जन्नत (पार्ट-7): जन्नत के दरजात
अगर कोई अल्लाह के बताये हुए अहकाम पर अमल करता है कोई गुनाह (शिर्क) नहीं करता और उम्र भर नेकी करता रहता है तो वो जन्नत में जाता है। इस्लाम में जन्नत के सात दर्जे हैं और हर जन्नत की बनावट अलग है और हर जन्नत में एक नबी होंगे।
रसूलुल्लाह (सल्ल०) ने फ़रमाया,
"जो शख़्स अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए और नमाज़ क़ायम करे और रमज़ान के रोज़े रखे तो अल्लाह तआला पर हक़ है कि वो जन्नत में दाख़िल करेगा चाहे अल्लाह के रास्ते में वो जिहाद करे या उसी जगह पड़ा रहे जहाँ पैदा हुआ था।" [सहीह बुख़ारी 2790]
जन्नत अल्लाह की सबसे खूबसूरत इनायत है। यह न सिर्फ एक आरामगाह है बल्कि ईमानदारी, नेकी और अल्लाह की रज़ा के लिए की गई मेहनत का इनाम भी है। जन्नत में अलग-अलग दर्जे (Levels) होंगे, और हर मोमिन को उसकी ईमानदारी, अल्लाह से डर और अच्छे अमाल के मुताबिक उसका मकाम दिया जाएगा।
जन्नत में 100 दर्जे हैं
जन्नत में 100 दरजे होंगे और हर दो दरजों के बीच ज़मीन और आसमान जितना फासला होगा।
"जन्नत में 100 दर्जे हैं, और हर दो दरजों के बीच इतना फासला है जितना ज़मीन और आसमान के बीच है।" [सुनन तिर्मिज़ी 2530]
"एक और अमल है, जो इंसान के दर्जे को जन्नत में सौ दर्जे ऊपर उठा देता है, और हर दो दरजों के बीच उतना फ़ासला होता है जितना ज़मीन और आसमान के बीच है।" [सहीह मुस्लिम 1884]
जन्नत का सबसे ऊँचा दरजा – वसीला
वसीला जन्नत का सबसे आला और बुलंद दरजा है। यह मुकाम सिर्फ एक शख्स को मिलेगा और हमारे प्यारे नबी ﷺ ने फरमाया कि मुझे उम्मीद है कि वह मैं हूँ।
"जब तुम मुझ पर दरूद भेजो तो अल्लाह से मेरे लिए वसीला की दुआ किया करो। वसीला जन्नत का सबसे ऊँचा मकाम है, जो सिर्फ एक आदमी को मिलेगा।" [मुसनद अहमद 7588]
सबसे ऊँचा मुकाम: जन्नत-उल-फ़िरदौस
फिरदौस जन्नत का सबसे ऊँचा हिस्सा है। वहीं से जन्नत की चार नहरें निकलती हैं और उसके ऊपर अल्लाह का अर्श है।
"जन्नत में सबसे ऊँचा मुकाम फिरदौस है। फिरदौस से जन्नत की चारों नहरें निकलती हैं और उसके ऊपर अल्लाह का अर्श है। जब भी जन्नत की दुआ करो तो फिरदौस की दुआ करो।" [सुनन तिर्मिज़ी 2530]
हर मोमिन को अल्लाह तआला से जन्नत का सबसे ऊपरी दर्जा 'फिरदौस' मांगना चाहिए।
जन्नत के ऊँचे और बुलंद महल
जन्नत में मुक़ाम एक जैसे नहीं होंगे, बल्कि अल्लाह हर नेक बन्दे को उसके अमल और ईमान की बुनियाद पर अलग-अलग दरजा देगा।
कुरआन में अल्लाह फ़रमाता है: "जो लोग अपने रब से डरते रहे, उनके लिए ऊँची इमारतें (दरजा-बा-दर्जा), मंज़िल-दर-मंज़िल बनी हुई हैं, जिनके नीचे नहरें बह रही हैं।" [सूरह ज़ुमर – 39:20]
ऊपर के जन्नती मकाम दूर से सितारों की तरह नजर आएंगे
जन्नत के निचले दर्जों में रहने वाले, ऊपर वाले जन्नतियों के मकाम को ऐसे देखेंगे जैसे आसमान में कोई सितारा चमक रहा हो।
हज़रत अबू सईद खुदरी (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया, "जन्नत वाले लोग अपने से ऊपर वालों के महलों को देखेंगे, तो ऐसा महसूस होगा जैसे दूर आसमान के पूरब या पश्चिम के किनारे पर कोई चमकता हुआ तारा हो, यह फर्क जन्नतियों के आपसी दर्जों के बीच के फासले की वजह से होगा।"
सहाबा किराम (रज़ियल्लाहु अन्हुम) ने अर्ज़ किया: "या रसूलल्लाह ﷺ! उस ऊँचे दर्जे तक तो सिर्फ़ नबी ही पहुँचेंगे न?"
आप ﷺ ने फ़रमाया, "क्यों नहीं! उस ज़ात की क़सम जिसके हाथ में मेरी जान है, वो लोग भी वहाँ पहुँचेंगे जो अल्लाह पर ईमान लाए और रसूलों की तस्दीक़ (सत्यता) की।"
[सहीह मुस्लिम 2831]
हर दो दरजों के बीच 100 साल का फासला
हर दो दरजों के बीच इतना ज़्यादा फासला होगा जितना कोई 100 साल में तय कर सके।
"जन्नत में 100 दरजे हैं, और हर दो दरजों के बीच 100 साल की दूरी है।" [सुनन तिर्मिज़ी 2529]
Posted By Islamic Theology
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