ईसा अलैहिस्सलाम की बाबत शक़ूक़ का ईज़ाला (पार्ट- 1)
क्या ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के बेटे है?
1.1. इस इल्ज़ाम पे अल्लाह का रिएक्शन
1.2. इन तराशे हुए झूठों पर वक़्त के नबियों के रिएक्शन
1.3. आख़िरत में अल्लाह पे लगे इन झूठे बोहतानों का मक़ाम
2. अल्लाह पर झूठ कौन लोग तराशते है?
2.1. अल्लाह पर झूठ तराशने वालों का अंजाम
3. आखीर में क़ुरान कहता है?
4. इस इल्ज़ाम पे अल्लाह का जवाब
5. ईसा अलैहिस्सलाम का रियल इंट्रोडक्शन
आइये इस बाबत क़ुरआन से ही जानकारी लेते है कि हक़ीक़त क्या है?
1. दुनियाँ का अल्लाह पे इल्ज़ाम
"यहूदी कहते हैं उज़ैर अ० अल्लाह का बेटा है और ईसाई कहते हैं कि मसीह अ० अल्लाह का बेटा है। ये बेहक़ीक़त बातें हैं जो वो अपनी ज़बानों से निकालते हैं उन लोगों की देखा-देखी जो इनसे पहले कुफ़्र में पड़े हुए थे। अल्लाह की मार इन पर, ये कहाँ से धोखा खा रहे हैं।" [क़ुरान 9:30]
"यक़ीनन कुफ़्र किया उन लोगों ने जिन्होंने कहा कि - "मरियम का बेटा मसीह ही अल्लाह है।" हालाँकि मसीह ने कहा था कि “ऐ बनी-इसराईल, अल्लाह की बन्दगी करो जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी रब ।” जिसने अल्लाह के साथ किसी को शरीक ठहराया उस पर अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी और उसका ठिकाना जहन्नुम है और ऐसे ज़ालिमों का कोई मददगार नहीं।" [क़ुरान 5:72]
"यक़ीनन कुफ़्र किया उन लोगों ने जिन्होंने कहा कि अल्लाह तीन में का एक है, हालाँकि एक अल्लाह के सिवाय कोई माबूद नहीं है। अगर ये लोग अपनी इन बातों से बाज़ ना आएँ तो इनमें से जिस-जिस ने कुफ़्र किया है उसको दर्दनाक सज़ा दी जाएगी।" [क़ुरान 5:73]
"लोगों ने कह दिया कि अल्लाह ने किसी को बेटा बनाया है। सुब्हानल्लाह ! वो तो बेनियाज़ है, आसमानों और ज़मीन में जो कुछ है सब उसकी मिलकियत है। तुम्हारे पास इस बात के लिये आख़िर दलील क्या है? क्या तुम अल्लाह के बारे में वो बातें कहते हो जो तुम्हारे इल्म में नहीं हैं?" [क़ुरान 10:68]
"इन लोगों ने उसके बन्दों में से कुछ को उसका जुज़ (जिस्म का हिस्सा) करार दे डाला, हक़ीक़त ये है कि इन्सान खुला एहसान-फ़रामोश है।" [क़ुरान 43:15, 4:117, 16:37, 19:88, 43:19-20, 53:21-22]
1.1. इस इल्ज़ाम पे अल्लाह का रिएक्शन
अल्लाह पाक ने क़ुरान में बहुत से मकामात पर कहा है कि:-
"उससे बड़ा ज़ालिम और कौन? जो अल्लाह पर झूठा बोहतान बांधे और उसकी आयतों को झुठलाए, यकीनन ऐसे ज़ालिम कभी फलाह ना पाएंगे।" [क़ुरान 3:94, 6:21, 93, 144, 7:37, 10:17,11:18, 18:15, 29:68, 39:32, 42:24, 61:7]
जिसने अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करके उसकी इबादत की, उसनें सबसे बड़ा गुनाह किया...
"ये हमारी क़ौम तो कायनात के रब को छोड़कर दूसरे माबूद बना बैठी है। ये लोग उनके माबूद होने पर कोई खुली दलील क्यों नहीं लाते? आख़िर उस आदमी से बढ़कर ज़ालिम और कौन हो सकता है जो अल्लाह पर झूठ बाँधे?" [क़ुरान 18:15, 4:48, 46:28]
1.2. इन तराशे हुए झूठों पर वक़्त के नबियों के रिएक्शन
"अल्लाह की क़सम! ज़रूर तुमसे पूछा जाएगा कि ये झूठ तुमने कैसे गढ़ लिये थे?" [क़ुरान 16:56]
"तुम लोग तो सिर्फ (अल्लाह पर) बोहतान बांध रहे हो..." [क़ुरान 11:50]
"झूठ जिसने भी गढ़ा, वह नाकाम हुआ।” [क़ुरान 10:69, 20:61]
"और मैं बरी हूँ उस जुर्म से जो तुम लोग कर रहे हो..." [क़ुरान 11:35]
"पाक है अल्लाह उन झूठों से जो ये गढ़ते है..." [क़ुरान 6:100, 9:31,10:18]
1.3. आख़िरत में अल्लाह पे लगे इन झूठे बोहतानों का मक़ाम
"उस वक़्त हर शख़्स अपने किये का मज़ा चख लेगा, सब अपने सच्चे मालिक की तरफ़ फेर दिये जाएँगे और वे सारे झूठ जो उन्होंने गढ़ रखे थे, गुम हो जाएँगे।" [क़ुरान 10:30, 60]
2. अल्लाह पर झूठ कौन लोग तराशते है?
"झूठ वो लोग गढ़ रहे हैं जो अल्लाह की आयतों को नहीं मानते, वही हक़ीक़त में झूठे हैं।" [क़ुरान 16:105]
2.1. अल्लाह पर झूठ तराशने वालों का अंजाम
"ऐ नबी ! कह दो कि जो लोग अल्लाह पर झूठ बाँधते हैं, वे हरगिज़ कामयाबी नहीं पा सकते।" [क़ुरान 7:40, 10:69/70, 11:18, 21, 16:87, 116, 20:61, 28:75, 29:13]
"(ज़रा सोचो तो, उस वक़्त तुम कैसी भारी ग़लती कर रहे थे) जबकि तुम्हारी एक ज़बान से दूसरी ज़बान उस झूठ को नकल करती चली जा रही थी और तुम अपने मुँह से वो कुछ कहे जा रहे थे जिसके बारे में तुम्हें कोई इल्म ना था। तुम इसे एक मामूली बात समझ रहे थे, हालाँकि अल्लाह के नज़दीक ये बड़ी बात थी।
क्यों ना इसे सुनते ही तुमने कह दिया कि “हमें ऐसी बात ज़बान से निकालना ज़ेब नहीं देता, अल्लाह पाक है, ये तो एक बड़ी तोहमत है।” [क़ुरान 34:15-16]
3. आखीर में क़ुरान क्या कहता है?
"देखये ये लोग किस तरह अल्लाह पे झूठ बाँध रहे है और इनकी ये हरकतें इनके शरई गुमराह होने की दलील है।" [क़ुरान 4:50]
4. इस इल्ज़ाम पे अल्लाह का जवाब
"अल्लाह का ये काम नहीं है कि वो किसी को बेटा बनाए। वो पाक ज़ात है। वो जब किसी बात का फ़ैसला करता है तो कहता है कि (तख़लीक़) ‘हो जा,’ बस वो (चीज़ तख़लीक़) 'हो जाती' है।" [क़ुरान 19:35]
"वो जो ज़मीन और आसमानों की बादशाही का मालिक है, जिसने किसी को बेटा नहीं बनाया है, जिसके साथ बादशाही में कोई शरीक नहीं है, जिसने हर चीज़ को पैदा किया, फिर उसकी एक तक़दीर मुक़र्रर की।" [क़ुरान 25:2]
"ऐ नबी! इन मुशरिकों से कहो कि पुकार देखो अपने उन माबूदों को जिन्हें तुम अल्लाह के सिवाय अपना माबूद समझे बैठे हो। वो ना आसमानों में किसी ज़र्रा भर चीज़ के मालिक हैं, ना ज़मीन में। वो आसमान और ज़मीन की मिलकियत में शरीक भी नहीं हैं। उनमें से कोई अल्लाह का मददगार भी नहीं है।" [क़ुरान 34:22]
5. ईसा अलैहिस्सलाम का रियल इंट्रोडक्शन
"ऐ किताबवालो! अपने दीन में गुलू ना करों और अल्लाह के बारे में हक़ के सिवाय कोई बात ना कहो, मसीह मरियम का बेटा, ईसा अ० इसके सिवाय कुछ ना था कि अल्लाह का एक रसूल था और एक कलमा (command) था, जो अल्लाह ने मरियम की तरफ़ भेजा और एक रूह थी अल्लाह की तरफ़ से [जिसने मरियम के पेट में बच्चे की शक्ल इख़्तियार की] तो तुम अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाओ और ना कहो कि ‘तीन’ हैं। बाज़ आ जाओ, ये तुम्हारे ही लिये बेहतर है। हक़ीक़ी माबूद तो बस एक अल्लाह ही है। वो पाक है इससे कि कोई उसका बेटा हो। ज़मीन और आसमानों की सारी चीज़ों का वही मालिक है और उनकी ज़रूरतों को पूरी करने और उनकी ख़बर रखने के लिये बस वही काफ़ी है।" [क़ुरान 4:171]
"मरियम का बेटा मसीह, इसके सिवाय कुछ नहीं कि बस एक रसूल था, उससे पहले और भी बहुत से रसूल गुज़र चुके थे, उसकी माँ एक हक़परस्त (सत्यवती) औरत थी और वो दोनों खाना खाते थे। देखो! हम किस तरह उनके सामने हक़ीक़त की निशानियाँ वाज़ेह करते हैं, फिर देखो ये किधर उलटे फिरे जाते हैं।" [क़ुरान 5:75]
क़ुरानी आयतों की इतनी प्रेजेंटेशन के बाद, साबित होता है कि ईसा अ० अल्लाह के बेटे नहीं बल्कि उसके एक बन्दे और रसूल है।
तवालत के पेशेनज़र इस पार्ट को यहीं मोअख्खर करता हूँ।
जुड़े रहे, ये सीरीज इंशा अल्लाह यूँ ही जारी रहेगी।
ईसा अलैहिस्सलाम की बाबत शक़ूक़ का ईज़ाला (पार्ट- 2)
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