आख़िरत में हमारे खिलाफ़ गवाही
हम आख़िरत वाले दिन अल्लाह की पकड़ से बच नही सकेंगे, क्युंकी हमारे ख़िलाफ़ इतनी गवाहियाँ होंगी हम सोच भी नहीं सकते।
आज उन गवाहियों पर बात करते हैं-
- 1. पहली गवाही अल्लाह खुद देगा।
- 2. अल्लाह रसूल (ﷺ) को गवाह बनाएगा।
- 3. क़ुरान हमारे खिलाफ़ गवाही देगा।
- 4. हमारा जिस्म हमारे खिलाफ़ गवाही देगा।
- 5. शैतान हमारे खिलाफ़ गवाही देगा।
- 6. फ़रिश्ते हमारे खिलाफ़ गवाही देंगे।
1. पहली गवाही अल्लाह खुद देगा:
قُلۡ اَیُّ شَیۡءٍ اَکۡبَرُ شَہَادَۃً ؕ قُلِ اللّٰہُ
"इनसे पूछो, किसकी गवाही सबसे बढ़कर है? कहो, मेरे और तुम्हारे दरमियान अल्लाह गवाह है।" [क़ुरआन 6:19]
لٰکِنِ اللّٰہُ یَشۡہَدُ بِمَاۤ اَنۡزَلَ اِلَیۡکَ اَنۡزَلَہٗ بِعِلۡمِہٖ ۚ وَ الۡمَلٰٓئِکَۃُ یَشۡہَدُوۡنَ ؕ وَ کَفٰی بِاللّٰہِ شَہِیۡدًا
[लोग नहीं मानते तो न मानें] "मगर अल्लाह गवाही देता है कि जो कुछ उसने तुम पर उतारा है अपने इल्म से उतारा है, और इस पर फ़रिश्ते भी गवाह हैं, हालाँकि अल्लाह का गवाह होना बिलकुल काफ़ी है।" [क़ुरआन 4:166]
सबसे बड़ी गवाही अल्लाह की है हालांकि अल्लाह का गवाह होना बिल्कुल काफ़ी है। फिर भी अल्लाह हिसाब किताब वाले दिन कुछ और भी गवाह लाएगा। जो उनके खुद दुनियां में इतना करीब थे की वो सोच भी नही सकते कि ये आख़िरत वाले दिन हमारे खिलाफ़ गवाही देंगे।
2. अल्लाह अपने रसूल (ﷺ) को गवाह बनाएगा:
وَ یَوۡمَ نَبۡعَثُ فِیۡ کُلِّ اُمَّۃٍ شَہِیۡدًا عَلَیۡہِمۡ مِّنۡ اَنۡفُسِہِمۡ وَ جِئۡنَا بِکَ شَہِیۡدًا عَلٰی ہٰۤؤُلَآءِ ؕ وَ نَزَّلۡنَا عَلَیۡکَ الۡکِتٰبَ تِبۡیَانًا لِّکُلِّ شَیۡءٍ وَّ ہُدًی وَّ رَحۡمَۃً وَّ بُشۡرٰی لِلۡمُسۡلِمِیۡنَ
(ऐ नबी! इन्हें उस दिन से ख़बरदार कर दो) "जबकि हम हर उम्मत (समुदाय) में ख़ुद उसी के अन्दर से एक गवाह उठा खड़ा करेंगे जो उसके मुक़ाबले में गवाही देगा, और इन लोगों के मुक़ाबले में गवाही देने के लिये हम तुम्हें लाएँगे। और (ये उसी गवाही की तैयारी है कि) हमने ये किताब तुमपर उतार दी है जो हर चीज़ को साफ़-साफ़ बयान करनेवाली है और हिदायत और रहमत और ख़ुशख़बरी है उन लोगों के लिये जो फ़रमाँबरदार हो गए हैं।" [क़ुरआन 16:89]
3. रसूल (ﷺ) गवाही देंगे:
नबी करीम (ﷺ) ने फ़रमाया, "मेरे साथियों में से कुछ को जहन्नम की तरफ़ ले जाया जाएगा तो मैं पुकार उठूँगा कि ये तो मेरे साथी हैं, मेरे साथी! लेकिन मुझे बताया जाएगा कि आपकी वफ़ात के बाद इन लोगों ने फिर कुफ़्र इख़्तियार कर लिया था। उस वक़्त मैं भी वही जुमला कहूँगा जो नेक बन्दे (ईसा अलैहिस्सलाम) कहेंगे وكنت عليهم شهيدا ما دمت فيهم तब तक मैं उन के साथ था। उन पर निगराँ था। अल्लाह तआला के इरशाद الحكيم तक।" [सही बुख़ारी 3349]
रसूल (ﷺ) गवाही देंगे,
وَ قَالَ الرَّسُوۡلُ یٰرَبِّ اِنَّ قَوۡمِی اتَّخَذُوۡا ہٰذَا الۡقُرۡاٰنَ مَہۡجُوۡرًا
"और रसूल कहेगा कि “ऐ मेरे रब, मेरी क़ौम के लोगों ने इस क़ुरआन को मज़ाक़ की चीज़ बना लिया था।” [क़ुरआन 25:30]
आज भी देखा जाता है की लोग क़ुरआन को समझ के पढ़ ही नही रहे और इस वजह से लोग गुमराह हो रहे हैं।
ये क़ुरआन इसलिए भेजा गया था की लोग इसको पढ़ कर इसके मुताबिक़ जिंदगी गुजारे जब सब लोग इसको समझ कर पढ़ेंगे तभी सब एक मक़सद पर जमा हो सकते हैं।
कुछ लोग कहते है कि अल्लाह के रसूल (ﷺ) हमारी शफात कराएंगे पर ऊपर की आयतों और हदीस से साफ़ पता लग रहा है की बहुत शिकायत होगी लोगो की जिन्होंने क़ुरआन को छोड़ दिया।
3. क़ुरआन हमारे खिलाफ़ गवाही देगा:
शफात किन लोगों की होगी और क़ुरआन किन लोगों के खिलाफ़ गवाही देगा
नबी करीम (ﷺ) ने फ़रमाया, चुनांचे लोग मेरे पास आएँगे मैं उन के साथ जाऊँगा और अपने रब से इजाज़त चाहूँगा। मुझे इजाज़त मिल जाएगी फिर मैं अपने रब को देखते ही सजदे में गिर पड़ूँगा और जब तक अल्लाह चाहेगा मैं सजदे में रहूँगा फिर मुझसे कहा जाएगा कि अपना सिर उठाओ और जो चाहो माँगो तुम्हें दिया जाएगा जो चाहो कहो तुम्हारी बात सुनी जाएगी। शफ़ाअत करो तुम्हारी शफ़ाअत क़बूल की जाएगी। मैं अपना सिर उठाऊँगा और अल्लाह की वो हम्द बयान करूँगा जो मुझे उसकी तरफ़ से सिखाई गई होगी। उसके बाद शफ़ाअत करूँगा और मेरे लिये एक हद मुक़र्रर कर दी जाएगी। मैं उन्हें जन्नत में दाख़िल कराऊँगा चौथी मर्तबा जब मैं वापस आऊँगा तो कहा जाएगा कि जहन्नम में उन लोगों के सिवा और कोई अब बाक़ी नहीं रहा जिन्हें क़ुरआन ने हमेशा के लिये जहन्नम में रहना ज़रूरी क़रार दे दिया है। अबू-अब्दुल्लाह इमाम बुख़ारी (रह०) ने कहा कि क़ुरआन के मुताबिक़ दोज़ख़ में क़ैद रहने से मुराद वो लोग हैं जिनके लिये ( خالدين فيها ) कहा गया है कि वो हमेशा दोज़ख़ में रहेंगे।" [सही बुख़ारी 4476]
"यहाँ तक कि जहन्नम में सिर्फ़ वही लोग बाक़ी रह जाएँगे जिन्हें क़ुरआन ने रोक रखा होगा यानी उन्हें हमेशा ही उसमें रहना होगा।" [सही बुख़ारी 7440]
इन हदीस से साफ पता लगता है की जहन्नम में वो लोग होंगे जिन्हें क़ुरआन ने रोक लिया होगा।
4. हमारा जिस्म हमारे खिलाफ़ गवाही देगा:
वो कहेंगे, “हाँ, हम अपने ख़िलाफ़ ख़ुद गवाही देते हैं। आज दुनिया की ज़िन्दगी ने इन लोगों को धोखे में डाल रखा है, मगर उस वक़्त वो ख़ुद अपने ख़िलाफ़ गवाही देंगे कि वो इनकारी थे।" [क़ुरआन 6:130]
कुछ लोग वहां अपना जुल्म कबूल कर लेंगे, लेकिन कुछ लोग ऐसे होंगे जो अपना जुल्म कबूल नहीं करेंगे आपनी बात पर अड़े रहेंगे फिर,
حَتّٰۤی اِذَا مَا جَآءُوۡہَا شَہِدَ عَلَیۡہِمۡ سَمۡعُہُمۡ وَ اَبۡصَارُہُمۡ وَ جُلُوۡدُہُمۡ بِمَا کَانُوۡا یَعۡمَلُوۡنَ
"फिर जब सब वहाँ पहुँच जाएँगे तो उनके कान और उनकी आँखें और उनके जिस्म की खालें उनपर गवाही देंगी कि वो दुनिया में क्या कुछ करते रहे हैं।" [क़ुरआन 41:20]
इसमें तीन गवाही है:
- a. कान
- b. आंखे
- c. जिस्म की खाले
क़ुरआन में कई जगह आयात हैं कि जिस्म के हिस्से गवाही देंगे। लेकिन ये एक ऐसी आयत है जिसमें पूरा जिस्म गवाही दे रहा है।
उस दिन हमारी आंखे और कान ये गवाही देंगी ऐ अल्लाह, हम नहीं चाहते थे कि तेरी नाफरमानी करे पर इन्होंने वो चीज़ों को देखी और सुनी जिसको देखने और सुनने से तूने मना किया था।
जिस्म की खाल: जब भी हम कोई गलत कम करते हैं तो सबसे पहले हमारी खाल ही टच होती हैं। जैसे हमने किसी गैर मेहराम को छुआ तो सबसे पहले हमारी खाल टच होती है या हमने किसी पर जुल्म किया।
जब ये खाले गवाही देंगी,
وَ قَالُوۡا لِجُلُوۡدِہِمۡ لِمَ شَہِدۡتُّمۡ عَلَیۡنَا ؕ قَالُوۡۤا اَنۡطَقَنَا اللّٰہُ الَّذِیۡۤ اَنۡطَقَ کُلَّ شَیۡءٍ وَّ ہُوَ خَلَقَکُمۡ اَوَّلَ مَرَّۃٍ وَّ اِلَیۡہِ تُرۡجَعُوۡنَ
वो अपने जिस्म की खालों से कहेंगे, “तुमने हमारे ख़िलाफ़ क्यों गवाही दी?” वो जवाब देंगी, “हमें उसी ख़ुदा ने बोलने की क़ुदरत दी है जिसने हर चीज़ को बोलने के क़ाबिल कर दिया है। उसी ने तुमको पहली बार पैदा किया था और अब उसी की तरफ़ तुम वापस लाए जा रहे हो।" [क़ुरआन 41:21]
وَ مَا کُنۡتُمۡ تَسۡتَتِرُوۡنَ اَنۡ یَّشۡہَدَ عَلَیۡکُمۡ سَمۡعُکُمۡ وَ لَاۤ اَبۡصَارُکُمۡ وَ لَا جُلُوۡدُکُمۡ وَ لٰکِنۡ ظَنَنۡتُمۡ اَنَّ اللّٰہَ لَا یَعۡلَمُ کَثِیۡرًا مِّمَّا تَعۡمَلُوۡنَ
"तुम दुनिया में जुर्म करते वक़्त जब छिपते थे तो तुम्हें ये ख़याल न था कि कभी तुम्हारे अपने कान और तुम्हारी आँखें और तुम्हारे जिस्म की खालें तुमपर गवाही देंगी, बल्कि तुमने तो ये समझा था कि तुम्हारे बहुत-से कामों की अल्लाह को भी ख़बर नहीं है।" [क़ुरआन 41:22]
दुनिया में जब हम गुनाह करते है तो सबसे पहले हम ये देखते है कि कोई देख तो नहीं रहा।
पर इस आयत में हमे पता लगा की हमारी जिस्म की खाले हमें देखती है।
और हम ये सोचते नहीं है की अल्लाह के यहां हमे इसका हिसाब देना है अगर ये ख़्याल भी आता है तो हम उसको नज़र अंदाज़ कर देते है।
5. फ़रिश्ते हमारे खिलाफ़ गवाही देंगे:
وَ جَآءَتۡ کُلُّ نَفۡسٍ مَّعَہَا سَآئِقٌ وَّ شَہِیۡدٌ
"हर शख़्स इस हाल में आ गया कि उसके साथ एक हाँक कर लानेवाला है और एक गवाही देनेवाला।" [कुरआन 50:21]
यहां पर दो फरिश्तों का ज़िक्र है जो हमरा दुनियां में नामा ए आमाल दर्ज़ कर रहें थे। हिसाब किताब वाले दिन जैसे ही इंसान कब्र से उठेगा तो फ़ौरन वो दोनों फ़रिश्ते आकर उसे अपने चार्ज में ले लेंगे। एक उसे अदालतगाह-ए- ख़ुदावन्दी की तरफ़ हाँकता हुआ ले चलेगा, और दूसरा फरिश्ता उसकी गवाही देगा
6. शैतान हमारे खिलाफ़ गवाही देगा:
قَالَ قَرِیۡنُہٗ رَبَّنَا مَاۤ اَطۡغَیۡتُہٗ وَ لٰکِنۡ کَانَ فِیۡ ضَلٰلٍ ۢ بَعِیۡدٍ
"उसके साथी ने कहा "ख़ुदावन्दा, मैंने इसको सरकश नहीं बनाया बल्कि ये ख़ुद ही परले दर्जे की गुमराही में पड़ा हुआ था।" [क़ुरआन 50:27]
गुलफाम हुसैन
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