Kya haya (sharm) sirf auraton ke liye hai? (Part-3)

Kya haya (sharm) sirf auraton ke liye hai? (Part-3)


क्या हया (शर्म) सिर्फ़ औरतों के लिए है?

गैर महरम औरतों से मुलाक़ात के आदाब

हम जिस भी समाज (मुआशरे) में रहते हैं अकसर मर्द व औरत का आमना सामना होता रहता है। लेकिन इस मेलजोल को दायरे में रखने के लिये इस्लाम ने कुछ अहम उसूल तय किये हैं जिनमें से अहम ये हैं:


1. मर्द के लिए औरत फ़ित्ना (आजमाइश) है:

जब एक नामहरम मुसलमान मर्द का किसी नामहरम (पराई) औरत से सामना हो तो उसके ज़हन में एक बात साफ रहनी चाहिए कि ये कोई ‘मौका’ नहीं, बल्कि एक आज़माईश है। और इस आज़माईश में खरा उतरना और ईमान की हिफ़ाज़त करना हर मर्द की ज़िम्मेदारी है।  

नबी-ए-अक़्दस ﷺ ने उम्मत को इसी आज़माइश से ख़बरदार करते हुए फ़रमाया, "मेरे (जमाने के) बाद मर्दों के लिए औरतों के फ़ित्ने (आज़माईश) से बढ़कर नुकसान पहुंचाने वाला और कोई फ़ित्ना नहीं है।" [सहीह बुखारी 5096]


2. औरतों को बेवजह देखने की मनाही:

कुरान और हदीस में इस हवाले से सख़्ती से नसीहत की गई है फिर भी मर्द हज़रात में ये फितरी तौर पर बुराई होती है कि वो हर औरत को घूरकर देखते हैं, इस बुराई के ख़ात्मे और निगाहों की हिफाज़त का नुस्ख़ा हमारे दीन में इस तरह बताया गया है :

जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि ने रसूलल्लाह ﷺ से अजनबी औरत पर पड़ने वाली नजर के बारे में पूछा तो आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया, "तुम अपनी निगाह फेर लिया करो।" [सुनन तिर्मिज़ी 2777]

नबी-ए-कामिल ﷺ ने हजरत अली रज़ि को नसीहत की, "ऐ अली! (गैर महरम पर) एक नज़र पड़ जाने के बाद वापस नज़र न उठाओ, क्योंकि तुम्हारे लिए पहली नज़र तो माफ है लेकिन दूसरी नज़र माफ नहीं है।" [सहीह मुस्लिम 5644/2159]


3. नामहरम औरतों के साथ वक़्त बिताना गुनाह है:

खातिमुन्नबियीन ﷺ ने मुसलमान मर्दों को ग़ैर महरम औरतों के साथ ख़िलवत (तन्हाई, एकांत) में रहने से मना करते हुए फरमाया, "ख़बरदार! जब कोई मर्द किसी औरत के साथ ख़िलवत (एकांत) में होता है तो उनके साथ तीसरा शैतान होता है।" [सुनन तिर्मिज़ी 2165]


4. गैर महरम औरतों को छूने की मनाही:

नबी-ए-अक़्दस ﷺ ने नामहरम औरतों को छूने के बारे में उम्मत को तम्बीह फ़रमाई, "किसी शख्स के लिये किसी नामहरम को छूने से बेहतर है कि उसके सिर में लोहे का कीला घुस जाये।" [तबरानी फिल कबीर 486; सहीह अल जामेअ लिल बानी 5045]


इंशा अल्लाह, आर्टिकल की अगली कड़ी (पार्ट-4) में हम शर्म और हया के ताल्लुक़ से कुछ अहम मसलों पर बात करेंगे जैसे ज़रूरत पड़ने पर गैर महरम औरतों से मिलने के लिए इस्लाम में क्या अहकाम बयान हुए हैं , बेहयाई को रोकना, बेहयाई का अन्जाम, हयादारी के फायदे। 

जुड़े रहें जल्द ही मिलते हैं अगली कड़ी के साथ।

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से दुआ है कि हम मुस्लमानो को शैतानी वसवसे और दज्जाली फितने से हमारे ईमान की हिफाज़त फरमाए। 

आमीन


आपकी दीनी बहन 
फ़िरोज़ा  

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