूढ़ी और बाँझ (औलाद पैदा करने के काबिल नहीं) थी। माई मरियम की किफ़ालत के दौरान उनके मन मे एक ऐसे ही बेटे का बाप बनने की ख्वाहिश जगी तो उन्होंने अपने रब से दुआँ की...


"जबकि उसने अपने रब को चुपके-चुपके पुकारा। उसने अर्ज़ किया, “ऐ परवरदिगार! मेरी हड्डियाँ तक घुल गई हैं और सर बुढ़ापे से भड़क उठा है। ऐ परवरदिगार! मैं कभी तुझसे दुआँ माँगकर नामुराद नहीं रहा। मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्दों की बुराइयों का डर है और मेरी बीवी बाँझ है। तू मुझे अपनी ख़ास मेहरबानी से एक वारिस दे दे जो मेरा वारिस भी हो और आले-याक़ूब की मीरास भी पाए और ऐ परवरदिगार! उसको एक पसन्दीदा इन्सान बना।” 
[क़ुरान 19:3-6, 21:89]


"जवाब में फ़रिश्तों ने आवाज़ दी, जबकि वो मेहराब में खड़ा नमाज़ पढ़ रहा था, कि “अल्लाह तुझे याह्या अ० की ख़ुशख़बरी देता है। वो अल्लाह की तरफ़ से एक कलमें की तसदीक़ करने वाला बनकर आएगा। उसमें सरदारी और बुज़ुर्गी की शान होगी, कमाल दर्जे का ज़ाबित होगा, नबी बनाया जाएगा और अच्छों में उसकी गिनती होगी।”

ज़करिया अ० ने कहा, “पालनहार! भला मेरे यहाँ लड़का कहाँ से होगा? मैं तो बहुत बूढ़ा हो चुका हूँ और मेरी बीवी बाँझ है।” जवाब मिला, “ऐसा ही होगा, अल्लाह जो चाहता है, करता है।” 
[क़ुरान 3:39-40, 19:7-8]


"फिर हमने उसकी दुआ क़बूल की और उसे याहया अता किया और उसकी बीवी को उसके लिये दुरुस्त कर दिया। ये लोग नेकी के कामों में दौड़-धूप करते थे और हमें लगाव और डर के साथ पुकारते थे, और हमारे आगे झुके हुए थे।" 
[क़ुरान 21:90]


★इन चारों मिसालों में हमनें मुशाहिदा किया कि,

  1. आदम अ० को बिन माँ-बाप के पैदा किया।
  2. माई हव्वा को मर्द की टेढ़ी पसली से पैदा किया।
  3. सालेह अ० की दुआँ पर, पत्थर से ऊँटनी को पैदा किया।
  4. बूढ़े शौहर और बाँझ बीबी से (जकरिया अ० और उनकी आकरा बीबी से) याह्या अ० को पैदा किया।

ये चारों विलादते क्या चमत्कारी नहीं थी?

बल्कि ये चारों विलादते अल्लाह के खल्लाकुन अलीम (हर तरह की खलकत का जानकार) होने की जबरदस्त दलीलें है। इस मुताल्लिक अल्लाह का इरशाद ऐ गिरामी भी क़ुरआन में मौजूद है,


"क्या वों जिसने आसमानों और ज़मीन को पैदा किया, इसकी क़ुदरत नहीं रखता कि इन जैसों को पैदा कर सके? क्यों नहीं, जबकि वो माहिर ख़ल्लाक़ (कुशल सृजनकार) है।"  
[क़ुरान 36:81]


اِنَّ اللّٰہَ یَفۡعَلُ مَا یُرِیۡدُ
"यक़ीनन अल्लाह जो इरादा करता है वो कर गुज़रता है।"  
[क़ुरान 22:14]


اِنَّ اللّٰہَ یَفۡعَلُ مَا یَشَآءُ
"यक़ीनन अल्लाह कर गुज़रता है, जो वों चाहता है।"  
[क़ुरान 22:18]


2. अल्लाह पाक ने जैसे उन चार [आदम अ०, माई हव्वा, सालेह अ० की उँटनी और याह्या अ०] की विलादत चमत्कारी अंदाज़ में की, वैसे ही ईसा अ० की पैदाइश का भी मामला है। अल्लाह पाक क़ुरआन में खुद इरशाद फरमाता है,


"अल्लाह के नज़दीक ईसा अ० की मिसाल आदम अ० जैसी है कि अल्लाह ने उसे मिट्टी से पैदा किया और हुक्म दिया कि (तख़लीक़) हो जा  हो और वों (तख़लीक़) हो गया।"  
[क़ुरान 3:59]


★ अल्लाह पाक ने जब ईसा अ० को तख़लीक़ करने का इरादा किया तो इसके लिए तैयारियाँ बहुत पहले से शुरू हो चुकी थी

  1. इमरान की बीबी का नज़र मानना।
  2. उसे बेटे की जगह बेटी पैदा होना।
  3. नज़र की अदायगी के लिये, बेटी को कनिशा के सुपुर्द करना।
  4. कनिशा में जकरिया अ० का बतौर ऐ कफील मुकर्रर होना।
  5. जकरिया अ० की किफ़ालत में माई मरियम की तालीम वा तरबियत होना।
  6. कनिशा के हुजरे में, अल्लाह की रहमत के जेरे साये मरियम की परवरिश होना।

ये सब ईसा अ० की विलादत से पहले की तैयारियाँ थी।


★ एक बच्चे की विलादत के लिये जो Prime Necessity होती है - वों एक माँ की होती है। जिसके लिये अल्लाह पाक ने मरियम का इंतेखाब कर लिया और इस इंतेखाब की खबर उसनें फ़रिश्ते के जरिये मरियम को दी।


"फिर वो वक़्त आया जब मरियम से फ़रिश्तों ने आकर कहा, “ऐ मरियम! अल्लाह ने तुझे चुना और पाकीज़गी अता की और तमाम दुनिया की औरतों पर तुझको तरजीह देकर अपनी ख़िदमत के लिये चुन लिया।" 
[क़ुरान 3:42]

इसके आगे का किस्सा सूरः मरियम में सिलसिले वार जिक्र हुआ है।


"और ऐ नबी! इस किताब में मरियम का हाल बयान करो, जबकि वो अपने लोगों से अलग होकर पूरब की तरफ़ कोने में, परदा डालकर उनसे छिप कर बैठी थी। इस हालत में हमने उसके पास अपनी रूह (जिब्रील अ०) को भेजा और वो उसके सामने एक पूरे इन्सान की शक्ल में ज़ाहिर हो गया।" 
[क़ुरान 19:16-17]


★ मरियम अपने हुजरे में एक इंसान को देखकर डर गई, उनका दिल अजीब सी आशंका से काँप गया, वो इंसान रूपी जिब्रील अ० को अल्लाह का वास्ता देकर अपने से दूर रहने की दुहाई देने लगी


"मरियम यकायक बोल उठी कि “अगर तू अल्लाह से डरने वाला कोई आदमी है तो मैं तुझसे रहमान की पनाह माँगती हूँ।” 
[क़ुरान 19:18]


★ ये सूरत ऐ हाल देखकर जिब्रील अ० ने मरियम से फरमाया,


"और जब फ़रिश्ते ने कहा, “ऐ मरियम! अल्लाह तुझे अपने एक कलमें की ख़ुशख़बरी देता है। उसका नाम मसीह, मरियम का बेटा ईसा अ० होगा, दुनिया और आख़िरत में इज़्ज़तदार होगा, अल्लाह के क़रीबी बन्दों में गिना जाएगा।" 
[क़ुरान 3:45]


"उसने कहा, “मैं तो तेरे रब का भेजा हुआ हूँ और इसलिये भेजा गया हूँ कि तुझे (वों) पाकीज़ा लड़का दूँ।” 
[क़ुरान 19:19]


★ फ़रिश्ते का जवाब सुनके मरियम को समझ आया कि अल्लाह उनसे क्या खिदमत लेना चाहता है। इस पर मरियम हैरत से बोल उठी,


"मरियम ने कहा, “मेरे यहाँ कैसे लड़का होगा जबकि मुझे किसी इन्सान ने छुआ तक नहीं है और मैं कोई बदकार औरत नहीं हूँ।” 
[क़ुरान 19:20, 3:47]


मरियम का ऑब्जेक्शन एक इंसान होने के नाते और दुनियाबी कायदे के लिहाज से अपनी जगह बिल्कुल दुरुस्त था। लेकिन अल्लाह पाक ने तो ईसा अ० को दुनियाँ वालों के लिये एक अज़ीम निशानी बनाना था और इनके जरिये दुनियाँ को आख़िरूज़्ज़मा मुहम्मद ﷺ की आमद की खुशखबरी भी देना था तो इनकी पैदाइश भी एक मिसाली पैदाइश होनी थी।


★मरियम के ऑब्जेक्शन पर फ़रिश्ते ने जवाब दिया,


"जवाब मिला, “ऐसा ही होगा, अल्लाह जो चाहता है, पैदा करता है। वो जब किसी काम के करने का फ़ैसला फ़रमाता है, तो बस कहता है कि कुन (हो जा), फ़याकूनो (और वो हो जाता है।)” 
[क़ुरान 3:47]


★ तो फ़रिश्ते ने अल्लाह का हुक़्म मरियम में फूँक दिया। [यानी मरियम की कोख़ को अल्लाह का हुक़्म सुनाया कि वों ईसा अ० को गर्भ में धारण कर ले]


"और वो औरत जिसने अपनी शर्मगाह (इज़्ज़त) की हिफ़ाज़त की थी, हमने उसके अन्दर अपनी रूह से फूँका और उसे और उसके बेटे को दुनिया भर के लिये निशानी बना दिया।" 
[क़ुरान 21:91]

ये आयत साफ तौर पे वाज़ेह करती है कि ईसा अ० को गर्भ में धारण करने में सीधा रोल अल्लाह के हुक्म (कुन) का था। इस केस में मरियम की शर्मगाह को महफूज़ रखा गया था। यानी वों अल्लाह की कुन की पावर से कुँवारी माँ बनी थी।


★ यहाँ पर एक बात और जिक्र करने के काबिल है कि,

फ़रिश्ते का इंसान की शक्ल में माई मरियम के पास आना और कहना कि मैं इसलिये भेजा गया हूँ कि तुझे वों लड़का दूँ। क़ुरआन की इन आयतों को हाईलाइट करके कुछ मसीही प्रीचर माई मरियम को Wife of Holy Spirit साबित करने की नाकाम कोशिश करते है।


नव मसीही जो हिन्दू से मसीही बनते है, वों पहले से ही इस प्रकार की परिकल्पनाओं में विश्वास रखते है वों सहेजता से इन मसीही प्रीचरो की थ्योरी को स्वीकार कर लेते है। क्योंकि महाभारत में ये वर्णन मिलता है कि ऋषि व्यास ने महाराज पांडू की पत्नियों कुंती वा मादी को एक ऐसा मंत्र सिखाया था जिसके जाप करने मात्र से वों जिस देवता का आह्वाहन (आमंत्रित) करती थी वों उनके लिये एक पुत्र प्राप्ति का साधन बन जाता था। इसी मंत्र का जाप करके इन 2 रानियों ने 5 पांडव को पुत्र रत्न के रूप में पाया था। कोई सूर्य पुत्र था तो कोई इंद्र पुत्र था।


क़ुरआन बताता है कि फ़रिश्तों का नबियों या उनकी बीबियों या उनकी कौम के पास इंसानी शक़्ल में आना ये कोई ताअज़्ज़ुब की बात नहीं बल्कि कॉमन प्रैक्टिस थी।

  • इब्राहिम अ० और उनकी बीबी सराह के पास फ़रिश्ते इंसानी शक़्ल में आये।
  • लूत अ० और उनकी कौम के सामने फ़रिश्ते नव जवान लड़को की सूरत में आये।
  • मूसा अ० की रूह कब्ज़ करने फरिश्ता इंसानी शक़्ल में आया।
  • जादू का इल्म लेकर दुनियाँ में फ़रिश्ते इंसानी शक़्ल में आये।
  • मुहम्मद ﷺ के पास भी एक बार जिब्रील अ० काले हब्शी की सूरत में आये थे।

इत्यादि...


फ़रिश्ते अल्लाह के हुक्म से जिस मक़सद के लिये इंसानो के पास आते है, वों उसे पूरा करके ही जाते है और फ़रिश्तों में ना तो नफ़्स होती है और ना इनमें जेंडर (Male-Female) का कोई निर्धारण होता है। ये Beyond Gender मखलूक है। लिहाज़ा किसी स्त्री के पास तन्हाई में भी फ़रिश्ते का आना कतई कोई गलत नतीज़ा निकालने का सबब बन ही नहीं सकता।


कुन की पावर ईसा अ० के वज़ूद में आने की वजह बनी, कैसे?


कुन की पावर को समझने के लिये इस लफ़्ज़े कुन को समझना बहुत जरूरी है कि, ये लफ़्ज़े कुन है क्या?

जैसे कंप्यूटर ऑपरेट करने वाले जब किसी सॉफ्टवेयर पे काम करते है तो उनके सामने कीबोर्ड और स्क्रीन पर बहुत से फंक्शन बटन मौजूद होते है। जो अलग-अलग फंक्शन के लिये जरूरत पड़ने पर दबाये या क्लिक किये जाते है। मसलन :- सेलेक्ट, कट, कॉपी, पेस्ट या प्रिंट इत्यादि...।

टेक्निकल लैंग्वेज में इन्हें कमांड्स कहा जाता है। ऑपरेटर जरूरत के मुताबिक कंप्यूटर को जैसी भी कमांड्स देता है, कंप्यूटर उसी के मुताबिक फंक्शन करता है।

इसी तरह अल्लाह भी इस कायनात का Creator (खालिक) है। इस दुनियाँ को Properly Operate करने के लिये उसने भी एक Operating System बनाया है और ये सिस्टम सिर्फ अल्लाह के कमांड्स ही कुबूल करता है। 


"हक़ीक़त में तुम्हारा रब अल्लाह ही है जिसने आसमानों और ज़मीन को छ: दिनों में पैदा किया, फिर अपने अर्श (तख़्ते-सल्तनत) पर जलवा फ़रमा हुआ, जो रात को दिन पर ढाँक देता है और फिर दिन-रात के पीछे दौड़ा चला आता है, जिसने सूरज और चाँद और तारे पैदा किये। सब उसी के हुक्म के पाबन्द हैं। ख़बरदार रहो! ये उसी की ख़ल्क़ [सृष्टि] है और इस पर उसी का हुक्म चलता है। बड़ी बरकत वाला है। अल्लाह, सारे जहानों का मालिक और पालनहार।" 
[क़ुरान 7:54]


इस कुन को कुछ क़ुरआनी मिसालों से समझने की कोशिश करते है,


1. इब्राहिम अ० को जब उनकी कौम ने आग के हवाले करने का इरादा किया तो उन्होंने एक बड़ा आतिशकदा बनाया और उसमें आग भड़काई और इब्राहिम अ० को उस आग में फेंक दिया गया। ये थी दुनियाँ वालों की पावर लेकिन सारी पावर्स के ऊपर अल्लाह की पावर है,


وَ فَوۡقَ کُلِّ ذِیۡ عِلۡمٍ عَلِیۡمٌ...
"और मौजूद है हर इल्म वाले पर फौकियत रखने वाला (अल्लाह)।" 
[क़ुरान 12:76]


हर शय का मास्टर कंट्रोल मेरे रब के हाथ है और इस कायनात में होता वहीं है जो मेरा रब चाहता है। दुनियाँ इब्राहिम अ० को जिंदा जलाना चाहती थी लेकिन मेरे रब का इरादा इब्राहिम अ० को ना जलने देने का था। लिहाज़ा उसने उस धधकती हुई आग को कुन यानी अपनी कमांड दी और ये कमांड थी,


قُلۡنَا یٰنَارُ کُوۡنِیۡ بَرۡدًا وَّ سَلٰمًا عَلٰۤی اِبۡرٰہِیۡمَ
"हमनें हुक्म दिया ; ऐ आग! ठंडी और सलामती वाली हो जा इब्राहिम अ० के लिये।" 
[क़ुरान 21:69]


नतीजा क्या हुआ?


"वो चाहते थे कि इब्राहिम अ० के साथ बुराई करें, मगर हमने उनको बुरी तरह नाकाम कर दिया।"
[क़ुरान 21:70]


2. कौम ऐ नूह अ० पर जल प्रलय लाने के बाद जब अल्लाह का गज़ब शान्त हुआ तो उसनें जमीन वा आसमान को कमांड (हुक्म) दिया,


"हुक्म हुआ, “ऐ ज़मीन ! अपना सारा पानी निगल जा और ऐ आसमान ! रुक जा।” चुनाँचे पानी ज़मीन में बैठ गया, फ़ैसला चुका दिया गया, नाव जूदी पर टिक गई और कह दिया गया कि दूर हुई ज़ालिमों की क़ौम!" 
[क़ुरान 11:44]


3. शहद की मक्खी के दिल मे कि वों अपना घर (छत्ता) कहाँ बनाये - इस मुताल्लिक कमांड (वाह्य) नाज़िल की,


"और देखो, तुम्हारे रब ने शहद की मक्खी पर ये बात वाह्य कर दी कि पहाड़ों में, और पेड़ों में, और टट्टियों पर (चढ़ाई हुई बेलों में) अपने छत्ते बना।" [क़ुरान 16:68]


4. इसी तरह कयामत के इंतेज़ार में उसनें एक फ़रिश्ते को सूर में फूँक मारने [यानी कयामत कायम होने का बिगुल बज़ा कर गोया कायनात को ये हुक्म देने के लिये कि अब तू अपने अंदर मौजूद सारी मखलूक को दरहम-बरहम करके, इस जमीन को एक चटियल मैदान बना कर इस पर आखरत का दरबार लगने लायक बना दे।] के इंतेज़ार में अपने हुक्म का मुंतज़िर बना के बैठा रखा है।


"वही है जिसने आसमान और ज़मीन को बामक़सद पैदा किया है और जिस दिन वो कहेगा कि कुन (यानी प्रलय हो जाये) फयाकूनो (उसी पल प्रलय हो जायेंगी)। उसका फ़रमान बिलकुल हक़ है और जिस दिन सूर फूँका जाएगा, उस दिन बादशाही उसी की होगी, वो छिपी और खुली हर चीज़ का जानने वाला है और सूझ-बूझ रखने वाला और बाख़बर है।" [क़ुरान 6:73]


इन तमाम मिसालों में हमनें जिन कमांड्स (अल्लाह के हुक़्मो) को समझा, इन्हीं कमांड्स को अरबी में कुन (کُنۡ) कहते है। यानी किसी मतलूब अमल को कराने के लिये, किसी शय को अल्लाह जो कमांड्स देता है, वों ही कुन कहलाती है। इसी कुन की पावर के मुताल्लिक अल्लाह पाक ने मुख्तलिफ अंदाज़ में, क़ुरआन में फरमाया है,


اِذَا قَضٰۤی اَمۡرًا فَاِنَّمَا یَقُوۡلُ لَہٗ کُنۡ فَیَکُوۡنُ...
"जब जिस काम को करना चाहे, कह देता है कि हो जा, हो जाता है।" 
[क़ुरान 2:117, 3:47, 19:35, 40:68]


اِنَّمَا قَوۡلُنَا لِشَیۡءٍ اِذَاۤ اَرَدۡنٰہُ اَنۡ نَّقُوۡلَ لَہٗ کُنۡ فَیَکُوۡنُ...
"सिर्फ मेरा कह देना किसी शय से, जब इरादा हो किसी काम का कि हो जा, हो जाता है।" 
[क़ुरान 16:40]


اِنَّمَاۤ اَمۡرُہٗۤ اِذَاۤ اَرَادَ شَیۡئًا اَنۡ یَّقُوۡلَ لَہٗ کُنۡ فَیَکُوۡنُ...
"सिर्फ हुक्म देना उसे, जब इरादा हो किसी काम का, कह देता हूँ उससे, हो जा, हो जाता है।" 
[क़ुरान 36:82]


■ ऐसी ही कमांड्स फ़रिश्ते ने माई मरियम को सुनायी यानी मरियम की कोख को कुन (अल्लाह का हुक्म) सुनाया जो इंसान के तय किये हर नामुमकिन को मुमकिन करने के लिये काफी है। 


اِذۡ قَالَتِ الۡمَلٰٓئِکَۃُ یٰمَرۡیَمُ اِنَّ اللّٰہَ یُبَشِّرُکِ بِکَلِمَۃٍ مِّنۡہُ 
"जब कहा फ़रिश्ते ने कहा ; ऐ मरियम! यक़ीनन अल्लाह तुम्हें खुशखबरी देता है एक कलमें की अपनी जानिब से।" 
[क़ुरान 3:45]


इस आयत में जिस कलमें की बशारत दी गयी वों कलमा यहीं लफ़्ज़े कुन था। यानी माई मरियम को एडवांस में ईसा अ० की उनके बतन से मौलिद होने की खबर दी गयी। 


■ इस वक़्त मरियम ने एक ऑब्जेक्शन क्रिएट किया। 


قَالَتۡ اَنّٰی یَکُوۡنُ لِیۡ غُلٰمٌ وَّ لَمۡ یَمۡسَسۡنِیۡ بَشَرٌ وَّ لَمۡ اَکُ بَغِیًّا
"मरियम ने कहा, “मेरे यहाँ कैसे लड़का होगा जबकि मुझे किसी इन्सान ने छुआ तक नहीं है और ना मैं कोई बदकार औरत हूँ।” 
[क़ुरान 19:20]


ये ऑब्जेक्शन 2 वजहों से किया गया था,

पहला ऑब्जेक्शन: मरियम एक दुनियाँदार औरत के नुक्ते नज़रिये से सोच रही थी कि मेरे बदन से बेबी कैसे पैदा होंगा क्योंकि हामिला (Pregnant) होने के लिये मेरा किसी मर्द से शोहबत करना जरूरी है और मैं तो एक मुत्तक़ी कुँवारी लड़की हूँ, मुझ पर तो कभी किसी गैर मर्द की छाया तक भी नहीं पड़ी है।

यानी मरियम असमंजस्य की स्तिथि में थी कि आखिर मेरे जैसी सचरित्र और कुँवारी लड़की को बेबी कैसे पैदा होंगा? इसी असमंजस्य में जब जिब्रील अ० एक मर्द की शक्ल में उनकी कोख में अल्लाह का हुक्म फूँकने आये तो उनको देखकर मरियम सहम गयी और एक अनजानी आशंका से उनका मन काँप उठा। वों उन्हें अल्लाह का वास्ता देकर अपने से दूर रहने की हिदायत देने लगी। 

मगर जब जिब्रील अ० ने अपना इंट्रोडक्शन दिया और अपने आने का मक़सद बताया तो सोचने लगी कि क्या ये मर्द रूपी फरिश्ता मुझसे शोहबत करके मुझे प्रेग्नेंट करने आया है। अगर शोहबत के जरिये ही मुझे प्रेग्नेंट करना था तो इससे बेहतर ये होता कि अल्लाह पहले मेरा निकाह किसी सालेह मर्द से करा देता और फिर मुझे वो लड़का अता करता जिसकी मुझे बशारत मिली है। इससे मेरे दिल मे, बच्चे की विलादत को लेकर कोई खौफ, दिक्कत और जग हँसाई के जज्बात भी ना पैदा होते। 

उनकी मंशा भाँप कर फ़रिश्ते ने वाज़ेह किया कि अल्लाह एक माहिर खल्लाक है। वों हर किस्म की तख़लीक़ का ज्ञाता है। वों तुम्हें एक मोअज़्ज़ज़े के जरिये हामिला करेंगा जिससे तुम्हारें कुँवारे पन पे कोई आँच ना आयेंगी, तुम्हारी शर्मगाह भी महफूज़ रहेंगी और तुम प्रेग्नेंट भी हो जाओंगी।


दूसराऑब्जेक्शन: इस ऑब्जेक्शन का दूसरा मायना ये भी हो सकता है कि फ़रिश्ते की बातें सुनकर वों सोच रही हो कि अगर बिल फ़र्ज़ अल्लाह पाक ने अपनी कुन की पावर से मुझे हामिला कर भी दिया [यानी मेरे बतन (रहम ऐ मादर) में ईसा अ० को मोअज़ज़्ज़ाती अंदाज़ में अपलोड कर भी दिया] तो - मुआशरे से छुप कर मैं अकेली उसे जन्म कैसे दूँगी ?  या विलादत के बाद मेरी औलाद को दुनियाँ एक हलाल औलाद के रूप में कभी कुबूल नहीं करेंगी। मैं अकेली औरत जात, किस-किस को, क्या-क्या सफाई देती फिरूँगी? यहीं कशमकश मरियम के दिलोदिमाग में चल रही थी।


मरियम की हर जेहनी कशमकश का हल अल्लाह ने निकाला और उसे हुक्म दिया कि इस बच्चे की विलादत के लिये तुम शहरी आबादी से दूर बियाबान में एक खजूर के पेड़ के नीचे चली जाओं, जिसके किनारे एक झरना भी बह रहा है। बस मरियम ने अल्लाह की कमांड्स को फॉलो किया,


"मरियम को उस बच्चे का हमल ठहर गया और वो उस हमल को लिये हुए एक दूर की जगह पर चली गई।" [क़ुरान 19:22]


"फिर ज़चगी (प्रसव) की तकलीफ़ ने उसे एक खजूर के पेड़ के नीचे पहुँचा दिया। वो कहने लगी, “काश! मैं इससे पहले ही मर जाती और मेरा नामो-निशान ना रहता।" [क़ुरान 19:23]


"फ़रिश्ते ने धीरे से उसको पुकारकर कहा, “ग़म ना कर। तेरे रब ने तेरे नीचे चश्मा जारी कर दिया है।" [क़ुरान 19:24]


"और तू ज़रा इस पेड़ के तने को हिला, तेरे ऊपर तरो-ताज़ा खजूरें टपक पड़ेंगी। तो तू खा और पी और अपनी आँखें ठण्डी कर। फिर अगर कोई आदमी तुझे नज़र आए तो उससे कह दे कि मैंने रहमान के लिये रोज़े की नज़्र मानी है, इसलिये आज मैं किसी से ना बोलूँगी।” [क़ुरान 19:25-26]


☆ और इस तरह, इसी जगह ईसा अ० की विलादत हो गयी,


"फिर वो उस बच्चे को लिये हुए अपनी क़ौम में आई। लोग कहने लगे, “ऐ मरियम! ये तो तूने बड़ा पाप कर डाला।" [क़ुरान 19:27]


☆ कौम उन्हें उलाहने देने लगी,


"ऐ हारून की बहन! ना तेरा बाप कोई बुरा आदमी था और ना तेरी माँ ही कोई बदकार औरत थी।”
[क़ुरान 19:28]


☆ कौम ने जब मरियम से बच्चे के बारे में दरयाफ्त किया तो,


"मरियम ने बच्चे की तरफ़ इशारा कर दिया। लोगों ने कहा, “हम इससे क्या बात करें जो पालने में पड़ा हुआ एक बच्चा है?” 
 [क़ुरान 19:29]


"बच्चा बोल उठा, “मैं अल्लाह का बन्दा हूँ। उसने मुझे किताब दी और नबी बनाया है। और अपनी माँ का हक़ अदा करने वाला बनाया और मुझको सरकश और संगदिल नहीं बनाया।" 
[क़ुरान 19:31-32)


"ये है मरियम का बेटा ईसा और ये है उसके बारे में वो सच्ची बात जिसमें लोग शक कर रहे हैं।" 
[क़ुरान 19:34]


इस तरह अल्लाह पाक ने ईसा अ० को मोअज़ज़्ज़ाती अंदाज़ में पैदा किया।

तवालत के पेशेनज़र इस पार्ट को यहीं मोअख्खर करता हूँ ...

जुड़े रहे...

ये चर्चा इंशा अल्लाह यूँ ही जारी रहेगी...


अल्लाह से दुआँ गों हूँ कि मालिक दुनियाँ वालों को इस मामले में सही अक़ीदा कायम करने और क़ुरआनी सच पे ईमान लाने की तौफ़ीक़ अता फरमाये!

आमीन या रब्बुल आलमीन



आपका दीनी भाई
इम्तियाज़ हुसैन



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